देवघर: वर्तमान समय में जहां एक तरफ कुछ असामाजिक तत्व जाति और धर्म के नाम पर समाज को तोड़ने में लगे हैं, वहीं दूसरी ओर इसी समाज में कई ऐसे भी लोग हैं जो सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल पेश कर लोगों को प्रेरणा दे रहे हैं. देवघर श्रावणी मेला के दौरान सांप्रदायिक सौहार्द का ऐसा ही अनूठा उदाहरण देखने को मिल रहा है.
जमीर 27 वर्षों से श्रावणी मेले में लगा रहे सेवा शिविर
दरअसल, देवघर जिले के पुरनदहा के रहने वाले मोहमद जमीर अंसारी पिछले 27 वर्षों से देवघर श्रावणी मेला के दौरान सेवा शिविर लगाते रहे हैं और कांवरियों की सेवा करते रहे हैं. इस वर्ष भी उन्होंने कांवरियों के लिए सेवा शिविर लगाया है. इस संबंध में जमीर अंसारी का कहना है कि वह किस जाति से हैं और किस धर्म से हैं यह मायने नहीं रखता,उनके लिए तो बस इंसानियत जाति ही सबसे बड़ा धर्म है और धरती पर रह रहे सभी इंसानों की मदद करना उनका कर्म है.
सबसे बड़ी जाति इंसानियतः मो. जमीर
जमीर अंसारी बताते हैं कि आज की तारीख में लोग जाति-धर्म के नाम पर एक-दूसरे से अलग होते जा रहे हैं. इस वजह से देश में धार्मिक उन्माद जैसी समस्या पैदा होती जा रही है. ऐसे हालात को देखते हुए ही उन्होंने यह निर्णय लिया कि वह अपने स्तर से सभी जाति और धर्म के लोगों की मदद करेंगे, ताकि लोगों के बीच में यह संदेश जा सके की सबसे बड़ी जाति इंसानियत है, न की कोई धर्म.
कांवरियों की सेवा से मिलती है संतुष्टि
जमीर बताते हैं कि वे हर वर्ष सावन में देवघर आने वाले श्रद्धालुओं के लिए शिविर लगाते हैं और उन्हें स्वास्थ्य लाभ देकर राहत पहुंचाने की कोशिश करते हैं. इस काम से उन्हें काफी संतुष्टि मिलती है. उन्होंने बताया कि कई बार उनके ही कौम के कुछ लोग आपत्ति जताते हैं कि मुस्लिम समाज से होने के बावजूद भी वह हिंदू समाज के श्रावणी मेला में क्यों हिस्सा लेते हैं? लेकिन लोगों की लाख आपत्ति के बावजूद वो पिछले दो दशक से ज्यादा समय से दिल से श्रद्धालुओं की सेवा कर रहे हैं और श्रद्धालु भी उनके सेवा भाव से संतुष्ट होते हैं.
श्रद्धालु भी जमीर की सेवा से प्रभावित
मोहम्मद जमीर अंसारी के इस सेवा भावना को देख शिविर में आने वाले श्रद्धालु और कांवरिये भी काफी प्रभावित हैं और उनकी प्रशंसा करते हैं. टावर चौक पर लगे जमीर के शिविर में पहुंचे नालंदा जिला के निवासी संतोष सिन्हा ने कहा कि जमीर अंसारी की शिविर में उन्हें काफी अच्छा लगता है. वहीं गिरिडीह निवासी श्रद्धालु सिंटू यादव ने कहा कि एक तरफ जहां देश में जाति-धर्म के नाम पर लोगों को बांटा जा रहा है, वहीं दूसरी ओर जमीर अंसारी जैसे शख्स समाज में सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल पेश कर रहे हैं.
जमीर अंसारी टावर चौक पर लगे शिविर में सुबह से लेकर देर रात तक कांवरियों के पैरों में पड़े छाले पर मरहम लगाते हैं तो कभी देवघर पहुंचे श्रद्धालुओं को एनर्जी ड्रिंक पिलाकर उनकी थकान मिटा रहे हैं.
शिविर के माध्यम से करते हैं श्रद्धालुओं की सेवा
जमीर अंसारी वर्तमान में राष्ट्रीय जनता दल के द्वारा आयोजित शिविर के प्रभारी भी हैं और पिछले कई वर्षों से वह विभिन्न जगहों पर लगे शिविरों में जाकर लोगों की मदद करते हैं.साथ ही जमीर अंसारी कौमी इतिहाद मोर्चा संस्था के संथाल परगना अध्यक्ष भी हैं. यह संस्था बिहार, बंगाल, उत्तर प्रदेश और झारखंड में जमजात तालू और नाक कटे बच्चे का इलाज करवाती है. संस्था के सहयोग और अपने सेवा भावना की सोच के साथ उन्होंने अब तक सैकड़ों बच्चों का मुफ्त में इलाज करवाया है.
जाति-धर्म से ऊपर उठकर एक-दूसरे की मदद करने की अपील
मोहम्मद जमीर अंसारी का मानना है कि जब सऊदी अरब के काबा में हिंदू भाई मुसलमान तीर्थ यात्रियों की खुलकर सेवा करते हैं तो वह मुस्लिम होकर हिंदू श्रद्धालुओं की क्यों नहीं सेवा कर सकते हैं. वह अपनी इस सेवा भाव के कार्य से लोगों से अपील करते हैं कि जाति धर्म से ऊपर उठकर एक-दूसरे की मदद करें, ताकि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है यह संदेश पूरी दुनिया को मिल सके.
जमीर का सराहनीय प्रयास
गौरतलब है कि मोहम्मद जमीर अंसारी का यह प्रयास सराहनीय है. जरूरत है कि ऐसी ही सोच के साथ समाज का प्रत्येक व्यक्ति लोगों की मदद करें, ताकि भारत का नाम पूरी दुनिया में रोशन हो सके.
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