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रबी सीजन में इस फसल की बुवाई पर मिलेगा पैसा, इन नियम-शर्तों का करना होगा पालन

किसान रबी फसलों की तैयारी में जुटा हुआ है. क्या आप जानते हैं रबी सीजन की इस फसल की बुवाई पर पैसे दे रही है.

SHAHDOL FARMERS WILL GET MONEY
रबी सीजन में इस फसल की बुवाई पर मिलेगा पैसा (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : 2 hours ago

SHAHDOL FARMERS WILL GET MONEY: खरीफ सीजन का आखिरी समय चल रहा है. कहीं धान की कटाई शुरू हो चुकी है तो कहीं तैयारी चल रही है. कहीं धान पकने की कगार पर है, तो कहीं किसान रबी सीजन के फसल की तैयारी में किसान जुटा हुआ है. ऐसे में शासन प्रशासन पराली की समस्या को देखते हुए पराली प्रबंधन के लिए तरह-तरह के प्रयास कर रही है. जिससे किसान खेतों में पराली में आग ना लगाए, बल्कि पराली का सदुपयोग करते हुए खेतों में ही इस्तेमाल करे. उसी के तहत अब किसानों के लिए बड़े काम की खबर है, जिसमें किसान अगर सही नियम शर्त का पालन करता है, तो किसानों को पैसे भी मिल सकते हैं. उसके लिए ये काम करना जरुरी होगा.

पराली के लिए ये मशीन वरदान

धान हो या गेहूं इस फसल की कटाई के बाद पराली की बड़ी समस्या देखने को मिलती है. ऐसे में शासन प्रशासन भी पराली की समस्या से लड़ने के लिए पूरी तरह से तैयार है. शहडोल कृषि विभाग के उपसंचालक आरपी झारिया बताते हैं कि 'पराली को जलाना खेतों के लिए हानिकारक है, क्योंकि इससे खेतों के जो मित्र कीट हैं, वो भी जल जाते हैं. जो मिट्टी को गुणवत्ता युक्त बनाते हैं. साथ ही मिट्टी की गुणवत्ता भी कम होती है.

उपसंचालक आरपी झारिया की राय (ETV Bharat)

इन सभी समस्याओं को देखते हुए अब कई ऐसी मशीन भी आ चुकी है. जो पराली को मिट्टी में मिलाते हुए खेतों पर फसल की बुवाई भी कर देती है और पराली का खाद के तौर पर इस्तेमाल हो जाता है. सुपर सीडर मशीन से सीधे खेत की जुताई भी हो जाती है. पराली को काटकर मशीन मिट्टी में मिला देती है. वही मशीन बुवाई भी कर देती है. वहीं हैप्पी सीडर पराली के बीच ही फसल की बुवाई कर देती है.

किसानों को ऐसे मिलेगा पैसा ?

पराली की समस्या से निजात पाने और इसके प्रबंधन के लिए शासन प्रशासन भी काफी गंभीर है. इसीलिए नए-नए प्रयास कर रही है. शहडोल कृषि विभाग के उपसंचालक आरपी झारिया बताते हैं की रवि सीजन में सुपर सीडर और हैप्पी सीडर इन दो मशीनों से जो भी किसान शहडोल जिले में चने की बुवाई करेगा, 1 एकड़ में इन दो मशीनों से चने की बुवाई करने पर किसान को 1650 रुपए तक पैसा अनुदान के रूप में दिया जाएगा.

SUPER SEEDER MACHINE SOWING WHEAT
किसानों को ऐसे मिलेगा पैसा (Getty Image)

पैसे के लिए करना होगा ये काम

वैसे तो मध्य प्रदेश में जहां-जहां पराली की समस्या देखने को मिलती है. उन जगहों पर कृषि विभाग की ओर ये योजना है. शहडोल जिले में चने की फसल लगाने के लिए सुपर सीडर और हैप्पी सीडर किसी भी एक मशीन से बुवाई करने पर इस अनुदान का लाभ दिया जा रहा है, तो वहीं एमपी के किसी भी जिले में गेहूं की फसल पर भी इस योजना का लाभ दिया जा रहा है, लेकिन शहडोल जिले में अगर किसानों को इस योजना का लाभ लेना है, तो उसके लिए 10 साल के अंदर तक का चने के बीज किसान को खुद व्यवस्था करनी पड़ेगी.

Mohan Yadav Subsidy
इन नियम-शर्तों का करना होगा पालन (Getty Image)

सुपर सीडर हैप्पी सीडर किसी एक मशीन से खेतों में चने की बुवाई करनी पड़ेगी. अगर किसान ऐसा करता है तो किसान को ट्रैक्टर का किराया, बीज, खाद, उपचार, दवाई, कल्चर इसके लिए जो भी खर्च लगता है. उसके लिए किसान को एक एकड़ के हिसाब से 1650 रुपए तक अनुदान के रूप में दिए जाएंगे. ये पैसे किसान के खाते में डीबीटी के माध्यम से प्रदान किए जाएंगे.

यहां पढ़ें...

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पहले आओ, पहले पाओ

शहडोल कृषि विभाग के उपसंचालक आरपी झारिया कहते हैं कि इस अनुदान का लाभ पाने के लिए वैसे तो क्लस्टर में काम करना है, लेकिन पहले आओ पहले पाओ के आधार पर किसानों को लाभ दिया जाएगा. इसके लिए किसानों को एमपी किसान ऐप पर आवेदन करना होगा. जो की पंजीयन करना बहुत आसान है. पहले आओ पहले पाओ के आधार पर इस अनुदान के लिये पात्रता रखने वाले किसानों को लाभ दिया जाएगा, लेकिन इसके लिए किसानों को जिले के हिसाब से सभी नियम शर्तों का पालन करना होगा.

SHAHDOL FARMERS WILL GET MONEY: खरीफ सीजन का आखिरी समय चल रहा है. कहीं धान की कटाई शुरू हो चुकी है तो कहीं तैयारी चल रही है. कहीं धान पकने की कगार पर है, तो कहीं किसान रबी सीजन के फसल की तैयारी में किसान जुटा हुआ है. ऐसे में शासन प्रशासन पराली की समस्या को देखते हुए पराली प्रबंधन के लिए तरह-तरह के प्रयास कर रही है. जिससे किसान खेतों में पराली में आग ना लगाए, बल्कि पराली का सदुपयोग करते हुए खेतों में ही इस्तेमाल करे. उसी के तहत अब किसानों के लिए बड़े काम की खबर है, जिसमें किसान अगर सही नियम शर्त का पालन करता है, तो किसानों को पैसे भी मिल सकते हैं. उसके लिए ये काम करना जरुरी होगा.

पराली के लिए ये मशीन वरदान

धान हो या गेहूं इस फसल की कटाई के बाद पराली की बड़ी समस्या देखने को मिलती है. ऐसे में शासन प्रशासन भी पराली की समस्या से लड़ने के लिए पूरी तरह से तैयार है. शहडोल कृषि विभाग के उपसंचालक आरपी झारिया बताते हैं कि 'पराली को जलाना खेतों के लिए हानिकारक है, क्योंकि इससे खेतों के जो मित्र कीट हैं, वो भी जल जाते हैं. जो मिट्टी को गुणवत्ता युक्त बनाते हैं. साथ ही मिट्टी की गुणवत्ता भी कम होती है.

उपसंचालक आरपी झारिया की राय (ETV Bharat)

इन सभी समस्याओं को देखते हुए अब कई ऐसी मशीन भी आ चुकी है. जो पराली को मिट्टी में मिलाते हुए खेतों पर फसल की बुवाई भी कर देती है और पराली का खाद के तौर पर इस्तेमाल हो जाता है. सुपर सीडर मशीन से सीधे खेत की जुताई भी हो जाती है. पराली को काटकर मशीन मिट्टी में मिला देती है. वही मशीन बुवाई भी कर देती है. वहीं हैप्पी सीडर पराली के बीच ही फसल की बुवाई कर देती है.

किसानों को ऐसे मिलेगा पैसा ?

पराली की समस्या से निजात पाने और इसके प्रबंधन के लिए शासन प्रशासन भी काफी गंभीर है. इसीलिए नए-नए प्रयास कर रही है. शहडोल कृषि विभाग के उपसंचालक आरपी झारिया बताते हैं की रवि सीजन में सुपर सीडर और हैप्पी सीडर इन दो मशीनों से जो भी किसान शहडोल जिले में चने की बुवाई करेगा, 1 एकड़ में इन दो मशीनों से चने की बुवाई करने पर किसान को 1650 रुपए तक पैसा अनुदान के रूप में दिया जाएगा.

SUPER SEEDER MACHINE SOWING WHEAT
किसानों को ऐसे मिलेगा पैसा (Getty Image)

पैसे के लिए करना होगा ये काम

वैसे तो मध्य प्रदेश में जहां-जहां पराली की समस्या देखने को मिलती है. उन जगहों पर कृषि विभाग की ओर ये योजना है. शहडोल जिले में चने की फसल लगाने के लिए सुपर सीडर और हैप्पी सीडर किसी भी एक मशीन से बुवाई करने पर इस अनुदान का लाभ दिया जा रहा है, तो वहीं एमपी के किसी भी जिले में गेहूं की फसल पर भी इस योजना का लाभ दिया जा रहा है, लेकिन शहडोल जिले में अगर किसानों को इस योजना का लाभ लेना है, तो उसके लिए 10 साल के अंदर तक का चने के बीज किसान को खुद व्यवस्था करनी पड़ेगी.

Mohan Yadav Subsidy
इन नियम-शर्तों का करना होगा पालन (Getty Image)

सुपर सीडर हैप्पी सीडर किसी एक मशीन से खेतों में चने की बुवाई करनी पड़ेगी. अगर किसान ऐसा करता है तो किसान को ट्रैक्टर का किराया, बीज, खाद, उपचार, दवाई, कल्चर इसके लिए जो भी खर्च लगता है. उसके लिए किसान को एक एकड़ के हिसाब से 1650 रुपए तक अनुदान के रूप में दिए जाएंगे. ये पैसे किसान के खाते में डीबीटी के माध्यम से प्रदान किए जाएंगे.

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