रांचीः झारखंड की राजधानी रांची सहित अलग-अलग शहरों से चोरी किए गए मोबाइल अब बांग्लादेश के बाजारों में बिक रहे हैं. जिस गिरोह के सदस्य मोबाइल चोरी की वारदातों को अंजाम दे रहे हैं उनके लिए मोबाइल का आईएमईआई नंबर भी मायने नहीं रखता है. गिरोह के सदस्य इतने शातिर हैं कि चोरी के मोबाइल के आईएमईआई नंबर को भी बदल देते हैं.
साहिबगंज और फरक्का कनेक्शन से पहुंच रहा है मोबाइल बांग्लादेश
चार दिन पूर्व रांची के रातू के इलाके से पुलिस ने साहिबगंज के कुख्यात तीनपहाड़ चोर गिरोह के एक नाबालिग सहित छह सदस्यों को गिरफ्तार किया था. गिरफ्तार चोरों के पास से चोरी के 79 मोबाइल बरामद किए गए थे. गिरफ्तार चोरों ने पूछताछ में यह खुलासा किया था कि उनके द्वारा चोरी किए गए सभी मोबाइल बांग्लादेश भेज दिए जाते हैं . मोबाइल को बांग्लादेश भेजने के लिए साहिबगंज में बैठा उनका सरगना सारी व्यवस्था करता है.
मोबाइल चोर गिरोह के सरगना को पकड़ने का रांची पुलिस कर रही प्रयास
रांची के सीनियर एसपी चंदन कुमार सिन्हा ने बताया कि पूछताछ में खुलासा हुआ है कि चोरी के मोबाइल बांग्लादेश में बेच दिए जाते हैं. जहां उसकी नई पैकेजिंग कर उसे बाजार में खपा दिया जाता है. इस मामले में रांची पुलिस साहिबगंज पुलिस के संपर्क में है, ताकि तीनपहाड़ में बैठा मोबाइल चोर गिरोह के सरगना को पकड़ा जा सके.
भारत-बांग्लादेश बॉर्डर पर है मोबाइल चोरों का ठिकाना
पुलिस की पूछताछ में गिरफ्तार मोबाइल चोरों ने कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं. आरोपियों के अनुसार वे लोग झारखंड के कई शहरों से मोबाइल चोरी कर उसे भारत-बांग्लादेश सीमा पर स्थित फरक्का भेज देते थे. वहां गिरोह में शामिल कई बेहद टेक्निकल सदस्य एक्टिव हैं जो चोरी कर भेजे गए मोबाइल का ईएमआई नंबर और ऊपर का कवर बदलकर उसे बिल्कुल नया रूप दे देते हैं. मोबाइल को फॉर्मेट कर उसे फिर से नए डब्बे में पैक कर दिया जाता है. नई पैकिंग के बाद सभी मोबाइल बांग्लादेश भेज दिया जाता है. बांग्लादेश की दुकानों में चोरी के मोबाइल की खुलेआम बिक्री होती है.
पश्चिम बंगाल के फरक्का में है चोरों का कारखाना
भारत-बांग्लादेश के बॉर्डर पर पश्चिम बंगाल में फरक्का स्थित है, जहां पर मोबाइल चोरों का एक छोटा सा कारखाना है. झारखंड के अलग-अलग शहरों से चोरी के मोबाइल एजेंटों के माध्यम से फरक्का पहुंचाया जाता है और उसके बाद कारखाने में उसे नया रूप दिया जाता है.
जितने महंगे मोबाइल उतनी ज्यादा कीमत मिलती थी चोरों को
तीनपहाड़ गिरोह के सदस्य राजधानी रांची सहित दूसरे शहरों में घूम-घूम कर मोबाइल चोरी की घटनाओं को अंजाम देते हैं. जब एक साथ 100 से अधिक मोबाइल जमा हो जाते हैं, तब उसे फरक्का से आए एजेंट के हवाले कर दिया जाता है. मोबाइल चोरी करने वाले चोरों को 10 हजार के मोबाइल का तीन हजार रुपये, 20 हजार के मोबाइल का सात हजार रुपये मिलते थे.वहीं अगर 50,000 से ज्यादा के मोबाइल चोरी करने पर उन्हें उसके एवज में गिफ्ट भी मिलता है. साथ ही 20 हजार रुपये भी मिलते थे.
बच्चे और महिलाएं भी शामिल हैं मोबाइल चोर गिरोह में
तीनपहाड़ गिरोह में छोटे-छोटे बच्चे और महिलाएं भी शामिल हैं. महिलाएं और बच्चे मॉल में खरीदारी करने वाले लोगों के आसपास घूम कर उनके पर्स और पॉकेट से मोबाइल गायब कर तुरंत उसे बाहर खड़े पुरुष सदस्यों को दे देते हैं. इस दौरान अगर किसी बच्चे को शक के आधार पर पकड़ा भी जाता था तब भी उनके पास से मोबाइल बरामद नहीं हो पाता है.
झारखंड में मोबाइल चोरों का अलग-अलग ग्रुप है एक्टिव
साहिबगंज के तीनपहाड़ क्षेत्र से चोरों का एक बड़ा गिरोह झारखंड ही नहीं, बल्कि देश के अलग-अलग हिस्सों में मोबाइल चोरी का काम करता है. ये लोग एक साथ चोरी की वारदातों को अंजाम देने के लिए नहीं निकलते हैं, बल्कि अलग-अलग शहरों में 3 से 4 लोग जाते हैं. जब बहुत ज्यादा चोरियां इनके द्वारा अंजाम दे दी जाती है तब ये शहर बदल लेते हैं.
कितने मोबाइल की चोरी की यह भी याद नहीं
रांची से गिरफ्तार सभी छह अपराधी साहिबगंज के तीनपहाड़ क्षेत्र के ही रहने वाले हैं. गिरोह के सदस्य अलग-अलग समय में रांची में अलग-अलग मोहल्लों में किराए का मकान ले कर रहते थे. पूछताछ में आरोपियों ने बताया है कि उन्हें यह याद भी नहीं है कि उन्होंने अब तक कितनी मोबाइल चोरी की है, लेकिन दो हजार से ज्यादा मोबाइल अब तक वे बांग्लादेश भेज चुके हैं.
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