शिमला: प्रदेश में सुखविंदर सिंह सुक्खू की सरकार ने चालू वित्त वर्ष में मनरेगा की दिहाड़ी को 1 अप्रैल से 240 रुपये से बढ़ाकर 300 रुपये कर दिया है. ऐसे में ग्रामीणों को मनरेगा के तहत काम करने पर घर द्वार पर 300 रुपये दिहाड़ी मिल रही है.
इसको देखते हुए ग्रामीणों की मनरेगा के तहत कार्य करने में रुचि बढ़ी है. इसी का नतीजा है कि चालू वित्त वर्ष में चार महीनों में ग्रामीणों ने 144 लाख कार्य दिवस अर्जित कर लिए हैं. इसकी जानकारी ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री अनिरुद्ध सिंह की अध्यक्षता में संपन्न हुई हिमाचल प्रदेश राज्य रोजगार गारंटी परिषद की बैठक में दी गई. अब 14 दिन काम करने पर 4200 रुपये खाते में आएंगे.
इस दौरान बीते वित्त वर्ष 2023-24 की वार्षिक रिपोर्ट को भी स्वीकृति प्रदान की गई. इसमें अवगत करवाया गया कि वित्त वर्ष 2023-24 में हिमाचल में 344 लाख से अधिक कार्य दिवस अर्जित किया गए थे जिनमें से 64 फीसदी कार्य दिवस महिलाओं ने अर्जित किए हैं. इसी तरह से चालू वित्त वर्ष 2024-25 में जुलाई तक 144 लाख कार्य दिवस अर्जित किए जा चुके हैं.
गांव के विकास में मनरेगा की महत्वपूर्ण भूमिका
ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने कहा "महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) गांवों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है. ग्रामीण क्षेत्रों में प्रदेश की करीब 90 फीसदी आबादी रहती है. मनरेगा के तहत एक साल में 100 कार्य दिवस का गारंटी रोजगार प्रदान किया जाता है. इसके अलावा प्रदेश सरकार की ओर से बीस दिनों के कार्य दिवस का प्रावधान किया गया है, जिस पर होने वाला पूरा खर्च प्रदेश सरकार की ओर से वहन किया जा रहा है. राज्य सरकार ने अप्रैल 2024 से मनरेगा की दिहाड़ी को 240 रुपये से बढ़ाकर 300 रुपये कर दिहाड़ीदारों को लाभान्वित किया है."
86 फीसदी कार्य पूर्ण
अनिरुद्ध सिंह ने कहा प्रदेश में मनरेगा लागू करने से अब तक 11 लाख 71 हजार 739 कार्यों में से 86 फीसदी कार्य पूरे हो चुके हैं. वहीं, शेष कार्य निर्माणाधीन हैं. उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष 2023-24 में मनरेगा के तहत 1288 करोड़ 24 लाख रुपये से अधिक खर्च किया गया. वित्त वर्ष 2024-25 में जुलाई तक करीब 688 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं जिसमें 99 फीसदी से अधिक मामलों में समय पर मजदूरी का भुगतान किया जा चुका है.
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