दुर्ग: बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों को निशाना बनाए जाने से भारत के लोगों में गुस्सा है. भिलाई के सेक्टर 7 के इस्कॉन टेंपल के सदस्यों ने भी बांग्लादेश में हो रही हिंसा पर चिंता जताई है. इस्कॉन टेंपल और अक्षय पत्र के सदस्यों ने केंद्र सरकार से पीड़ितों की सुनिश्चित करने की मांग की है. सदस्यों ने ये भी कहा है कि अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को लेकर जरुरी कदम केंद्र सरकार उठाए.
केंद्र से मदद करने की मांग: इस्कॉन टेंपल और अक्षय पत्र के सदस्यों का कहना है कि साल 1971 में जब बांग्लादेश बन रहा था. उस वक्त वहां के मजबूर लोगों को खाना खिलाने का जिम्मा इस्कॉन टेंपल के लोगों ने उठाया. पीड़ित और मजबूर लोगों की मदद इस्कॉन टेंपल ने दिल खोलकर की. बांग्लादेश के लोगों को इस बात को कभी नहीं भूलना चाहिए. बुरे वक्त में इस्कॉन टेंपल ही लोगों का सहारा बना था. आज उसी इस्कॉन टेंपल को बांग्लादेश में निशाना बनाया जा रहा है.
''मंदिरों में लूटपाट, हमला, तोड़फोड़, अल्पसंख्यकों को सताने का काम वहां पर बंद होना चाहिए. केंद्र सरकार को इस मामले में संज्ञान लेकर वहां रहने वाले अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित किए जाने पर विचार करना चाहिए. बार्डर पर जो हिंदु अपनी जान बचाने के लिए खड़े हैं उनकी सुरक्षा को ध्यान में रखकर उनको शरण देना चाहिए''. - अनुपम दास, सदस्य इस्कॉन टेंपल और अक्षय पत्र
बार्डर एरिया में बढ़ाई गई चौकसी: बांग्लादेश से बड़ी संख्या में हिंदु भारत में शरण के लिए कूच कर रहे हैं. भारत ने बार्डर पर अपनी सीमाओं को सील कर चौकसी बढ़ा दी है. बार्डर एरिया में जो लोग भारत में घुसपैठ की कोशिश कर रहे हैं उनको समझा बुझाकर वापस भेजा जा रहा है.