नई दिल्ली: दिल्ली सरकार ने एक बार फिर 1,100 से अधिक पेड़ काटे जाने का मुद्दा उठाया है. स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज ने रविवार को आरोप लगाया कि ये पेड़ बिना अनुमति के काटे गए हैं. उन्होंने दावा किया कि एलजी वीके सक्सेना पेड़ काटे जाने वाले स्थान पर 3 फरवरी 2024 को गए थे. कोर्ट ने अधिकारियों को इस मामले में एफिडेविट करने को कहा था.
उन्होंने कहा कि प्रिंसिपल फॉरेस्ट कंजर्वेटर के एफिडेविट से यह बात साबित हो गई है कि उपराज्यपाल खुद उस जगह पर गए थे, जहां पर 1100 पेड़ काटे गए थे और डायरेक्शन दी थी. जबकि, उपराज्यपाल यह बात आज तक छुपा रहे थे कि वह उस जगह गए थे. कोर्ट ने यह सवाल पूछा कि क्या LG को यह पता नहीं था कि पेड़ काटने के लिए परमिशन चाहिए?
BJP के LG और मुख्य सचिव दिल्ली की जनता और सुप्रीम कोर्ट को बना रहे बेवक़ूफ़‼️
— AAP (@AamAadmiParty) August 25, 2024
♦️ दिल्ली के मुख्य सचिव ने सुप्रीम कोर्ट में जो हलफ़नामा दिया है, उसमें लिखा है कि LG साहब ने वहां का दौरा किया था क्योंकि पेड़ ना काटे जाने की वजह से सड़क निर्माण में देरी हो रही थी
♦️ मुख्य सचिव ने… pic.twitter.com/P7ugpU9lCl
BJP ने दिल्ली की अफ़सरशाही को रखा गिरवी‼️
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♦️ BJP के LG साहब को अब तो मालूम हो गया है कि रिज क्षेत्र में बिना इजाज़त के पेड़ काटे गए हैं
♦️ हम मान लेते हैं कि LG साहब भोलेभाले हैं तो उन्होंने अब तक मुख्य सचिव और पर्यावरण सचिव के ख़िलाफ़ कोई एक्शन क्यों नहीं लिया?
♦️ DDA के तमाम… pic.twitter.com/16KyTRYlp3
मंत्री भारद्वाज ने कहा कि उपराजयपाल को दो साल से ज्यादा हो गए दिल्ली में पदभार संभाले हुए. छोटी-छोटी बातों पर वे बड़ी बड़ी चिट्ठी लिखते हैं, लेकिन क्या उपराज्यपाल इतने भोले हैं कि उन्हें मालूम ही नहीं कि पेड़ काटने के लिए ट्री ऑफिसर और सुप्रीम कोर्ट के परमिशन की जरूरत होती है. जबकि, ये बात दिल्ली के एक माली और आरडब्ल्यूए तक को पता होती है. उनका दौरा ही इसलिए हुआ था कि पेड़ न काटने के कारण सड़क बनने में देरी हो रही है.
देश में डर का माहौल है। आज अधिकारी डर की वजह से पेड़ काटकर BJP के LG के हाथों में दे रहे हैं तो और किसी की क्या ही बात करें।
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मैं IAS Association से पूछना चाहता हूं कि ये कैसे अफ़सर हैं, जिनके पास रीढ़ की हड्डी ही नहीं है। @Saurabh_MLAgk pic.twitter.com/3WfZVvOECy
LG ने क्यों नहीं की कार्रवाई?: मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा कि चीफ सेक्रेटरी ने अपने एफिडेविट में कहा है कि उप राज्यपाल के साथ जो अधिकारी थे उन्होंने बताया ही नहीं कि पेड़ काटने के लिए परमिशन की जरूरत होती है. उप राज्यपाल ने कहा कि सड़क चौड़ी कर दो और पेड़ों को काटकर ये हो गया. जबकि सभी अधिकारी जानते थे कि इसके लिए अनुमति चाहिए लेकिन किसी अधिकारी में रीढ़ की हड्डी नहीं थी कि वे LG से कह सकें कि बिना अनुमति के पेड़ नहीं काट सकते. इससे समझ सकते हैं कि दिल्ली के ब्यूरोक्रेसी की क्या स्थिति है. उपराज्यपाल को जब पता चल गया कि इलीगल काम हुआ है तो उन्होंने क्या एक्शन लिया. क्यों उन्होंने चीफ सेक्रेटरी, पर्यावरण सचिव को सस्पेंड नहीं किया, जिन्होंने उन्हें गुमराह किया है. ऐसा इसलिए नहीं किया गया क्योंकि पेड़ों को उप राज्यपाल के इशारे पर ही काटा गया है. कोर्ट और दिल्ली की जनता को गुमराह किया.
BJP के LG के आदेश पर रिज क्षेत्र में काटे गए पेड़👇
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👉सुप्रीम कोर्ट ने पेड़ काटे जाने के मामले में अधिकारियों से हलफ़नामे मांगे
👉Additional Principal Conservator of Forest सुनील बक्शी के कोर्ट में दाखिल हलफ़नामे में कहा गया है कि LG पेड़ काटे जाने वाली जगह पर गये थे
👉DDA में… pic.twitter.com/vu5BMKykFC
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