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सड़क चौड़ीकरण में गई जमीन, नहीं मिलेगा नगद मुआवजा, TDR पोर्टल से समझें कैसे होगी भरपाई - Mohan Yadav Govt Launched TDR - MOHAN YADAV GOVT LAUNCHED TDR

मध्य प्रदेश की मोहन यादव सरकार ने टीडीआर पोर्टल लांच किया है. इसका मतलब प्रदेश में सरकारी काम में अगर किसी की निजी भूमि आती है, तो सरकार उसे ट्रांसफरेबल डेवलपमेंट राइट्स देगी. यह योजना एमपी के 7 नगर निगम में शुरू की गई है. जल्द ही दूसरे नगर निगम में भी जल्द शुरू किया जाएगा.

MOHAN YADAV GOVT LAUNCHED TDR
सड़क चौड़ीकरण में गई जमीन नहीं मिलेगा नगद मुआवजा (Getty Image)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Aug 12, 2024, 10:36 PM IST

भोपाल: प्रदेश में किसी सरकारी प्रोजेक्ट में निजी भूमि आती है, तो मुआवजे के तौर पर सरकार अतिरिक्त टीडीआर यानी ट्रांसफरेबल डेवलपमेंट राइट्स देगी. यह एक तरह का फिक्स डिपोजिट होगा. इसे या तो भूमि स्वामी बची हुई भूमि पर अतिरिक्त एफएआर (फ्लोर एरिया रेशियो) के साथ निर्माण कर सकेगा या फिर डेवलपर्स भी इसका उपयोग कर सकेंगे. मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव नगरीय महिला जनप्रतिनिधि सम्मेलन में इसे लांच करने जा रहे हैं. टीडीआर से जुड़े नियम पोर्टल में पहले ही अपलोड किए जा चुके हैं. मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि '24 मीटर और अधिक चौड़ी सड़क होने यदि एक इंच भी जमीन किसी की जाएगी, तो उसे एफएआर बेचकर मुआवजा मिल सकेगा. फिलहाल यह योजना मध्यप्रदेश की 7 नगर निगम उज्जैन, इंदौर, भोपाल, जबलपुर, ग्वालियर, सतना, रीवा में शुरू की गई है, जल्द ही बाकी सभी नगर निगम में इसे लागू किया जाएगा.

टीडीआर का कैसे होगा फायदा... समझें

आमतौर पर नगरीय निकायों में यदि किसी निजी व्यक्ति की कोई भूमि किसी निर्माण से जुड़े प्रोजेक्ट में जाती है, तो भारी-भरकम मुआवजा देना सरकार पर वित्तीय रूप से बेहद भारी पड़ रहा था, क्योंकि कलेक्टर गाइडलाइन के हिसाब से जितनी जमीन गई है. उसका दोगुना मुआवजा देना होता था. ऐसे में अब भूमि स्वामी को मुआवजे के तौर पर उन्हें टीडीआर दिया जाएगा. इसका उपयोग भूमि स्वामी बचे हुए प्लॉट पर अतिरिक्त निर्माण के रूप में कर सकेंगे. इसे इस तरह से समझा जा सकता है, जैसे यदि आपके पास 1 हजार वर्गफीट का प्लॉट है. नियम के तौर पर इस पर अधिकतम निर्माण 1500 वर्गफीट तक ही किया जा सकता है. इसके अतिरिक्त निर्माण को अवैध माना जाएगा. अब यदि इसमें से पहले 200 वर्ग फीट जमीन किसी प्रोजेक्ट में चली गई है और आपको टीडीआर सर्टिफिकेट मिला है, तो इस प्लॉट पर 1500 वर्गफीट के स्थान पर 1800 वर्ग फीट तक निर्माण किया जा सकेगा.

बेचने पर कैसे मिलेगा फायदा

यदि प्रोजेक्ट में प्लॉट का हिस्सा जाने के बाद यदि आपके पास 2 हजार स्क्वायर फीट का प्लॉट बचा है. यदि इस बचे हुए प्लॉट को किसी बिल्डर या डेवलपर के साथ सौदा किया जाता है, तो टीडीआर सर्टिफिकेट से निर्धारित बचे हुए प्लॉट एरिया के अलावा आप सौदा कर सकेंगे, क्योंकि टीडीआर सर्टिफिकेट से बिल्डर को प्लॉट पर अतिरिक्त हिस्से पर निर्माण की अनुमति मिलेगी, जिसका बिल्डर को फायदा मिलेगा. प्लॉट की बिक्री के साथ यह अधिकार पत्र भी हस्तांतरित हो जाएगा.

टीडीआर को बेच भी सकेंगे जमीन मालिक

जमीन मालिकों के लिए यह टीडीआर शेयर की तरह होंगे. इन्हें भूमि स्वामी किसी बिल्डर को बेच भी सकेंगे. टीडीआर सर्टिफिकेट के लिए भूमि स्वामी को ऑनलाइन आवेदन करना होता है. टीडीआर किसे दिया गया, इसकी ऑनलाइन जानकारी उपलब्ध होगी. ऐसे में बिल्डर को अतिरिक्त एफएआर की जरूरत होने पर वह भूमि स्वामी से इसे खरीद भी सकेगा. भूमि स्वामी एक बार में कम से कम 50 यूनिट तक एफएआर (फ्लोर एरिया रेशियो) बेच सकेगा.

भोपाल: प्रदेश में किसी सरकारी प्रोजेक्ट में निजी भूमि आती है, तो मुआवजे के तौर पर सरकार अतिरिक्त टीडीआर यानी ट्रांसफरेबल डेवलपमेंट राइट्स देगी. यह एक तरह का फिक्स डिपोजिट होगा. इसे या तो भूमि स्वामी बची हुई भूमि पर अतिरिक्त एफएआर (फ्लोर एरिया रेशियो) के साथ निर्माण कर सकेगा या फिर डेवलपर्स भी इसका उपयोग कर सकेंगे. मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव नगरीय महिला जनप्रतिनिधि सम्मेलन में इसे लांच करने जा रहे हैं. टीडीआर से जुड़े नियम पोर्टल में पहले ही अपलोड किए जा चुके हैं. मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि '24 मीटर और अधिक चौड़ी सड़क होने यदि एक इंच भी जमीन किसी की जाएगी, तो उसे एफएआर बेचकर मुआवजा मिल सकेगा. फिलहाल यह योजना मध्यप्रदेश की 7 नगर निगम उज्जैन, इंदौर, भोपाल, जबलपुर, ग्वालियर, सतना, रीवा में शुरू की गई है, जल्द ही बाकी सभी नगर निगम में इसे लागू किया जाएगा.

टीडीआर का कैसे होगा फायदा... समझें

आमतौर पर नगरीय निकायों में यदि किसी निजी व्यक्ति की कोई भूमि किसी निर्माण से जुड़े प्रोजेक्ट में जाती है, तो भारी-भरकम मुआवजा देना सरकार पर वित्तीय रूप से बेहद भारी पड़ रहा था, क्योंकि कलेक्टर गाइडलाइन के हिसाब से जितनी जमीन गई है. उसका दोगुना मुआवजा देना होता था. ऐसे में अब भूमि स्वामी को मुआवजे के तौर पर उन्हें टीडीआर दिया जाएगा. इसका उपयोग भूमि स्वामी बचे हुए प्लॉट पर अतिरिक्त निर्माण के रूप में कर सकेंगे. इसे इस तरह से समझा जा सकता है, जैसे यदि आपके पास 1 हजार वर्गफीट का प्लॉट है. नियम के तौर पर इस पर अधिकतम निर्माण 1500 वर्गफीट तक ही किया जा सकता है. इसके अतिरिक्त निर्माण को अवैध माना जाएगा. अब यदि इसमें से पहले 200 वर्ग फीट जमीन किसी प्रोजेक्ट में चली गई है और आपको टीडीआर सर्टिफिकेट मिला है, तो इस प्लॉट पर 1500 वर्गफीट के स्थान पर 1800 वर्ग फीट तक निर्माण किया जा सकेगा.

बेचने पर कैसे मिलेगा फायदा

यदि प्रोजेक्ट में प्लॉट का हिस्सा जाने के बाद यदि आपके पास 2 हजार स्क्वायर फीट का प्लॉट बचा है. यदि इस बचे हुए प्लॉट को किसी बिल्डर या डेवलपर के साथ सौदा किया जाता है, तो टीडीआर सर्टिफिकेट से निर्धारित बचे हुए प्लॉट एरिया के अलावा आप सौदा कर सकेंगे, क्योंकि टीडीआर सर्टिफिकेट से बिल्डर को प्लॉट पर अतिरिक्त हिस्से पर निर्माण की अनुमति मिलेगी, जिसका बिल्डर को फायदा मिलेगा. प्लॉट की बिक्री के साथ यह अधिकार पत्र भी हस्तांतरित हो जाएगा.

टीडीआर को बेच भी सकेंगे जमीन मालिक

जमीन मालिकों के लिए यह टीडीआर शेयर की तरह होंगे. इन्हें भूमि स्वामी किसी बिल्डर को बेच भी सकेंगे. टीडीआर सर्टिफिकेट के लिए भूमि स्वामी को ऑनलाइन आवेदन करना होता है. टीडीआर किसे दिया गया, इसकी ऑनलाइन जानकारी उपलब्ध होगी. ऐसे में बिल्डर को अतिरिक्त एफएआर की जरूरत होने पर वह भूमि स्वामी से इसे खरीद भी सकेगा. भूमि स्वामी एक बार में कम से कम 50 यूनिट तक एफएआर (फ्लोर एरिया रेशियो) बेच सकेगा.

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