भोपाल: मध्य प्रदेश वन विभाग ने जंगली हाथियों के बचाव, पुनर्वास और बेहतर प्रबंधन के लिए हाथी सलाहकार समिति का गठन किया है. एक अधिकारी ने गुरुवार को यह जानकारी दी. यह कदम पिछले महीने मध्य प्रदेश के उमरिया जिले में बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व (बीटीआर) में 10 हाथियों की मौत के बाद उठाया गया है. अधिकारियों के अनुसार, विसरा रिपोर्ट से पता चला है कि हाथियों में विषाक्तता बड़ी मात्रा में कोदो बाजरा के पौधों के सेवन से आई थी.
समिति में देहरादून के हाथी विशेषज्ञ शामिल
कार्यकारी निर्देश देने वाले प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) वीकेएन अंबाडे ने पीटीआई को बताया, "अतिरिक्त प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) की अध्यक्षता में नौ सदस्यीय समिति के गठन के लिए बुधवार को एक आदेश जारी किया गया है. समिति में बाघ अभयारण्यों के क्षेत्र निदेशक और भारतीय वन्यजीव संस्थान, देहरादून से एक हाथी विशेषज्ञ शामिल होंगे. यह हाथियों को पकड़ने और उनके पुनर्वास के बारे में सलाह देंगे. इससे जंगल में हाथियों के प्रबंधन को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी. क्योंकि जंगली हाथियों को हमेशा के लिए कैद में नहीं रख सकते.'' वीकेएन अंबाडे ने कहा, "समिति की सलाह और विचार हाथियों को बचाने के लिए बिना किसी हड़बड़ी के उचित चर्चा करने में काम आएंगे.''
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हाथियों की मौत से हडकंप, दो अधिकारी निलंबित
बता दें कि, पिछले सप्ताह बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के बीटीआर में एक आक्रामक हाथी ने दो लोगों को कुचलकर मार डाला और एक अन्य व्यक्ति को घायल कर दिया. रविवार शाम को हाथी को बेहोश करके पकड़ लिया गया. 34 घंटे से अधिक समय तक हाथी को बेहोश करके रका गया. 29 अक्टूबर को बीटीआर के खलील रेंज के अंतर्गत सांखनी और बकेली में चार जंगली हाथी मृत पाए गए, जबकि 30 अक्टूबर को चार और 31 अक्टूबर को दो अन्य की मौत हो गई. मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने मौतों के संबंध में एक उच्च स्तरीय जांच दल द्वारा अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत किए जाने के बाद रविवार को बीटीआर के दो वरिष्ठ अधिकारियों को लापरवाही के लिए निलंबित कर दिया.