मंडी: "बैंक से कर्ज लेकर एमबीबीएस की पढ़ाई की थी. कई डॉक्टरों का अभी लोन पूरा नहीं हुआ है. डॉक्टरी की पढ़ाई करने के बावजूद भी परिवार से पैसे मांगना सही नहीं है. माता-पिता ने कर्ज लेकर पढ़ाई करवाई है, अगर इसके बाद भी अपने खर्चे के लिए उनके मुंह की ओर ताकना पड़े तो काम करने का क्या लाभ है?" ये दर्द है मंडी जिले के श्री लाल बहादुर शास्त्री मेडिकल कॉलेज नेरचौक के जूनियर डॉक्टरों का, जो स्टाइपेंड नहीं मिलने से हड़ताल करने को मजबूर हैं.
मेडिकल कॉलेज नेरचौक में जूनियर रेजिडेंट डॉक्टर्स अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं. इसका कारण सरकार द्वारा बीते तीन महीने से पोस्ट डॉक्टरल कर रहे जूनियर रेजिडेंट डॉक्टर्स को स्टाइपेंड नहीं मिलना है. सरकार की इस बेरुखी के चलते इन जूनियर रेजिडेंट डॉक्टर्स का कहना है कि अब उनके खाने तक के लाले पड़ गए हैं.
हड़ताल पर गए मेडिकल कॉलेज नेरचौक जूनियर रेजिडेंट रवि ने कहा, "हमने बैंक से कर्ज लेकर एमबीबीएस की पढ़ाई की थी. वहीं, कई डॉक्टरों का तो अभी लोन भी पूरा नहीं हो पाया है. डॉक्टर की पढ़ाई करने के बाद भी अगर परिवार वालों से पैसे मांगने पड़े तो काम करने का क्या फायदा ? हमारे मां-बाप ने लोन लेकर हमसे एमबीबीएस करवाई है. प्रदेश में इस सत्र से 63 पोस्ट डॉक्टोरल डिग्री डीएनबी यानी डिप्लोमेट ऑफ नेशनल बोर्ड को भी स्टाइपेंड की कमी के कारण बंद कर दिया है".
जूनियर रेजिडेंट डॉक्टरों ने सरकार से जल्द उनके स्टाइपेंड की राशि जारी करने की मांग की. जब तक इस समस्या का हल नहीं हो जाता तब तक जूनियर रेजिडेंट डॉक्टर्स अपनी हड़ताल जारी रखेंगे. वहीं, जूनियर रेजिडेंट डॉक्टरों ने कॉलेज प्रशासन को भी आगाह करते हुए कहा है कि इस हड़ताल से पूर्व रेजिडेंट डॉक्टर्स ने काले बिल्ले लगाकर अपनी मांग रखी थी. लेकिन समस्या का कोई समाधान नहीं हुआ है. इस कारण मजबूरन उन्हें हड़ताल पर जाना पड़ा है. रेजिडेंट डॉक्टर्स द्वारा आपातकालीन सेवाएं चलाई जा रही हैं और अन्य नियमित कार्यों का रेजिडेंट डॉक्टर्स ने बहिष्कार किया है.
वहीं, मामले में मेडिकल कॉलेज नेरचौक के कार्यकारी प्रिंसिपल डॉ. राजेश भवानी ने कहा, "जूनियर रेसिडेंट चिकित्सक पिछले कुछ समय से स्टाइपेंड ना मिलने से हड़ताल कर रहे हैं. उच्च अधिकारियों के साथ पत्राचार हो रहा है और मामले में डायरेक्टर मेडिकल एजुकेशन से बात की गई है. इसको लेकर प्रदेश सरकार में सेक्रेटरी और वित्त विभाग से बात कर निर्देश जारी कर दिए हैं. अगले एक या दो दिन में इस समस्या का समाधान निकाल लिया जाएगा".
बता दें कि हिमाचल प्रदेश में पोस्ट डॉक्टरल डिग्री के दौरान जूनियर रेजिडेंट डॉक्टर्स को 3 साल में पहले वर्ष 40, दूसरी में 45 और तीसरे वर्ष में 50 हजार रुपये प्रतिमाह स्टाइपेंड जारी किया जाता है. लेकिन प्रदेश सरकार ने बीते तीन महीने से मंडी जिला के श्री लाल बहादुर शास्त्री मेडिकल कॉलेज नेरचौक के जूनियर रेजिडेंट डॉक्टर्स को स्टाइपेंड जारी नहीं किया है. हैरानी की बात यह है कि प्रदेश के अन्य मेडिकल कॉलेजिस में पोस्ट ग्रेजुएट कर रहे जूनियर रेजिडेंट डॉक्टर्स को नियमित तौर पर स्टाइपेंड मिल रहा है. केवल मात्र मेडिकल कॉलेज नेरचौक के रेजिडेंट डॉक्टरों को ही परेशानी झेलनी पड़ रही है.