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मोहन यादव सरकार डॉक्टर्स पर करने जा रही सख्ती, लेकिन मिलेगा अलग से भत्ता

मध्य प्रदेश में स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर करने मोहन यादव सरकार नए कदम उठाए हैं. जिसमें डॉक्टरों को अलग से भत्ता भी दिया जाएगा.

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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : 2 hours ago

MP BAN DOCTORS PRIVATE PRACTICE
मोहन यादव सरकार डॉक्टर्स पर करने जा रही सख्ती (Mohan Yadav X Image)

भोपाल: मध्य प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में डॉक्टर्स की बेहतर सेवाओं के लिए अब सरकार डॉक्टरों पर सख्ती करने की तैयारी कर रही है. राज्य सरकार अब डॉक्टर्स की प्राइवेट प्रैक्टिस पर रोक लगाने की तैयारी कर रही है. इसकी शुरूआत प्रदेश में नए बनने वाले सहायक प्राध्यापकों से की जाएगी. इनकी नियुक्ति के समय शर्तों में निजी प्रैक्टिस पर रोक का प्रावधान भी होगा. सरकार यह कदम इसलिए उठा रही है, ताकि मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर्स बेहतर तरीके से अपनी सेवाएं दे सकें.

मेडिकल कॉलेजों में खाली हैं जगह

प्रदेश में सरकारी मेडिकल कॉलेजों की संख्या लगातार बढ़ रही है. प्रदेश में अब 17 सरकारी मेडिकल कॉलेज हो चुके हैं. एमपी में सिवनी, मंदसौर और नीमच के बाद श्योपुर, सिंगरौली और बुधनी में भी मेडिकल कॉलेज शुरू किया गया है. इन मेडिकल कॉलेजों में टीचिंग फैकल्टी की नियुक्ति जल्द की जा रही है. बताया जा रहा है कि इनकी नियुक्ति की शर्तों में एक अहम शर्त प्राइवेट प्रैक्टिस पर रोक की भी शामिल होगी. चिकित्सा शिक्षा संचालनालय इस संबंध में प्रस्ताव तैयार कर रहा है.

प्राइवेट प्रैक्टिस पर रोक के लिए मिलेगा अलग से भत्ता

प्राइवेट प्रैक्टिस पर रोक लगाने के एवज में सरकार डॉक्टर्स को अलग से भत्ता भी देने पर विचार कर रही है. ताकि डॉक्टर्स सरकारी मेडिकल कॉलेज में आने से न हिचके. डॉक्टर्स प्रदेश के छोटे शहरों में खुल रहे मेडिकल कॉलेज में जाने से भी आनाकानी करते हैं. ऐसे में अतिरिक्त अलाउंस देकर डॉक्टर्स को सरकारी मेडिकल कॉलेजों में भर्ती के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा.

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राज्य सरकार के डॉक्टर्स पर पहले से है रोक

मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर्स और टीचिंग फैकल्टी पर प्राइवेट प्रैक्टिस पर रोक नहीं है. इसकी वजह से कई शिकायतें मिलती हैं कि डॉक्टर्स मेडिकल कॉलेज के डॉस्पिटल में सेवाएं न देकर निजी हॉस्पिटल और प्राइवेट प्रैक्टिस करते हैं. इसकी वजह से कई डॉक्टर्स के देर से पहुंचने या जल्दी चले जाने की शिकायत मिलती है. साथ ही मेडिकल कॉलेजों में रिसर्च पर भी ध्यान नहीं दिया जाता. हालांकि राज्य सरकार के डॉक्टर्स पर पहले से प्राइवेट प्रैक्टिस पर रोक लगी हुई है.

भोपाल: मध्य प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में डॉक्टर्स की बेहतर सेवाओं के लिए अब सरकार डॉक्टरों पर सख्ती करने की तैयारी कर रही है. राज्य सरकार अब डॉक्टर्स की प्राइवेट प्रैक्टिस पर रोक लगाने की तैयारी कर रही है. इसकी शुरूआत प्रदेश में नए बनने वाले सहायक प्राध्यापकों से की जाएगी. इनकी नियुक्ति के समय शर्तों में निजी प्रैक्टिस पर रोक का प्रावधान भी होगा. सरकार यह कदम इसलिए उठा रही है, ताकि मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर्स बेहतर तरीके से अपनी सेवाएं दे सकें.

मेडिकल कॉलेजों में खाली हैं जगह

प्रदेश में सरकारी मेडिकल कॉलेजों की संख्या लगातार बढ़ रही है. प्रदेश में अब 17 सरकारी मेडिकल कॉलेज हो चुके हैं. एमपी में सिवनी, मंदसौर और नीमच के बाद श्योपुर, सिंगरौली और बुधनी में भी मेडिकल कॉलेज शुरू किया गया है. इन मेडिकल कॉलेजों में टीचिंग फैकल्टी की नियुक्ति जल्द की जा रही है. बताया जा रहा है कि इनकी नियुक्ति की शर्तों में एक अहम शर्त प्राइवेट प्रैक्टिस पर रोक की भी शामिल होगी. चिकित्सा शिक्षा संचालनालय इस संबंध में प्रस्ताव तैयार कर रहा है.

प्राइवेट प्रैक्टिस पर रोक के लिए मिलेगा अलग से भत्ता

प्राइवेट प्रैक्टिस पर रोक लगाने के एवज में सरकार डॉक्टर्स को अलग से भत्ता भी देने पर विचार कर रही है. ताकि डॉक्टर्स सरकारी मेडिकल कॉलेज में आने से न हिचके. डॉक्टर्स प्रदेश के छोटे शहरों में खुल रहे मेडिकल कॉलेज में जाने से भी आनाकानी करते हैं. ऐसे में अतिरिक्त अलाउंस देकर डॉक्टर्स को सरकारी मेडिकल कॉलेजों में भर्ती के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा.

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राज्य सरकार के डॉक्टर्स पर पहले से है रोक

मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर्स और टीचिंग फैकल्टी पर प्राइवेट प्रैक्टिस पर रोक नहीं है. इसकी वजह से कई शिकायतें मिलती हैं कि डॉक्टर्स मेडिकल कॉलेज के डॉस्पिटल में सेवाएं न देकर निजी हॉस्पिटल और प्राइवेट प्रैक्टिस करते हैं. इसकी वजह से कई डॉक्टर्स के देर से पहुंचने या जल्दी चले जाने की शिकायत मिलती है. साथ ही मेडिकल कॉलेजों में रिसर्च पर भी ध्यान नहीं दिया जाता. हालांकि राज्य सरकार के डॉक्टर्स पर पहले से प्राइवेट प्रैक्टिस पर रोक लगी हुई है.

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