मेरठ : जाकिर कॉलोनी हादसे में मारे गए मृतकों के आश्रितों को पीएम आपदा राहत कोष से भी 2-2 लाख रुपये का मुआवजा मिलेगा. वहीं घायलों को भी 50-50 हजार रुपये की सहायता राशि मिलेगी. बुधवार की देर रात डीएम को इस बारे में निर्देश मिल चुके हैं. प्रशासन की टीम आश्रितों व परिजनों को चिह्नित करने में लगी है. इससे पहले प्रदेश सरकार की ओर से भी मृतकों के परिजनों को 4-4 लाख रुपये मुआवजा राशि देने का ऐलान किया जा चुका है.
लोहियानगर के जाकिर कॉलोनी में नफ्फो उर्फ नफीसा का परिवार रहता था. यहां उनका करीब 50 साल पुराना 3 मंजिला मकान था. नफीसा के बेटे निचली मंजिल पर यहां डेयरी चलाते थे. जबकि ऊपरी मंजिल पर बेटे साजिद, पत्नी सायमा, नईम, अलीशा, रिमशा, नदीम, फरहाना, हमजा, शाकिर, साहिबा समेत परिवार के 15 लोग रह रहे थे.
शनिवार की शाम को 3 मंजिला यह मकान भरभरा कर गिर गया था. हादसे में करीब 10 लोगों की मौत हो गई थी. मरने वालों में कई बच्चों के अलावा महिलाएं भी थीं. जबकि करीब 5 लोग घायल हो गए थे. हादसे का बाद प्रदेश सरकार ने मृतकों के परिजनों के लिए चार-चार लाख रुपये मुआवजा राशि की घोषणा की थी.
इसी कड़ी में अब पीएम आपदा राहत कोष से भी मुआवजा और सहायता राशि की घोषणा कर दी गई है. इसके तहत मृतकों के आश्रितों को 2-2 लाख रुपये जबकि घायलों को 50-50 हजार रुपये दिए जाएंगे. बुधवार की रात डीएम दीपक मीणा को इसके लिए निर्देश भी मिल चुके हैं.
हालांकि पहले यह माना जा रहा था कि मृतक बच्चों के परिजनों को मुआवजा दिए जाने का प्रावधान नहीं है. अब प्रशासन ने इसे लेकर स्थिति स्पष्ट कर दी है. डीएम दीपक मीणा ने बताया कि नियमानुसार प्रक्रिया चल रही है. सभी के परिजनों को अनुग्रह राशि प्रदान की जाएगी.
सभी 10 मृतकों के आश्रितों/परिजनों को चिह्नित कर लिया गया है. कई परिवार के सदस्यों का किसी भी बैंक में खाता नहीं था. सदर तहसीलदार शैलेन्द्र सिंह को ऐसे लोगों को खाता खुलवाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है. जिले के सीवीओ (चीफ वेटनरी ऑफिसर) आरके शर्मा का कहना है कि मृत पशुओं के लिए भी शासनादेश के अनुसार अनुग्रह राशि पीड़ित परिवार के सदस्यों को दी जाएगी. इसके अतिरिक्त तमाम सरकारी योजनाओं से मिलने वाली सहायता भी परिवार को मुहैया कराई जाएगी.
शनिवार शाम पीड़ित परिवार की डेयरी पर हलवाई राजा हादसे से करीब 30 मिनट पहले दूध लेने पहुंचा था. साजिद के तीन भाइयों ने दूध जल्दी निकालना शुरू किया था. राजा यहां से दूध लेकर निकल गया था, अन्यथा वह भी हादसे का शिकार हो जाता. हादसे में बुजुर्ग नफीसा के बेटे नदीम, नईम और साकिर बाल-बाल बच गए थे.
हादसे में जान गंवाने वालों के परिवार के नईम ने बताया कि जिस वक्त हादसा हुआ वह मकान की निचली मंजिल पर डेयरी में अपने भाइयों के साथ काम कर रहा था. तत्काल सभी बाहर की तरफ दौड़े. वे बाल-बाल बच गए, लेकिन कुछ ही पल में पूरा घर जमींदोज हो गया. परिवार के सदस्य साजिद का कहना है कि वह चीख-चीख कर परिवार के लोगों से बाहर निकलने के लिए कह रहे थे, लेकिन तब तक परिवार के कई लोग मलबे में दब चुके थे. वहीं हादसे के बाद पार्टियों के नेता परिजनों को सांत्वना देने पहुंच रहे हैं.
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