जबलपुर। हाईकोर्ट ने फेसबुक, ट्विटर, यू-ट्यूब सहित अन्य सोशल मीडिया से बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेन्द्र शास्त्री के खिलाफ अनर्गल पोस्ट को हटाने का आदेश दिया था. हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती देते हुए मेटा की तरफ से रिट अपील दायर की गयी. इसके बाद मामले में हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमठ तथा जस्टिस विशाल मिश्रा के सख्त रुख को देखते हुए मेटा ने याचिका वापस लेने का आग्रह कर दिया जिसे कोर्ट ने स्वीकार करते हुए याचिका को खारिज कर दिया.
मेटा ने दायर की थी रिट याचिका
याचिका में कहा गया था कि प्रमाणिकता की जांच किये बिना सिर्फ छवि धूमिल करने के लिए विवादित पोस्ट की गयी हैं. याचिका की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने विवादित पोस्ट को सोशल मीडिया से हटाने के आदेश दिये थे. इसके बाद मेटा फेसबुक की तरफ से उक्त आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील दायर की गयी थी. अपील में कहा गया था कि "फेसबुक एक इलेक्ट्रॉनिक डिजिटल पोर्टल है. पोस्ट की जाने वाली कंटेन्ट पर उनका नियंत्रण नहीं है. किसी व्यक्ति द्वारा की गयी पोस्ट के मटेरियल की जानकारी लेने तथा उसे रोकने में वह असक्षम है. नियमानुसार फेसबुक इसके लिए जिम्मेदार नहीं है."
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सुप्रीम कोर्ट का ये है आदेश
अपील में रंजीत कुमार पटेल द्वारा याचिका दायर करने पर भी सवाल उठाए गये. अनावेदक रंजीत कुमार पटेल की तरफ से पैरवी करते हुए अधिवक्ता पंकज दुबे ने युगलपीठ को फेसबुक के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की गयी थी. सर्वोच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा था कि फेसबुक सहित ऐसे प्लेटफॉर्म आने वाले समय में बहुत संवेदनशील होंगे. ऐसा नहीं माना जा सकता है कि इनका किसी प्रकार का नियंत्रण नहीं हो. यह अपेक्षा की जाती है कि पोस्ट किये जाने वाले मटेरियल की जानकारी रखें और आपत्ति होने पर उसे विलोपित करें.