बारां : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने कहा कि स्वयंसेवक का बस्ती में सर्वत्र संपर्क हो. समाज को संबल देकर बस्ती के अभावों को दूर करने का प्रयास करना चाहिए. समाज में सामाजिक समरसता, सामाजिक न्याय, सामाजिक आरोग्य, शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वावलंबन के लिए आग्रह रहना चाहिए. स्वयंसेवक गतिविधि कार्य में भी सक्रिय रहें. समाज की छोटी इकाई परिवार में समरसता-सद्भावना, पर्यावरण, कुटुंब प्रबोधन, स्वदेशी और नागरिक बोध को सहज बना सकते हैं. वहीं, जीवन में छोटी-छोटी बातों को आचरण में लाने से समाज और राष्ट्र की उन्नति में बड़ा योगदान दिया जा सकता है.
मैं और मेरे परिवार से समाज नहीं बनता : उन्होंने कहा कि हिंदू समाज को अपनी सुरक्षा के लिए भाषा, जाति, प्रांत के भेद व विवाद मिटाकर संगठित होना होगा. समाज ऐसा हो, जहां संगठन, सद्भावना और आत्मीयता का व्यवहार हो. समाज में आचरण का अनुशासन, राज्य के प्रति कर्तव्य व ध्येय निष्ठ होने का गुण आवश्यक है. मैं व मेरा परिवार मात्र से समाज नहीं बनता है, बल्कि हमें समाज की सर्वांगीण चिंता से अपने जीवन में भगवान को प्राप्त करना है.
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संघ कार्य यंत्रवत नहीं : उन्होंने कहा कि संघ कार्य यंत्रवत नहीं, बल्कि विचार आधारित है. संघ कार्य की तुलना में योग्य कार्य विश्व में नहीं है. उपमा के तौर पर सागर सागर जैसा है, गगन गगन जैसा है, वैसा ही संघ भी संघ जैसा ही है. संघ की किसी से तुलना नहीं हो सकती है. संघ से संस्कार गटनायक में जाते हैं, गटनायक से स्वयंसेवक और स्वयंसेवक से परिवार तक जाते हैं. परिवार से मिलकर समाज बनता है. संघ में व्यक्ति निर्माण की यही पद्धति है.
भारत की वैश्विक प्रतिष्ठा हमारी ताकत का प्रतिबिंब : भागवत ने कहा कि भारत की वैश्विक प्रतिष्ठा सीधे उसकी ताकत से जुड़ी है. जब कोई राष्ट्र मजबूत होता है तो उसके लोग चाहे वे घर पर हों या विदेश में सुरक्षित और सम्मानित होते हैं. इसके विपरीत कमजोर देशों के लोगों को अक्सर निष्कासन का सामना करना पड़ता है. इसलिए प्रत्येक नागरिक के लिए भारत की तेजी से वृद्धि और विकास में योगदान देना आवश्यक है.
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भारत एक हिंदू राष्ट्र : उन्होंने दोहराया कि भारत स्वाभाविक रूप से एक हिंदू राष्ट्र है. यह वास्तविकता इसके प्राचीन इतिहास में निहित है. हालांकि हिन्दू शब्द बाद में उभरा, लेकिन यह भारत के विविध संप्रदायों का प्रतिनिधित्व करने लगा. उन्होंने समझाया कि हिंदुओं ने हमेशा दूसरों को गले लगाया है. यह पहचानते हुए कि हम सही हैं और आप अपने दृष्टिकोण में सही हैं. निरंतर संवाद और पारस्परिक सम्मान के माध्यम से सामंजस्यपूर्ण जीवन प्राप्त किया जाता है.
वहीं, कार्यक्रम के दौरान मंच डॉ. मोहन भागवत के साथ राजस्थान क्षेत्र संघचालक डॉ. रमेश अग्रवाल, चित्तौड़ प्रांत संघचालक जगदीश सिंह राणा, बारां विभाग संघचालक रमेश चंद मेहता और बारां जिला संघचालक वैद्य राधेश्याम गर्ग सहित संघ के कई प्रमुख नेता मौजूद थे. इधर, स्वयंसेवक एकत्रीकरण कार्यक्रम में अखिल भारतीय सह प्रचारक प्रमुख अरुण जैन, अखिल भारतीय कार्यकारिणी के सदस्य सुरेश चंद्र, वरिष्ठ प्रचारक राजेंद्र, क्षेत्र प्रचारक निंबाराम, क्षेत्र कार्यवाह जसवंत खत्री, क्षेत्र सेवा प्रमुख शिव लहरी सहभागी रहे. इस नगर एकत्रीकरण में 3827 स्वयंसेवक शामिल हुए थे.