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फायर ब्रिगेड की बढ़ेगी ताकत, मध्य प्रदेश में जल्द लागू होगा फायर सेफ्टी एक्ट, ऐसे बदल जाएगा पूरा सिस्टम

नगरीय प्रशासन विभाग ने कैबिनेट में भेजी मॉडल फायर एक्ट की फाइल, जानिए लागू होते ही क्या-क्या बदल जाएंगे नियम.

MADHYA PRADESH MODEL FIRE ACT
मध्य प्रदेश में जल्द लागू होगा फायर सेफ्टी एक्ट (फाइल फोटो) (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : 2 hours ago

भोपाल: मध्य प्रदेश में लंबे समय से फायर सेफ्टी एक्ट लागू करने की कोशिश की जा रही है. एक बार फिर नगरीय प्रशासन विभाग ने मॉडल फायर एक्ट की फाइल कैबिनेट में भेजी है. अधिकारियों के मुताबिक, संभवतः दिसंबर में आयोजित होने वाले विधानसभा सत्र में सरकार इस एक्ट को हरी झंडी दे सकती है. इस एक्ट के प्रभावी होने से जहां आग की घटनाओं पर पीड़ितों को मुआवजा मिल सकेगा, वहीं लापरवाही बरतने वालों से तगड़ा जुर्माना भी वसूला जाएगा.

तहसील स्तर पर खुलेंगे फायर स्टेशन

एक्ट प्रभावी होने के बाद सुविधाएं बढ़ेंगी. हर जिले में विभागीय कार्यालय खोलने के साथ ही तहसील स्तर पर फायर स्टेशन खुलेंगे. आग लगने पर अग्निशमन अधिकारी जांच करेंगे और कमी मिलने पर कार्रवाई का अधिकार होगा. नुकसान की क्षतिपूर्ति मिलेगी और जनसंख्या के आधार पर अग्निशमन सुविधाओं का विस्तार भी किया जाएगा. सहायक यंत्री स्तर के अधिकारी या अग्निशमन के विशेषज्ञों को फायर ऑफिसर का प्रभार सौंपा जाएगा. लोगों को आवेदन करने के लिए भटकना नहीं पड़ेगा. मात्र 30 दिन के अंदर फायर एनओसी मिलेगी.

फायर ऑफिसर को मिलेंगे मजिस्ट्रियल पावर

अग्नि दुर्घटना होने पर यदि अग्निशमन अधिकारी को लगता है कि लापरवाही बरती गई है तो संबंधित संस्था को सील किया जा सकेगा. फायर एनओसी नहीं लेने पर नोटिस देने के अधिकार भी मिल जाएंगे. भीड़-भाड़ या उत्पात की स्थिति में फायर ऑफिसर के पास धारा 144 लगाने का अधिकार होगा. यदि किसी बहुमंजिला इमारत पर स्कूल, कोचिंग, अस्पताल, शॉपिंग मॉल या अन्य संस्थान चल रहे होंगे तो वहां अग्निशमन अधिकारी कभी भी निरीक्षण कर सकेगा.

5 साल से लागू होने का इंतजार

बता दें कि वर्ष 2016 में मध्य प्रदेश में फायर एक्ट लागू करने के निर्देश दिए गए थे. इसके बाद साल 2019 में मॉडल फायर एक्ट बनाया गया. इसे मंत्री परिषद में पास होने के लिए भेजा गया, लेकिन उसी समय केंद्रीय फायर एक्ट में कुछ बदलाव हो गए. इसके बाद फाइल वापस नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग को भेज दी गई. वर्ष 2020 में इसमें बदलाव कर फिर से प्रमुख सचिव के पास भेजा गया, लेकिन मंत्री परिषद में रखने से पहले ही कांग्रेस की सरकार बदल गई. इसके बाद शिवराज सरकार में जबलपुर के अस्पताल में आग लगने के बाद फिर से इस पर चर्चा शुरू हो गई.

लागू होते ही देखने मिलेंगे बड़े बदलाव

तत्कालीन नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेंद्र सिंह ने एक्ट को जल्दी बनाकर मंत्री परिषद में भेजने निर्देश दिए, लेकिन इसके कुछ दिनों बाद विधानसभा चुनाव 2023 के कारण ये एक्ट लागू नहीं हो पाया. अब एक बार फिर इसे नगरीय प्रशासन विभाग ने शासन को भेजा है. नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग के आयुक्त भरत यादव ने बताया, '' संचालनालय द्वारा मॉडल फायर एक्ट (अग्निशमन एवं आपातकालीन सेवा अधिनियम 2022) बनाकर विभाग के पीएस को भेजा है. वहां से हरी झंडी मिलने के बाद इसे कैबिनेट में रखा जाएगा. इसके लागू होते ही प्रदेश में इस संबंध में बड़े बदलाव देखने को मिलेंगे.''

भोपाल: मध्य प्रदेश में लंबे समय से फायर सेफ्टी एक्ट लागू करने की कोशिश की जा रही है. एक बार फिर नगरीय प्रशासन विभाग ने मॉडल फायर एक्ट की फाइल कैबिनेट में भेजी है. अधिकारियों के मुताबिक, संभवतः दिसंबर में आयोजित होने वाले विधानसभा सत्र में सरकार इस एक्ट को हरी झंडी दे सकती है. इस एक्ट के प्रभावी होने से जहां आग की घटनाओं पर पीड़ितों को मुआवजा मिल सकेगा, वहीं लापरवाही बरतने वालों से तगड़ा जुर्माना भी वसूला जाएगा.

तहसील स्तर पर खुलेंगे फायर स्टेशन

एक्ट प्रभावी होने के बाद सुविधाएं बढ़ेंगी. हर जिले में विभागीय कार्यालय खोलने के साथ ही तहसील स्तर पर फायर स्टेशन खुलेंगे. आग लगने पर अग्निशमन अधिकारी जांच करेंगे और कमी मिलने पर कार्रवाई का अधिकार होगा. नुकसान की क्षतिपूर्ति मिलेगी और जनसंख्या के आधार पर अग्निशमन सुविधाओं का विस्तार भी किया जाएगा. सहायक यंत्री स्तर के अधिकारी या अग्निशमन के विशेषज्ञों को फायर ऑफिसर का प्रभार सौंपा जाएगा. लोगों को आवेदन करने के लिए भटकना नहीं पड़ेगा. मात्र 30 दिन के अंदर फायर एनओसी मिलेगी.

फायर ऑफिसर को मिलेंगे मजिस्ट्रियल पावर

अग्नि दुर्घटना होने पर यदि अग्निशमन अधिकारी को लगता है कि लापरवाही बरती गई है तो संबंधित संस्था को सील किया जा सकेगा. फायर एनओसी नहीं लेने पर नोटिस देने के अधिकार भी मिल जाएंगे. भीड़-भाड़ या उत्पात की स्थिति में फायर ऑफिसर के पास धारा 144 लगाने का अधिकार होगा. यदि किसी बहुमंजिला इमारत पर स्कूल, कोचिंग, अस्पताल, शॉपिंग मॉल या अन्य संस्थान चल रहे होंगे तो वहां अग्निशमन अधिकारी कभी भी निरीक्षण कर सकेगा.

5 साल से लागू होने का इंतजार

बता दें कि वर्ष 2016 में मध्य प्रदेश में फायर एक्ट लागू करने के निर्देश दिए गए थे. इसके बाद साल 2019 में मॉडल फायर एक्ट बनाया गया. इसे मंत्री परिषद में पास होने के लिए भेजा गया, लेकिन उसी समय केंद्रीय फायर एक्ट में कुछ बदलाव हो गए. इसके बाद फाइल वापस नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग को भेज दी गई. वर्ष 2020 में इसमें बदलाव कर फिर से प्रमुख सचिव के पास भेजा गया, लेकिन मंत्री परिषद में रखने से पहले ही कांग्रेस की सरकार बदल गई. इसके बाद शिवराज सरकार में जबलपुर के अस्पताल में आग लगने के बाद फिर से इस पर चर्चा शुरू हो गई.

लागू होते ही देखने मिलेंगे बड़े बदलाव

तत्कालीन नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेंद्र सिंह ने एक्ट को जल्दी बनाकर मंत्री परिषद में भेजने निर्देश दिए, लेकिन इसके कुछ दिनों बाद विधानसभा चुनाव 2023 के कारण ये एक्ट लागू नहीं हो पाया. अब एक बार फिर इसे नगरीय प्रशासन विभाग ने शासन को भेजा है. नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग के आयुक्त भरत यादव ने बताया, '' संचालनालय द्वारा मॉडल फायर एक्ट (अग्निशमन एवं आपातकालीन सेवा अधिनियम 2022) बनाकर विभाग के पीएस को भेजा है. वहां से हरी झंडी मिलने के बाद इसे कैबिनेट में रखा जाएगा. इसके लागू होते ही प्रदेश में इस संबंध में बड़े बदलाव देखने को मिलेंगे.''

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