भोपाल: उत्तर प्रदेश सरकार के बाद अब मध्य प्रदेश में भी सरकारी कर्मचारियों पर संपत्ति घोषित करने को लेकर सख्ती करने जा रही है. मध्य प्रदेश में सरकारी कर्मचारी अपनी अचल संपत्ति घोषित करने के मामले में सिर्फ रस्म अदायगी कर रहे हैं. अधिकांश कर्मचारी ईमानदारी से संपत्ति की जानकारी नहीं दे रहे. लोकायुक्त की कार्रवाई के बाद सामने आया है कि कर्मचारियों द्वारा विभाग को संपत्ति की जानकारी ही नहीं दी गई है. अब राज्य सरकार ऐसे कर्मचारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की तैयारी कर रही है.
योगी सरकार ने अनिवार्य की प्रॉपर्टी की जानकारी
दरअसल, उत्तर प्रदेश सरकार के 13 लाख सरकारी कर्मचारियों की सैलरी पर खतरे की घंटी बज रही है. यूपी के कर्मचारियों को अगस्त माह की सैलरी से हाथ भी धोना पड़ सकता है. यह इसलिए क्योंकि यूपी के मुश्किल से 26 फीसदी कर्मचारियों ने ही अपनी चल-अचल संपत्ति की जानकारी सरकार को दी है. यूपी में कर्मचारियों के लिए 31 अगस्त तक संपत्ति घोषित करने की टाइम लिमिट दी गई है, ऐसा न करने पर वहां अगस्त माह की कर्मचारियों की तन्ख्वाह नहीं आएगी.
मध्य प्रदेश में सिर्फ अचल संपत्ति देते हैं कर्मचारी
मध्य प्रदेश में सरकारी कर्मचारी-अधिकारियों को सिर्फ अचल संपत्ति की जानकारी देनी होगी, लेकिन इसके बाद भी प्रदेश में कई कर्मचारी यह जानकारी देने में जमकर लापरवाही कर रहे हैं. कई कर्मचारी अचल संपत्ति की जानकारी भी सही नहीं दे रहे. उधर राज्य सूचना आयोग द्वारा पूर्व में कई बार आदेश दिए जाने के बाद भी प्रदेश में कई सरकार विभागों की वेबसाइट पर कर्मचारियों की संपत्ति की जानकारी भी सार्वजनिक नहीं की जा रही है. शनिवार को लोकायुक्त द्वारा पकड़ा गया भोपाल विकास प्राधिकरण का क्लर्क करोड़ों की संपत्ति का मालिक निकला, लेकिन विभाग ने उसकी संपत्ति का ब्यौरा वेबसाइट पर सार्वजनिक ही नहीं किया था, अब राज्य सरकार ऐसे कर्मचारी अधिकारियों पर कार्रवाई करने की तैयारी कर रही है.
अचल के साथ चल संपत्ति भी पूछे सरकार
उधर रिटायर्ड डीजी सुभाष अत्रे कहते हैं कि 'प्रदेश में भ्रष्टाचार का ग्राफ कम नहीं हुआ है. प्रदेश में सरकारी अधिकारी कर्मचारियों को प्रथम नियुक्ति दिनांक से लेकर वर्तमान तक की हर साल अपनी अचल संपत्ति की जानकारी देनी होती है, लेकिन जांच एजेंसियों द्वारा पकड़े जाने के बाद संपत्ति करोड़ों में निकलती हैं. मतलब साफ है कि ऐसे कर्मचारी अधिकारी विभाग में गलत जानकारी देते हैं. सरकार को कर्मचारी की अचल के साथ चल संपत्ति की जानकारी लेना भी अनिवार्य करना चाहिए.