मनेन्द्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर : चिरमिरी क्षेत्र में नगर निगम के अलावा कोल इंडिया भी साफ सफाई के लिए करोड़ों रुपए खर्च करता है.लेकिन क्या इस खर्च का फायदा लोगों को हो रहा है. ईटीवी भारत ने जब इस हकीकत को जानना चाहा तो सच्चाई सामने आ गई.क्योंकि चिरमिरी के जो वार्ड एसईसीएल के अंतर्गत आते हैं वहां सफाई सिर्फ कागजों में हो रही है.एसईसीएल कॉलोनियों में टेंडर निकालकर करोड़ों रुपए का बंदरबाट किया जा रहा है.
ठेकेदारी प्रथा में कचरा मैनेजमेंट कहां ?: एसईसीएल ने ठेकेदारी प्रथा को आगे बढ़ाते हुए साफ सफाई का जिम्मा प्राइवेट हाथों को सौंपा है.स्वच्छता का दंभ भरने वाली कोल इंडिया के कॉलोनियों में नालियां बजबजा रही हैं.गंदगी के कारण चौक और चौराहे पटे पड़े हैं. जब स्वच्छता अभियान के कार्य को लेकर धरातल पर इसकी रिपोर्टिंग की गई तो पता चला कि स्वच्छता कार्य सिर्फ कागजों में होता है. ऐसा लग रहा है मानो बिल लगाकर स्वच्छता के नाम पर करोड़ों रुपए का सिविल विभाग से आहरण कर लिया जाता है.लेकिन सफाई के लिए विभागों ने अपनी आंखें मूंद ली है.
कौन है गंदगी का जिम्मेदार ? : इसे ठेकेदार की मनमानी कहे या एसईसीएल अफसरों की मिलीभगत,क्योंकि बिना दो कारणों के एसईसीएल की कॉलोनियां इतनी गंदी नहीं हो सकती हैं. एक ओर स्वच्छता अभियान चलाकर साफ सफाई की बात कही जा रही है.वहीं दूसरी ओर जिनके सिर पर कचरा प्रबंधन की जिम्मेदारी है,वो ही दूसरी फिराक में व्यस्त हैं. एसईसीएल कॉलोनियों में पसरी गंदगी के कारण लोग कई तरह की बीमारियों का शिकार हो रहे हैं.लेकिन अफसर से जब भी इस बारे में सवाल पूछे जाते हैं तो मुंह में ताला लग जाता है. इस बारे में जब नगर पालिका निगम चिरमिरी के कमिश्नर रामप्रसाद अचला से बात करने की कोशिश की गई तो आचार संहिता का हवाला देते हुए मीडिया को बाइट नहीं दी गई.