सरगुजा : आज कल छोटे बच्चों में ना बोलने या अजीब हरकत करने के मामले बढ़ते जा रहे हैं. एक अनुवांशिक ऑटिज्म तो नहीं लेकिन लक्षण ऑटिज्म जैसे ही हैं. क्योंकि ऑटिज्म की बीमारी जन्म से मिलती है.जिसमें किसी भी एक नस के काम ना करने के कारण बच्चों में लक्षण देखने को मिलते हैं. लेकिन वर्तमान में बच्चों में एक बड़ी समस्या देखी जा रही है जो जन्मजात ऑटिज्म नही है. बल्कि छोटे बच्चों को मोबाइल और टीवी की लत लगते जा रही है.यदि आपके बच्चे को भी टीवी या मोबाइल की लत है तो ये हल्के में लेने वाली बात नहीं है.
टीवी और मोबाइल बच्चों को कर रहा बीमार : ईएनटी विभाग के ऑडियोलॉजिस्ट सत्य प्रकाश पैकरा ने बताया कि "ऑटिज्म के अभी जो लक्षण आ रहे हैं 90% मामले वो मोबाइल या स्क्रीनिंग, टीवी, कार्टून देखने की वजह से आ रहा है. पैरेंट्स अपने अपने काम में व्यस्त हैं. छोटे बच्चों को मोबाइल दे रहे हैं इस कारण बच्चे सोशलाइज नही हो पा रहे हैं. इसके कारण ऑटिज्म का लक्षण देखा जा रहा है, बच्चे हाइपर हो रहे हैं. बोलने में दिक्कत हो रही है. बात नहीं सुनता है, वो बच्चा सुन पाता है, लेकिन स्क्रीनिंग की वजह से वो सुनकर रिएक्ट नही करता है. क्योंकि 3 साल की उम्र तक मोबाइल देने के कारण ब्रेन का विकास नहीं हो पाता है"
''इसके साथ बच्चे हाइपर हो जाते हैं, उछल कूद करते हैं, एक जगह बैठ नही पाते हैं. अजीब अजीब आवाजें निकालते है, आवाज कार्टून जैसी कर लेते हैं, ओरिजनल लैंग्वेज जैसे हिंदी या सरगुजिहा लैंग्वेज नही बोल पाते हैं. इससे बचने के लिये मोबाइल और टीवी से 12 साल की उम्र तक बच्चों को दूर रखने की कोशिश करें.'' सत्य प्रकाश पैकरा,ऑडियोलॉजिस्ट
कैसे दिखते हैं लक्षण ?: डॉक्टर की माने तो बच्चे के जन्म के बाद जैसे ही बच्चा थोड़ा जानने लगता है तो हम उसे मोबाइल दे देते हैं. 12 साल तक बिल्कुल भी मोबाइल नहीं देना चाहिए, क्योंकि 3 साल की उम्र तक बच्चों के दिमाग का 90% विकास हो जाता है. और 6 वर्ष की उम्र तक उनकी भाषा शैली विकसित हो जाती है. मोबाइल इस उम्र में देने से बहुत दिक्कत हो जाती है. इसे समझ कर जल्दी थेरेपी नही दी गई और भाषा का विकास हो गया तो फिर बहुत दिक्कत हो जाएगी.