धौलपुर. जिले में हुई मानसूनी बारिश खेती किसानी के अनुकूल मानी जा रही है. खरीफ फसल के लिए वर्तमान समय में हुई बारिश को काश्तकार पर्याप्त मान रहे है, लेकिन आगामी रबी फसल के लिए बारिश कम हुई है. जिले के अधिकांश बांध और तालाब अभी तक खाली बने हुए है, जिससे आगामी रबी फसल के लिए संकट खड़ा हो सकता है. हालांकि मानसून अभी सक्रिय है. बारिश अच्छी हुई तो बांध और तालाब लबालब हो सकते है.
धौलपुर सिंचाई विभाग के मुताबिक जिले में औसत 650 एमएम बारिश दर्ज की जाती है. इस सीजन में अभी तक 57.37 फीसदी बारिश धौलपुर जिले में हो चुकी है. धौलपुर में 333 एमएम, बाड़ी में 461 एमएम, बसेड़ी में 451 एमएम, राजाखेड़ा में 314 एमएम, सैपऊ में 332 एमएम, तालाबशाही में 323 एमएम, उर्मिला सागर में 462 एमएम बारिश दर्ज की गई है.
धौलपुर जिले में अब तक हुई बारिश फसलों के लिए काफी लाभकारी मानी जा रही है. धौलपुर जिले से होकर गुजर रही चम्बल नदी का गेज 121.80 मीटर पर पहुंच चुका है. सिंचाई विभाग के मुताबिक पिछले वर्ष की अपेक्षा इस बार अभी तक सामान्य से अधिक बारिश हो चुकी है और अभी मानसून का दौर जारी है तो इस बार अच्छी बारिश होने की संभावना है.
2022 में ओवरफ्लो हुआ था पार्वती बांध : सिंचाई विभाग के मुताबिक जिले के सबसे बड़े बांध पार्वती में अभी तक 2.30 मीटर पानी की आवक हुई है और बांध का गेज 216.80 मीटर तक ही पहुंचा है. बांध की कुल भराव क्षमता 223.41 मीटर है, अर्थात 6.61 मीटर बांध अभी खाली है. कैचमेंट एरिया 786 वर्ग किमी है. इस सीजन में पार्वती बांध में सबसे कम पानी की आवक हुई है. करौली मडरायल क्षेत्र में कम बारिश होने के कारण पार्वती बांध में पानी की आवक अभी कम हुई है. पिछले साल भी बांध की स्थिति 222.40 मीटर तक रह गई थी और एक मीटर खाली रह गया था. बांध साल 2022 में ओवरफ्लो हुआ था तब गेट खोल कर पानी रिलीज किया था.
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रबी फसल की सिंचाई करता है पार्वती बांध : जिले के सबसे बड़े पार्वती बांध पर रबी फसल की सिंचाई टिकी हुई है. बरसात के सीजन में पार्वती बांध लगभग भर जाता है. रबी फसल का सीजन शुरू होते ही किसानों के लिए पानी रिलीज कर दिया जाता है. सरमथुरा, बसेड़ी, सैंपऊ,राजाखेड़ा और धौलपुर उपखंड की हजारों बीघा जमीन की सिंचाई पार्वती बांध पर आश्रित है, लेकिन अभी तक पार्वती बांध में 2.30 मीटर पानी की आवक हुई है. जबकि 6.61 मीटर बांध अभी खाली है. अगर करौली और डांग क्षेत्र में बारिश अधिक नहीं हुई तो किसानों के लिए संकट भी खड़ा हो सकता है.