नई दिल्ली: दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) ने नागरिकों को दिल्ली के ऐतिहासिक स्थलों और सांस्कृतिक विरासत को जानने और उनसे जुड़ने में मदद के लिए हेरिटेज वॉक कार्यक्रम शुरू किया है. इस पहल का उद्देश्य शहर की समृद्ध संस्कृति और विरासत का एक आकर्षक अनुभव प्रदान करना है, साथ ही इसके वास्तुशिल्प और ऐतिहासिक महत्व के बारे में जागरूकता को बढ़ावा देना है.
निगम अधिकारियों ने बताया कि सफ़रनामा मीनार-ए-ज़रीन नामक उद्घाटन वॉक शनिवार सुबह 8:30 बजे फ़िरोज़ शाह कोटला में आयोजित की गई. फ़िरोज़ शाह कोटला 1354 ई. का एक प्रतिष्ठित स्थल है, जिसे तुगलक वंश के शासक द्वार बनाया गया था. यह स्थान दिल्ली की स्थापत्य भव्यता और ऐतिहासिक गहराई का एक प्रमुख उदाहरण है. उद्घाटन हेरिटेज वॉक के दौरान, दिल्ली नगर निगम के आयुक्त अश्विनी कुमार और निगम के वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे.
हेरिटेज वॉक प्रत्येक महीने के पहले और तीसरे शनिवार को सुबह 8:00 बजे या 11:30 बजे शुरू होगी. नागरिक बिना पूर्व पंजीकरण के भाग ले सकते हैं, जिससे सभी इतिहास और संस्कृति प्रेमियों के लिए इसमें भाग लेना सुलभ हो जाएगा. वॉक के दौरान, प्रतिभागी प्रतिष्ठित स्थलों की ऐतिहासिक प्रासंगिकता के बारे में जानेंगे, उनके साथ विशेषज्ञ गाइड होंगे जो आकर्षक तथ्य, कहानियाँ और सांस्कृतिक अंतर्दृष्टि साझा करेंगे.
आगामी हेरिटेज वॉक इस प्रकार:
- 21 दिसंबर 2024: दारा शिकोह का मकबरा
- 4 जनवरी 2025: हुमायूं के मकबरे का दौरा
- 18 जनवरी 2025: उर्दू शायरी का परिचय (टाउन हॉल)
- 1 फरवरी 2025: दिल्ली की पहली यात्रा भाग 1
- 15 फरवरी 2025: दिल्ली घराना शास्त्रीय संगीत से परिचय (टाउन हॉल)
- 1 मार्च 2025: भाग 2 दिल्ली की पहली यात्रा
- 22 मार्च 2025: भारतीय शास्त्रीय नृत्य (कथक) से परिचय (टाउन हॉल)
एमसीडी आयुक्त अश्विनी कुमार ने कहा; "हेरिटेज वॉक कार्यक्रम के माध्यम से, हमारा उद्देश्य इतिहास को जीवंत करना और लोगों को दिल्ली के इतिहास और सांस्कृतिक ताने-बाने की सराहना करने के लिए प्रोत्साहित करना है." उन्होंने कहा, “आज की हेरिटेज यात्रा में एक प्रतिभागी के रूप में मुझे फ़िरोज़ शाह कोटला की दुर्ग शहर के बारे में विस्तार से जानने का अवसर मिला. फ़िरोज़ शाह कोटला का इतिहास, इससे जुड़े मज़ेदार क़िस्से इस शानदार विरासत के साक्षी होने का गर्व, ये सभी चीजें इस वॉक में समाहित थी. सम्राट अशोक के स्तंभ को निकट से देखने-समझने तथा उस पर उत्कीर्ण उनके धर्म पर दी गई शिक्षा को जानने का एहसास अद्भुत था. उनकी सभी के प्रति सम्मान एवं धर्मनिष्ठा का संदेश आज के समाज में भी उतना ही प्रासंगिक है.”
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