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मोहन यादव का एक स्टेप, फिर हीरे सी चमकेगी मध्य प्रदेश की नदियां, गांव-शहर भी होंगे चकाचक

मध्य प्रदेश की नदियों को नया जीवनदान मिलेगा. नमामि गंगे योजना के तहत केंद्र सरकार मोहन सरकार को 1400 करोड़ रुपए देने जा रही है.

MP RIVERS WILL CLEANED
हीरे सी चमकेगी मध्य प्रदेश की नदियां (Getty Image)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Oct 11, 2024, 4:28 PM IST

Updated : Oct 11, 2024, 5:26 PM IST

भोपाल: मध्य प्रदेश में नमामि गंगे योजना के तहत गंगा की सहायक नदियों को स्वच्छ और निर्मल बनाने के लिए केंद्र सरकार 1400 करोड़ रुपये देने जा रहा है. इससे न सिर्फ गंगा की सहायक नदियां, बल्कि इसके किनारे बसे गांव और शहरों का भी कायाकल्प होगा. इससे स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर भी प्राप्त होंगे. मध्य प्रदेश से गुजरने वाली गंगा की 10 सहयक नदियों में सीवेज और गंदगी रोकने के लिए अभी ट्रीटमेंट प्लांट बनाए जा रहे हैं. इसके बाद आगे का काम किया जाएगा.

इन जिलों के गांव और नगरों का होगा कायाकल्प

नगरीय प्रशासन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि 'गंगा की सहायक नदियां मध्य प्रदेश के रतलाम, आगर मालवा, उज्जैन, इंदौर, दमोह, शाजापुर, राजगढ़, सीहोर, भोपाल, रायसेन, विदिशा, गुना, अशोकनगर, श्योपुर, शिवपुरी, मुरैना, ग्वालियर, भिंड, दतिया, टीकमगढ़, सागर, छिंदवाड़ा, दमोह, पन्ना, कटनी, सतना, उमरिया, कटनी, रीवा, सीधी, सिंगरौली और शहडोल जिले के ग्रामीण व नगरीय क्षेत्रों से होकर गुजरती है. इन स्थानों का सौंदर्यीकरण किया जाएगा. जिससे पर्यटन को बढ़ावा दिया जा सके. वहीं साफ-सफाई और सीवेज के प्रयास किए जाएंगे. जिससे नदी में गंदगी न मिलें.

MP VILLAGE CITY WILL CLEANED
एमपी की नदियों की होगी सफाई (Getty Image)

मध्य प्रदेश से गुजरने वाली गंगा की सहायक नदियां

मध्य प्रदेश से गुजरने वाली चंबल नदी गंगा की सबसे बड़ी सहायक नदी है. जो यमुना से मिलती है. वहीं सिंध, केन और बेतवा भी यमुना से मिलती है. ताप्ती नर्मदा की सहायक नदी है, लेकिन इसकी कुछ सहायक नदियां गंगा की सहायक नदियों से मिलती हैं. महानंदा नदी गंगा से मिलती है. इसी तरह अमरावती नदी ताप्ती से मिलती है, लेकिन इसकी भी कुछ सहायक नदियां गंगा से मिलती हैं. असान नदी चंबल में मिलती है, जो बाद में यमुना से मिल जाती है. परवन नदी भी चंबल में मिलती है. इसी तरह शिप्रा नदी भी चंबल में मिलती है, जो बाद में यमुना में मिल जाती है.

MP Rivers will Cleaned
एमपी की नदियां चमकेगी (ETV Bharat)

1400 करोड़ रुपये से होंगे ये काम

गंगा की सहायक नदियों को साफ करने और इसके आसपास के गांव व शहरों को सुंदर बनाने के लिए केंद्र सरकार नमामि गंगे योजना के तहत 1400 करोड़ रुपये खर्च करेगा. सबसे अधिक फोकस शहरों के सीवेज और नालों को नदियों में मिलने से रोकने में किया जाएगा. इसके लिए नदियों के किनारे सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाए जा रहे हैं. नदियों के किनारे घाट बनाकर इसके कटाव को रोका जाएगा. सभी नदियों के कैचमेंट में पौधरोपण कर हरियाली विकसित की जाएगी. नदी के किनारे स्थित निजी व सरकारी जमीन पर फलदार पौधे लगाने के लिए किसानों को अनुदान दिया जाएगा.

यहां पढ़ें...

नर्मदा घाट पर बसे शहर 100% बदल जाएंगे, मोहन सरकार का 1618 करोड़ का चमकाऊ प्लान

चंबल नदी पर सिग्नेचर ब्रिज से बीहड़ में मुंबई सा नजारा, 130 करोड़ से चमकेगा बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे

गंगा को साफ बनाने 2026 से चल रहा प्रयास

नगरीय प्रशासन विभाग के आयुक्त भरत यादव ने बताया कि 'साल 2016 से गंगा को स्वच्छ बनाने के लिए केंद्र और राज्य सरकारें काम कर रही हैं. इस दौरान नदी में मुर्तियों का विसर्जन, नाले और मल को नदी के पानी में मिलने और खनन को रोकने का प्रयास किया गया है. जो काफी हद तक सफल भी रहा. अब नमामि गंगे योजना के तहत गंगा कह सहायक नदियों में सीवेज और नालों के पानी को मिलने से रोका जाएगा. वहीं नदी के किनारे बसे शहर और गांव का भी कायाकल्प किया जाएगा.

भोपाल: मध्य प्रदेश में नमामि गंगे योजना के तहत गंगा की सहायक नदियों को स्वच्छ और निर्मल बनाने के लिए केंद्र सरकार 1400 करोड़ रुपये देने जा रहा है. इससे न सिर्फ गंगा की सहायक नदियां, बल्कि इसके किनारे बसे गांव और शहरों का भी कायाकल्प होगा. इससे स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर भी प्राप्त होंगे. मध्य प्रदेश से गुजरने वाली गंगा की 10 सहयक नदियों में सीवेज और गंदगी रोकने के लिए अभी ट्रीटमेंट प्लांट बनाए जा रहे हैं. इसके बाद आगे का काम किया जाएगा.

इन जिलों के गांव और नगरों का होगा कायाकल्प

नगरीय प्रशासन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि 'गंगा की सहायक नदियां मध्य प्रदेश के रतलाम, आगर मालवा, उज्जैन, इंदौर, दमोह, शाजापुर, राजगढ़, सीहोर, भोपाल, रायसेन, विदिशा, गुना, अशोकनगर, श्योपुर, शिवपुरी, मुरैना, ग्वालियर, भिंड, दतिया, टीकमगढ़, सागर, छिंदवाड़ा, दमोह, पन्ना, कटनी, सतना, उमरिया, कटनी, रीवा, सीधी, सिंगरौली और शहडोल जिले के ग्रामीण व नगरीय क्षेत्रों से होकर गुजरती है. इन स्थानों का सौंदर्यीकरण किया जाएगा. जिससे पर्यटन को बढ़ावा दिया जा सके. वहीं साफ-सफाई और सीवेज के प्रयास किए जाएंगे. जिससे नदी में गंदगी न मिलें.

MP VILLAGE CITY WILL CLEANED
एमपी की नदियों की होगी सफाई (Getty Image)

मध्य प्रदेश से गुजरने वाली गंगा की सहायक नदियां

मध्य प्रदेश से गुजरने वाली चंबल नदी गंगा की सबसे बड़ी सहायक नदी है. जो यमुना से मिलती है. वहीं सिंध, केन और बेतवा भी यमुना से मिलती है. ताप्ती नर्मदा की सहायक नदी है, लेकिन इसकी कुछ सहायक नदियां गंगा की सहायक नदियों से मिलती हैं. महानंदा नदी गंगा से मिलती है. इसी तरह अमरावती नदी ताप्ती से मिलती है, लेकिन इसकी भी कुछ सहायक नदियां गंगा से मिलती हैं. असान नदी चंबल में मिलती है, जो बाद में यमुना से मिल जाती है. परवन नदी भी चंबल में मिलती है. इसी तरह शिप्रा नदी भी चंबल में मिलती है, जो बाद में यमुना में मिल जाती है.

MP Rivers will Cleaned
एमपी की नदियां चमकेगी (ETV Bharat)

1400 करोड़ रुपये से होंगे ये काम

गंगा की सहायक नदियों को साफ करने और इसके आसपास के गांव व शहरों को सुंदर बनाने के लिए केंद्र सरकार नमामि गंगे योजना के तहत 1400 करोड़ रुपये खर्च करेगा. सबसे अधिक फोकस शहरों के सीवेज और नालों को नदियों में मिलने से रोकने में किया जाएगा. इसके लिए नदियों के किनारे सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाए जा रहे हैं. नदियों के किनारे घाट बनाकर इसके कटाव को रोका जाएगा. सभी नदियों के कैचमेंट में पौधरोपण कर हरियाली विकसित की जाएगी. नदी के किनारे स्थित निजी व सरकारी जमीन पर फलदार पौधे लगाने के लिए किसानों को अनुदान दिया जाएगा.

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गंगा को साफ बनाने 2026 से चल रहा प्रयास

नगरीय प्रशासन विभाग के आयुक्त भरत यादव ने बताया कि 'साल 2016 से गंगा को स्वच्छ बनाने के लिए केंद्र और राज्य सरकारें काम कर रही हैं. इस दौरान नदी में मुर्तियों का विसर्जन, नाले और मल को नदी के पानी में मिलने और खनन को रोकने का प्रयास किया गया है. जो काफी हद तक सफल भी रहा. अब नमामि गंगे योजना के तहत गंगा कह सहायक नदियों में सीवेज और नालों के पानी को मिलने से रोका जाएगा. वहीं नदी के किनारे बसे शहर और गांव का भी कायाकल्प किया जाएगा.

Last Updated : Oct 11, 2024, 5:26 PM IST
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