नई दिल्ली: दिल्ली में अगामी विधानसभा चुनाव को लेकर दिल्ली में सत्तारूढ़ दल आम आदमी पार्टी (AAP) और भाजपा के बीच एमसीडी के 12 जोनों और स्टैंडिंग कमेटी पर कब्जा करने को लेकर सियासत परवान चढ़ी हुई है. पिछले 18 माह के लंबे समय से इन जोनल व स्टैंडिंग कमेटी के चुनाव नहीं हो पाए हैं. अब सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के बाद जोनल कमेटियों और स्टैंडिंग कमेटी के चुनाव को लेकर कवायद तेज हो गई है. मौजूदा समय में बीजेपी का 12 में से 7 निगम जोनों में पलड़ा भारी है. AAP सिर्फ 5 जोनों में ही मजबूत स्थिति में नजर आ रही है. इसके चलते बदले सियासी समीकरणों से दोनों दलों के बीच स्टैंडिंग कमेटी का मुकाबला भी बराबर की टक्कर का माना जा रहा है.
स्टैंडिंग कमेटी का गठन कब: दरअसल, एमसीडी चुनाव के बाद से दिल्ली नगर निगम की 12 जोनल कमेटियों के चेयरमैन और डिप्टी चेयरमैन का चुनाव नहीं कराया गया है. इतना ही नहीं एमसीडी की सबसे पावरफुल कमेटियों में मानी जाने वाली स्टैंडिंग कमेटी का गठन भी नहीं हो पाया है. जोनल कमेटियों का गठन जब तक नहीं हो जाता तब तक स्टैंडिंग कमेटी के चेयरमैन और डिप्टी चेयरमैन के चुनाव का रास्ता भी साफ नहीं हो पाएगा. इसकी बड़ी वजह 18 सदस्यीय स्टैंडिंग कमेटी के लिए 12 सदस्यों को 12 जोनों से स्थायी समिति के लिए भेजा जाता है. ऐसे में जब इन जोनल कमेटियों को चुनाव होगा तब ही इनको स्टैंडिंग कमेटी में भेजा जाना संभव है. इस वजह से स्टैंडिंग कमेटी का गठन अभी तक अधर में है.
जहां तक बाकी छह सदस्यों के स्टैंडिंग कमेटी में भेजे जाने का सवाल है तो दोनों दलों आम आदमी पार्टी और भाजपा के 3-3 सदस्य शामिल हैं. वहीं, लोकसभा चुनाव के दौरान स्टैंडिंग कमेटी की एक मेंबर कमलजीत सेहरावत सांसद बन गई है. इसके बाद स्टैंडिंग कमेटी में एक मेंबर हाउस की तरफ से बीजेपी का कम हो गया है. अब बीजेपी के इस सदस्य की जगह आम आदमी पार्टी को एक सदस्य और मिल गया. इसके बाद स्टैंडिंग कमेटी में आप सदस्यों की संख्या 4 हो जाएगी और बीजेपी के पास दो ही रह जाएगी.
इन सातों जोन में बीजेपी मजबूत : हाल में आम आदमी पार्टी छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए पांच पार्षदों ने दिल्ली की जोनल कमेटी की सियासत को पलट कर रख दिया है. पहले सिर्फ 4 जोन (शाहदरा साउथ, शाहदरा नॉर्थ, नजफगढ़ और केशवपुरम जोन) में मजबूत रहने वाली बीजेपी सुप्रीम कोर्ट के एल्डरमैन नियुक्ति (एलजी की तरफ से) को सही ठहराने और 5 आप पार्षदों के पाला बदलने के बाद 7 जोन में बीजेपी मजबूत हो गई है. इसके बाद बीजेपी अब शाहदरा नॉर्थ, शाहदरा साउथ, नजफगढ़ और केशव पुरम जोन के अलावा सेंट्रल जोन, नरेला जोन और सिविल लाइन जोन में मजबूत स्थिति में है. इन सातों जोन में होने वाले जोनल कमेटियों के चुनाव में बीजेपी का कब्जा होने की प्रबल संभावना है.
सेंट्रल जोन में भी खिसक गई AAP की जमीन: पांच पार्षदों के पाला बदले से पहले सेंट्रल जोन और नरेला जोन में आप का पलड़ा भारी था. सेंट्रल जोन में आम आदमी पार्टी के 13 निगम पार्षद थे. जबकि, बीजेपी के पास दो एल्डरमैन को मिलाकर 12 पार्षद ही थे. पांच पार्षदों के बीजेपी ज्वाइन करने के बाद सेंट्रल जोन में बीजेपी का कब्जा होना लगभग तय है.
नरेला जोन में पलटी बाजी: नरेला जोन में पहले आप और बीजेपी के पास 10-10 पार्षद थे. अब आम आदमी पार्टी के 2 निगम पार्षद बीजेपी के पक्ष में चले जाने और एल्डरमैन नियुक्ति को सही ठहराने से यह जोन भी आप के हाथ से फिसलता नजर आ रहा है. इन दोनों जोनों के जोनल कमेटी चुनाव में बीजेपी का कब्जा होने की प्रबल संभावना है. बीजेपी के पास अब 7 जोनों की सत्ता की चाबी आने की पूरी संभावना है.
जबकि, आम आदमी पार्टी 5 जोनों में ही सिमटती नजर आ रही है. दरअसल, इन 12 जोन से ही 12 सदस्यों को चुनकर स्टैंडिंग में भेजा जाएगा. 7 जोन में बीजेपी के कब्जा होने की संभावना के चलते अब दोनों पार्टियों के पास 18 सदस्यीय स्टैंडिंग कमेटी में 9-9 मैंबर हो सकते हैं. इसके चलते इस कमेटी का चुनाव न केवल बेहद ही दिलचस्प हो सकता है बल्कि कांटे की टक्कर वाला भी होगा.
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स्टैंडिंग कमेटी के लिए चुनाव प्रक्रिया: मेयर डॉ. शैली ओबेरॉय ने 23 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देकर म्युनिसिपल सेक्रेटरी को एक पत्र लिखा था, जिसमें वार्ड कमेटियों के अध्यक्ष और उपाध्यक्षों के साथ-साथ हर वार्ड से स्टैंडिंग कमेटी के लिए एक सदस्य का चुनाव कराने की प्रक्रिया को शुरू करने के आदेश दिए थे. इस पत्र के बाद अब माना जा रहा है कि जल्द ही सेक्रेटरी की तरफ से इस संबंध में कोई अधिसूचना जारी की जा सकती है.
एमसीडी का नियम है कि दिल्ली की मेयर और दिल्ली नगर निगम कमिश्नर एक बैठक तय करके इन चुनाव की तारीख तय करते हैं और उसके बाद म्यूनिसिपल कमेटी सेक्रेटरी की तरफ से इन तारीखों की अधिसूचना जारी की जाती है. हालांकि, इन चुनावों के लिए सचिव कार्यालय की ओर से शुरू की जाने वाली प्रक्रिया की फाइल पर सिग्नेचर की ऑथोरिटी कमिश्नर ही होते हैं. इसके बाद ही सचिव कार्यालय इस संबंध में कार्यवाही कर डेट आदि फाइनल करते हैं. अब आने वाले समय में ही यह तय हो पाएगा कि निगम सचिवालय इन चुनावों को लेकर किन तारीखों का ऐलान करते हैं.
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