भोपाल. मोहन यादव कैबिनेट में सरकार के गठन के समय 30 मंत्री बनाए गए थे. इसमें मुख्यमंत्री को छोड़कर 18 कैबिनेट और 6 स्वतंत्र प्रभार राज्यमंत्री और 4 राज्य मंत्री बनाए गए थे, इसके अलावा दो उपमुख्यमंत्री हैं. लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस छोड़ बीजेपी में आए रामनिवास रावत और कमलेश शाह में से रावत को मंत्री बनाया जा चुका है, जबकि उपचुनाव जीत चुके कमलेश शाह को मंत्री बनाया जाना तय माना जा रहा है.
पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा से होगी आज मुलाकात
बताया जा रहा है कि दिल्ली दौरे के दौरान बुधवार को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा से इसे लेकर चर्चा करेंगे. हालांकि, कांग्रेस से बीजेपी में आए रामनिवास रावत को मंत्रीमंडल में लेने के बाद से ही पार्टी में ही बगावत के सुर उठने लगे हैं. इतना ही नहीं कांग्रेसियों की बंपर भर्ती से बीजेपी का बैलेंस बिगड़ता नजर आ रहा है, जिसके लिए पार्टी बड़े फैसले ले सकती है.
एक अनार सौ बीमारी वाली स्थिति
अभी मोहन सरकार में 3 स्थान रिक्त हैं. माना जा रहा है कि मंत्रिमंडल में दो से तीन नए चेहरों को शामिल किया जा सकता है. हालांकि, पार्टी के सामने एक अनार सौ बीमार की स्थिति है. 2 खाली पदों के लिए एक दर्जन सीनियर विधायकों ने दावेदारी जताना शुरू कर दी है. इनमें बीजेपी के सबसे सीनियर विधायक गोपाल भार्गव तक खुलकर इसको लेकर अपनी आपत्ति जता चुके हैं.
कांग्रेसियों की एंट्री से बिगड़ा बैलेंस
बताया जा रहा है कि पार्टी के कुछ सीनियर नेताओं को मंत्रिमंडल में फिर जगह दी जा सकती है. इसके लिए एक या दो मंत्रियों का वर्तमान मंत्रिमंडल से पत्ता कट सकता है. लोकसभा चुनाव को देखते हुए सामाजिक समीकरणों को साधने मंत्रिमंडल में कई चेहरों को शामिल किया गया था लेकिन चुनाव के बाद इनमें से कुछ मंत्रियों को ड्रॉप किया जा सकता है. उधर मंत्री पद के लिए पूर्व मंत्री और विधानसभा के सबसे सीनियर विधायक गोपाल भार्गव, भूपेन्द्र सिंह, बृजेन्द्र प्रताप सिंह जैसे कई सीनियर नेता पार्टी दावेदारी कर रहे हैं. सीनियर पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक अजय बोकिल कहते हैं कि कांग्रेस नेताओं को बीजेपी में लाकर मंत्री बनाने से बीजेपी के अंदर ही विरोधी आवाजें उठ रही हैं. लिहाजा संतुलन बनाने पार्टी मंत्रिमंडल में पुराने चेहरों को जगह दे तो कोई आश्चर्य नहीं होगा.
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विभागों को लेकर होगा मंथन
उधर पार्टी के नेताओं को साधने के लिए उन्हें निगम मंडल में साधने की भी कोशिश की जा रही है. बताया जा है कि मुख्यमंत्री दिल्ली में पार्टी आलाकमान से इसे लेकर चर्चा करेंगे. जल्द ही निगम-मंडल और बोर्ड में राजनीतिक नियुक्तियां की जाएंगी. इसमें उन नेताओं को प्राथमिकता दी जाएगी, जिनहें विधानसभा और लोकसभा चुनाव में टिकट के एवज में मंत्री बनाने का भरोसा दिया गया था. इसमें इन नेताओं को एडजस्ट किया जाएगा. इन नेताओं को कैबिनेट और राज्यमंत्री का दर्जा दिया जाएगा. बता दें कि मोहन कैबिनेट गठन के बाद सभी निगम मंडलों को भंग कर दिया गया था.