भरतपुर: केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में आज से मिड विंटर पक्षी गणना शुरू हो गई है. यह गणना सुबह 8 बजे से प्रारंभ हुई और इसमें नौनेर तथा सांवई खेड़ा के क्षेत्रों को भी शामिल किया गया है. पक्षी गणना के लिए 20 विशेष टीमें गठित की गई हैं, जिनमें केवलादेव के कर्मचारी, नेचर गाइड और वर्ल्ड वाइल्डलाइफ फंड (WWF) के विशेषज्ञ शामिल हैं.
सटीक गणना के लिए विशेष रणनीति: केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान के निदेशक मानस ने बताया कि यह गणना सभी स्थानों पर एक ही समय पर की जा रही है. इसका उद्देश्य गणना को अधिक सटीक बनाना है. निदेशक ने समझाया कि अलग-अलग समय पर गणना करने से पक्षियों की उड़ान के कारण गणना में भ्रम पैदा हो सकता है. उदाहरण के लिए, एक ही पक्षी अलग-अलग स्थानों पर गिना जा सकता है. इस समस्या से बचने के लिए सभी टीमें एक साथ अपने-अपने निर्धारित क्षेत्रों में पक्षियों की गिनती कर रही हैं.
गणना की प्रक्रिया और आंकड़ों का संग्रहण: सभी टीमों द्वारा जुटाए गए आंकड़ों को संकलित कर दो से तीन दिनों के भीतर मुख्यालय भेजा जाएगा. ये आंकड़े केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान और अन्य संबंधित क्षेत्रों में पक्षी संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे. सर्दियों के मौसम में केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में देश-विदेश से हजारों पक्षी प्रवास करते हैं. यहां लगभग 375 से अधिक प्रजातियों के पक्षी देखे जाते हैं, जिनमें से कई प्रवासी प्रजातियां सर्दियों के दौरान यहां आती हैं. इन पक्षियों में साइबेरियन क्रेन, पेंटेड स्टॉर्क, डार्टर, ग्रे हेरेन, और रोसेट स्पूनबिल जैसी दुर्लभ और अद्भुत प्रजातियां शामिल हैं.
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केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान जैव विविधता का अद्भुत केंद्र है. पक्षी गणना से प्राप्त आंकड़े न केवल पक्षियों की संख्या और प्रवृत्ति का पता लगाने में सहायक होते हैं, बल्कि संरक्षण योजनाओं के लिए भी आधार तैयार करते हैं. इस गणना से पक्षी प्रेमियों, शोधकर्ताओं और पर्यावरणविदों को पक्षियों की विविधता और उनकी स्थिति का विश्लेषण करने का एक महत्वपूर्ण अवसर मिलेगा.