देहरादूनः किसी भी स्कूल में उसका भवन और शौचालय उसकी बुनियादी सुविधा की पहली सीढ़ी माना जाता है. लेकिन हैरत की बात यह है कि उत्तराखंड में पिछले 24 सालों में इस पहली सीढ़ी को भी पार नहीं किया जा सका है. राज्य में अभी 1011 प्राथमिक विद्यालय ऐसे हैं जहां छात्राओं के लिए अलग शौचालय ही मौजूद नहीं हैं. इसके अलावा करीब 841 ऐसे प्राथमिक विद्यालय हैं जहां छात्रों के लिए भी शौचालय की सुविधा नहीं है. यह स्थिति तब है जब पिछले 1 साल में 567 नए शौचालय विभिन्न प्राथमिक विद्यालय में बनाए गए हैं. जिसमें 319 शौचालय छात्राओं के बनाए गए तो वहीं 248 छात्रों के लिए शौचालय बने हैं. उत्तराखंड में करीब 12 हजार प्राथमिक विद्यालय हैं.
मजेदार बात यह है कि शिक्षा विभाग में सैकड़ों करोड़ रुपए का बजट खर्च किया जा रहा है. न केवल उत्तराखंड सरकार शिक्षा विभाग के लिए भारी बजट जारी कर रही है. बल्कि भारत सरकार से भी विभिन्न योजनाओं के तहत सैकड़ों करोड़ रुपए राज्य को मिल रहा है. मौजूदा वित्त वर्ष में भी शिक्षा विभाग को केंद्र से समग्र शिक्षा योजना के तहत 1196 करोड़ रुपए दिए जाने के लिए स्वीकृत किए गए हैं.
राज्य में अब तक कई सरकारी विद्यालयों को बंद किया जा चुका है. सैकड़ों विद्यालय ऐसे हैं जहां छात्रों की संख्या बेहद कम होने के कारण उन्हें पास के ही विद्यालयों में मर्ज करने पर भी विचार चल रहा है.
150 स्कूल बंद: जानकारी के मुताबिक, पिछले 1 साल में ही करीब 150 प्राथमिक विद्यालयों को बंद किया जा चुका है. सरकारी स्कूलों के लगातार बंद होने और बेहद ज्यादा बजट होने के बावजूद भी 100 फीसदी स्कूलों में शौचालय की सुविधा नहीं दी जा सकी है. प्रदेश में शौचालय विहीन स्कूलों की संख्या के लिहाज से टिहरी जिले की स्थिति सबसे खराब दिखाई देती है. इसके अलावा अल्मोड़ा, पौड़ी और हरिद्वार में भी प्राथमिक विद्यालयों में स्थिति खराब है.
टिहरी में स्कूलों की हालत सबसे खराब: यूनिफाइड डिस्ट्रिक्ट इंफॉर्मेशन सिस्टम फार एजुकेशन द्वारा आंकड़ों के लिहाज से देखें तो टिहरी जिले में 138 स्कूलों में छात्रों के लिए और 242 स्कूलों में छात्राओं के लिए शौचालय मौजूद नहीं है. अल्मोड़ा में 101 स्कूलों में छात्र और 141 विद्यालयों में छात्राओं के लिए शौचालय नहीं हैं. इसी तरह पौड़ी जनपद में 102 विद्यालयों में छात्रों और 135 विद्यालयों में छात्राओं के लिए शौचालय मौजूद नहीं है. हरिद्वार जिले में 180 विद्यालयों में छात्रों के लिए जबकि 12 विद्यालयों में छात्राओं के लिए शौचालय नहीं है. राजधानी देहरादून में भी 53 विद्यालयों में छात्रों के लिए और 43 स्कूलों में छात्राओं के लिए शौचालय नहीं है.
चमोली में 31 स्कूलों में छात्र तो 75 स्कूलों में छात्राओं के लिए शौचालय नहीं. रुद्रप्रयाग में 51 स्कूलों में छात्र और 71 स्कूलों में छात्राओं के लिए शौचालय नहीं. उत्तरकाशी जिले में 66 स्कूलों में छात्र और 124 स्कूलों में छात्राओं के लिए शौचालय नहीं है. बागेश्वर जनपद में 53 स्कूलों में छात्र तो 44 स्कूलों में छात्राओं के लिए शौचालय नहीं. चंपावत जनपद में 22 विद्यालयों में छात्र और 35 विद्यालयों में छात्राओं के लिए शौचालय नहीं है. नैनीताल जिले में 92 स्कूलों में छात्र और 66 स्कूलों में छात्राओं के लिए शौचालय नहीं. पिथौरागढ़ जनपद में 63 स्कूलों में छात्र तो 72 स्कूलों में छात्राओं के लिए शौचालय नहीं है. उधम सिंह नगर जिले में 51 विद्यालय में छात्र और 51 विद्यालयों में ही छात्राओं के लिए शौचालय नहीं है.
यह आंकड़े बताने के लिए काफी है कि राज्य में स्कूलों में बुनियादी सुविधाओं को बेहतर करने के लिए कितनी गंभीरता बरती गई है. शायद यही कारण है कि सरकारी स्कूलों में छात्रों की संख्या धीरे-धीरे कम हो रही है और निजी स्कूल मुनाफा बढ़ा रहे हैं.
शिक्षा महानिदेशक बंशीधर तिवारी कहते हैं कि विद्यालयों में बुनियादी सुविधाओं को बढ़ाने के लिए प्रयास किए जा रहे है. राज्य के सभी विद्यालयों में शौचालय से लेकर बाकी दूसरी व्यवस्थाओं को भी दुरुस्त करने के निर्देश दिए गए हैं. इसके अलावा विभागीय अधिकारियों से इसको लेकर रिपोर्ट भी तलब की गई है.
ये भी पढ़ेंः उत्तराखंड के स्कूलों का हो रहा है सबसे बड़ा सर्वे, 10 हजार से ज्यादा फीडबैक लिए जा रहे, सामने आए चौंकाने वाले खुलासे