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पेड़ काटे जाने पर क्यों नहीं हुई अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई?, LG से मंत्री भारद्वाज के सवाल - Delhi Tree cutting case

दिल्ली के एलजी वीके सक्सेना पर स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज हमलावर हैं. रविवार को एक बार उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके राजधानी में पेड़ काटने के मामले को उठाया और LG पर गंभीर आरोप लगाए.

स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज
स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Aug 25, 2024, 6:44 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली सरकार ने एक बार फिर 1,100 से अधिक पेड़ काटे जाने का मुद्दा उठाया है. स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज ने रविवार को आरोप लगाया कि ये पेड़ बिना अनुमति के काटे गए हैं. उन्होंने दावा किया कि एलजी वीके सक्सेना पेड़ काटे जाने वाले स्थान पर 3 फरवरी 2024 को गए थे. कोर्ट ने अधिकारियों को इस मामले में एफिडेविट करने को कहा था.

उन्होंने कहा कि प्रिंसिपल फॉरेस्ट कंजर्वेटर के एफिडेविट से यह बात साबित हो गई है कि उपराज्यपाल खुद उस जगह पर गए थे, जहां पर 1100 पेड़ काटे गए थे और डायरेक्शन दी थी. जबकि, उपराज्यपाल यह बात आज तक छुपा रहे थे कि वह उस जगह गए थे. कोर्ट ने यह सवाल पूछा कि क्या LG को यह पता नहीं था कि पेड़ काटने के लिए परमिशन चाहिए?

मंत्री भारद्वाज ने कहा कि उपराजयपाल को दो साल से ज्यादा हो गए दिल्ली में पदभार संभाले हुए. छोटी-छोटी बातों पर वे बड़ी बड़ी चिट्ठी लिखते हैं, लेकिन क्या उपराज्यपाल इतने भोले हैं कि उन्हें मालूम ही नहीं कि पेड़ काटने के लिए ट्री ऑफिसर और सुप्रीम कोर्ट के परमिशन की जरूरत होती है. जबकि, ये बात दिल्ली के एक माली और आरडब्ल्यूए तक को पता होती है. उनका दौरा ही इसलिए हुआ था कि पेड़ न काटने के कारण सड़क बनने में देरी हो रही है.

LG ने क्यों नहीं की कार्रवाई?: मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा कि चीफ सेक्रेटरी ने अपने एफिडेविट में कहा है कि उप राज्यपाल के साथ जो अधिकारी थे उन्होंने बताया ही नहीं कि पेड़ काटने के लिए परमिशन की जरूरत होती है. उप राज्यपाल ने कहा कि सड़क चौड़ी कर दो और पेड़ों को काटकर ये हो गया. जबकि सभी अधिकारी जानते थे कि इसके लिए अनुमति चाहिए लेकिन किसी अधिकारी में रीढ़ की हड्डी नहीं थी कि वे LG से कह सकें कि बिना अनुमति के पेड़ नहीं काट सकते. इससे समझ सकते हैं कि दिल्ली के ब्यूरोक्रेसी की क्या स्थिति है. उपराज्यपाल को जब पता चल गया कि इलीगल काम हुआ है तो उन्होंने क्या एक्शन लिया. क्यों उन्होंने चीफ सेक्रेटरी, पर्यावरण सचिव को सस्पेंड नहीं किया, जिन्होंने उन्हें गुमराह किया है. ऐसा इसलिए नहीं किया गया क्योंकि पेड़ों को उप राज्यपाल के इशारे पर ही काटा गया है. कोर्ट और दिल्ली की जनता को गुमराह किया.

यह भी पढ़ेंः रिज एरिया में 1100 पेड़ काटने के मामले में AAP ने बीजेपी को घेरा, LG पर लगाए गंभीर, चार सवालों का मांगा जवाब

यह भी पढ़ेंः दिल्ली: मंत्री सौरभ भारद्वाज ने उपराज्यपाल पर लगाए 1100 पेड़ कटवाने के आरोप, मांगा इस्तीफा

नई दिल्ली: दिल्ली सरकार ने एक बार फिर 1,100 से अधिक पेड़ काटे जाने का मुद्दा उठाया है. स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज ने रविवार को आरोप लगाया कि ये पेड़ बिना अनुमति के काटे गए हैं. उन्होंने दावा किया कि एलजी वीके सक्सेना पेड़ काटे जाने वाले स्थान पर 3 फरवरी 2024 को गए थे. कोर्ट ने अधिकारियों को इस मामले में एफिडेविट करने को कहा था.

उन्होंने कहा कि प्रिंसिपल फॉरेस्ट कंजर्वेटर के एफिडेविट से यह बात साबित हो गई है कि उपराज्यपाल खुद उस जगह पर गए थे, जहां पर 1100 पेड़ काटे गए थे और डायरेक्शन दी थी. जबकि, उपराज्यपाल यह बात आज तक छुपा रहे थे कि वह उस जगह गए थे. कोर्ट ने यह सवाल पूछा कि क्या LG को यह पता नहीं था कि पेड़ काटने के लिए परमिशन चाहिए?

मंत्री भारद्वाज ने कहा कि उपराजयपाल को दो साल से ज्यादा हो गए दिल्ली में पदभार संभाले हुए. छोटी-छोटी बातों पर वे बड़ी बड़ी चिट्ठी लिखते हैं, लेकिन क्या उपराज्यपाल इतने भोले हैं कि उन्हें मालूम ही नहीं कि पेड़ काटने के लिए ट्री ऑफिसर और सुप्रीम कोर्ट के परमिशन की जरूरत होती है. जबकि, ये बात दिल्ली के एक माली और आरडब्ल्यूए तक को पता होती है. उनका दौरा ही इसलिए हुआ था कि पेड़ न काटने के कारण सड़क बनने में देरी हो रही है.

LG ने क्यों नहीं की कार्रवाई?: मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा कि चीफ सेक्रेटरी ने अपने एफिडेविट में कहा है कि उप राज्यपाल के साथ जो अधिकारी थे उन्होंने बताया ही नहीं कि पेड़ काटने के लिए परमिशन की जरूरत होती है. उप राज्यपाल ने कहा कि सड़क चौड़ी कर दो और पेड़ों को काटकर ये हो गया. जबकि सभी अधिकारी जानते थे कि इसके लिए अनुमति चाहिए लेकिन किसी अधिकारी में रीढ़ की हड्डी नहीं थी कि वे LG से कह सकें कि बिना अनुमति के पेड़ नहीं काट सकते. इससे समझ सकते हैं कि दिल्ली के ब्यूरोक्रेसी की क्या स्थिति है. उपराज्यपाल को जब पता चल गया कि इलीगल काम हुआ है तो उन्होंने क्या एक्शन लिया. क्यों उन्होंने चीफ सेक्रेटरी, पर्यावरण सचिव को सस्पेंड नहीं किया, जिन्होंने उन्हें गुमराह किया है. ऐसा इसलिए नहीं किया गया क्योंकि पेड़ों को उप राज्यपाल के इशारे पर ही काटा गया है. कोर्ट और दिल्ली की जनता को गुमराह किया.

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