Mohan yadav govt DA payment : मध्य प्रदेश सरकार नव वर्ष में बजट सत्र से पहले बड़े वित्तीय फैसले लेने जा रही है. प्रदेश की मोहन यादव सरकार ने मध्यप्रदेश की वित्तीय हालत, यहां संचालित विकास कार्य व योजनाओं के लिए हाल ही में 5 हजार करोड़ का कर्ज लेने की तैयारी की है. ऐसे में माना जा रहा है कि सरकार फाइनेंस से जुड़े बड़े भुगतान प्राथमिकता के साथ करेगी, जिस वजह से लाड़ली बहना और कर्मचारियों के डीए के भुगतान एकसाथ किए जाने की संभावना बढ़ गई है.
लाड़ली बहना के लिए 465 करोड़ का बजट
एक ओर जहां कयास लगाए जा रहे थे कि मध्यप्रदेश सरकार लाड़ली बहना योजना धीरे-धीरे बंद कर देगी, तो उसके ठीक विपरीत सरकार ने शीताकालीन सत्र में लाड़ली बहना योजना के लिए 465 करोड़ के बजट का प्रावधान कर सभी को चौंका दिया. लिहाजा सरकार इस योजना को बंद करना तो दूर, अब इस योजना पर और ज्यादा खर्च करने के मूड में नजर आ रही है. गौरतलब है कि शीतकालीन सत्र में पेश किए गए सरकार के 22 हजार 460 करोड़ के पहले अनुपूरक बजट में से अकेले लाड़ली बहना योजना के लिए ही 465 करोड़ का प्रावधान है.
कर्मचारियों का फिर बढ़ेगा 3 प्रतिशत डीए
लाड़ली बहना योजना के भुगतान के साथ सरकार कर्मचारियों को भी जनवरी-फरवरी माह में खुश कर सकती है. दरअसल, जनवरी में केंद्रीय कर्मचारियों का डीए बढ़ने के बाद प्रदेश सरकार पर राज्य के कर्मचारियों का डीए बढ़ाने का दबाव रहेगा. माना जा रहा है कि सरकार अगर 3 प्रतिशत डीए बढ़ाती है, तो इस अतिरिक्त वित्तीय भार का प्रबंधन भी 5 हजार करोड़ के कर्ज में से होगा. गौरतलब है कि राज्य सरकार पर पहले ही पूर्व के डीए के भुगतान का अतिरिक्त भार है.
कर्मचारियों को केंद्र के समान डीए का इंतजार
मध्यप्रदेश सरकार ने हाल ही में 5 हजार करोड़ रु का कर्ज लेने की तैयारी की है, जिससे प्रदेश के कर्मचारियों की उम्मीदें जाग उठी हैं. दरअसल, कर्मचारी संघ अभी भी इस बात की शिकायत कर रहे हैं कि राज्य कर्मचारियों का डीए केंद्र के समान हो. डीए को लेकर राज्य कर्मचारी संघ के प्रांत अध्यक्ष अशोक पांडे ने कहा " उम्मीद है कि राज्य सरकार कर्मचारियों का डीए केन्द्र के समान लेकर आ जाएगी. अभी प्रदेश के कर्मचारियों को केन्द्र से 3 फीसदी कम महंगाई भत्ता मिल रहा है. 2024 के पहले तक केंद्रीय कर्मचारियों का महंगाई भत्ता बढ़ते ही राज्य सरकार भी डीए बढ़ा देती थी, लेकिन अब इसमें भी देरी हो रही है.''
लगातार कर्ज ले रही सरकार
प्रदेश की मोहन यादव सरकार पर लोन का बोझ बढ़ता जा रहा है और ये कोई छोटो-मोटा कर्ज नहीं बल्कि 3 लाख 75 हजार 578 करोड़ का कर्ज हो चुका है, जिसमें से 2 लाख 34 हजार 812 करोड़ रुपए का कर्ज बाजार से लोन के रूप में, 15 हजार 248 करोड़ रुपए फाइनेंशियल कंपनियों से, 62 हजार करोड़ केंद्र से एडवांस या लोन के रूप में और 34 हजार 421 करोड़ रु नेशनल स्मॉल सेविंग फंड से लोन के रूप में लिया है. इस पैसे से भले ही सरकार लाड़ली बहनाओं और अपने कर्मचारियों को खुश कर रही हो पर प्रदेश पर इतने बड़े कर्ज पर विपक्ष सवाल उठाने लगा है.
सरकार का वित्तीय प्रबंधन नहीं कुप्रबंधन है : कांग्रेस
अनुपूरक बजट के दौरान विपक्ष ने सरकार से लिए जा रहे कर्ज का हिसाब मांगा था, जिसके बाद विधानसभा में उप नेता प्रतिपक्ष हेमंत कटारे ने कहा, '' सरकार सिर्फ कर्ज लेकर योजनाओं के नाम पर भ्रष्टाचार कर रही है. कर्ज कैसे कम हो इसको लेकर कोई प्लानिंग नहीं है. यही वजह है कि अब मध्य प्रदेश में पैदा होने वाले हर बच्चे पर 50 हजार रुपए का कर्ज हो जाता है. ये वित्तीय कुप्रबंधन का नतीजा है."
समय पर चुकाया जाएगा कर्ज : बीजेपी
सरकार द्वारा लगातार कर्ज लिए जाने के सवाल पर वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने कहा, " सरकार जो भी लोन ले रही है प्रदेश की जरूरतों के लिए और एक सीमा में ले रही है. जितना भी कर्ज मध्यप्रदेश सरकार द्वारा लिया जा रहा है, उसका समय पर भुगतान किया जाएगा."
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