देहरादून: आरटीओ प्रवर्तन शैलेश तिवारी ने आज स्कूली वाहनों में बच्चों की सुरक्षा के लिए स्कूल वाहन संचालकों और चालकों के साथ आरटीओ कार्यालय में बैठक की. जिसमें निर्णय लिया गया कि बच्चों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए स्कूली वाहनों के चालकों का पुलिस के साथ समन्वय बनाते हुए सत्यापन अभियान चलाया जाएगा, जिसमें चालक का लाइसेंस और आधार कार्ड की जांच की जाएगी.
बता दें कि 10 सितंबर को कोतवाली पटेल नगर क्षेत्र अंतर्गत निजी स्कूल के वाहन में छात्रा के साथ छेड़खानी का मामला सामने आया था. पीड़िता की मां की शिकायत पर पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है. महिला ने शिकायत में बताया कि उनकी 12 वर्षीय बेटी एक निजी स्कूल में पढ़ती है. रोज आने-जाने के लिए वह स्कूल के वाहन का ही प्रयोग करती है. चालक उनकी बेटी को अपने पास में बैठाता था और उसे गलत नियत से छूता था. उनकी बेटी परेशान रहने लगी. पूछने पर बेटी ने बताया कि वाहन चालक उसके साथ गलत हरकत करता है, जिसके बाद स्कूली वाहनों में बच्चों की सुरक्षा का मुद्दा फिर उछलने लगा है.
बैठक में स्कूली वाहन संचालकों को स्कूल वाहन के केबिन में छात्राओं को ना बैठाने और अगर वाहन में सभी छात्राएं हों तो केबिन में चालक और छात्राओं की बीच में पार्टीशन या फिर जाली लगाने के निर्देश दिए गए. साथ ही स्कूल वाहन के बाहर वाहन स्वामी और चालक का नाम व मोबाइल नंबर अंकित करने के निर्देश दिए गए. वाहन में सभी छात्र-छात्राओं के नाम, अभिभावक का नाम, पता और मोबाइल नंबर की सूची रखने को कहा गया, ताकि चेकिंग अधिकारी को दिखाई जा सके.
इसके अलावा स्कूल वाहन में जाने वाले छात्र-छात्राओं के अभिभावक, चालक व वाहन स्वामी का एक व्हाट्सएप ग्रुप बनाया जाए, जिसमें आवश्यक सूचनाओं का आदान-प्रदान किया जा सके. वाहन स्वामी द्वारा बार-बार चालक न बदला जाए और वाहन स्वामी द्वारा अपने स्तर से भी चालक का आवश्यक सत्यापन कराया जाए. साथ ही चालक के आधार कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस की प्रति अपने पास रखने के निर्देश दिए गए.
आरटीओ प्रवर्तन शैलेश तिवारी ने बताया कि छात्र-छात्राओं के अभिभावकों से भी अपील की गई है कि वह स्कूल वैन के चालक व स्वामी के बारे में पूरी जानकारी अपने पास रखें. समय-समय पर अपने बच्चों से चालक के व्यवहार के बारे में जानकारी लेते रहें. उन्होंने कहा कि छात्र-छात्राओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए परिवहन विभाग द्वारा स्कूली वाहनों के चालकों के लिए अक्टूबर में एक ट्रेनिंग/काउंसलिंग कार्यक्रम रखा जाएगा, जिसमें चालकों को सुरक्षा नियमों, बाल मनोविज्ञान और बच्चों के साथ उचित व्यवहार व संवाद, गुड टच-बैड टच इत्यादि के बारे में विशेषज्ञों द्वारा जानकारी दी जाएगी.
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