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हरदयाल लाइब्रेरी की पूर्व सचिव के खिलाफ महापौर शैली ओबेरॉय ने दिए जांच के आदेश

दिल्ली नगर निगम के तहत संचालित होने वाली हरदयाल लाइब्रेरी में पूर्व सचिव पूनम पराशर झा के खिलाफ महापौर डॉ. शैली ओबेराय ने जांच के आदेश दिए हैं. उनके कार्यकाल के दौरान हुए कार्यों और नियुक्ति के साथ ही लाइब्रेरी को मिलने वाले अनुदान का दुरुपयोग करने पर जांच के लिए निगमायुक्त ज्ञानेश भारती को पत्र लिखा है.

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महापौर शैली ओबेरॉय
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Mar 14, 2024, 12:23 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली नगर निगम के मेयर डॉ. शैली ओबेरॉय ने भाजपा की पूर्व निगम पार्षद व हरदयाल लाइब्रेरी की पूर्व सचिव पूनम पराशर के खिलाफ जांच का आदेश दिया है. मेयर ने कहा कि पूनम पराशर के खिलाफ अब तक दो शिकायतें मिली है, जिसमें उनपर गंभीर आरोप लगाए गए हैं. उन्होंने कहा कि पूनम पराशर पर आरोप है कि उन्होंने हरदयाल लाइब्रेरी की सचिव रहते हुए पद का दुरुपयोग किया है.

मेयर ने बताया कि पूनम पराशर 2021-22 तक हरदयाल लाइब्रेरी की सेक्रेट्री रही थी. इस दौरान नॉर्थ दिल्ली नगर निगम को 50 लाख, साउथ दिल्ली नगर निगम को एक करोड़ और पूर्वी दिल्ली नगर निगम को 35 लाख रुपये हरदयाल लाइब्रेरी को चलाने के लिए दिया गया. लेकिन इस दौरान हरदयाल लाइब्रेरी के कर्मचारियों को वेतन नहीं दिया गया. कर्मचारी धरना प्रदर्शन करते रहे, यहां तक की लाइब्रेरी में बिजली का बिल भी नहीं भरा गया.

मेयर ने बताया कि पूनम पराशर ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए अपने बेटे को असिस्टेंट केयर टेकर की डेजिग्नेशन दिलवाया. जिसमें उन्हें 35000 रुपये प्रति माह वेतन दिया गया. इसके अलावा उन्होंने अपने पति को इस लाइब्रेरी में सब्सक्राइबर बनाया. वह भी गैरकानूनी है. उन्होंने अपनी पावर और पोजीशन का दुरुपयोग करके कर्मचारियों से अपने घर का काम करवाया.

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शैली ओबेरॉय ने कहा कि दिल्ली नगर निगम भंग होने के बाद जब दिल्ली नगर निगम की जिम्मेदारी स्पेशल ऑफिसर को दी गई थी, उसी दौरान पूनम पराशर गलत तरीके से अपने पद पर बनी रही. सुविधाओं का लाभ उठाया, गाड़ी का भी इस्तेमाल किया. उन्होंने कहा कि पूनम पराशर पर लगा आरोप बेहद गंभीर है. उनके खिलाफ सीबीआई जांच की मांग की गई है. इस मामले में जांच के लिए उनकी तरफ से अधिकारियों को निर्देश दिया गया है.

बता दे कि दिल्ली नगर निगम का हरदयाल लाइब्रेरी एक हेरिटेज लाइब्रेरी है. इस लाइब्रेरी की शुरुआत 1862 में हुई थी. इसके 33 ब्रांच दिल्ली के अलग-अलग इलाके में है, जहां पूरे भारत से दिल्ली आए बच्चे पढ़ते हैं. इस लाइब्रेरी को चलाने की जिम्मेदारी एक मैनेजमेंट कमेटी की होती है, जिसके 6 सदस्य होते हैं, मेयर लाइब्रेरी का अध्यक्ष होता है. सेक्रेटरी और जॉइंट सेक्रेटरी होता है बाकी सदस्य होते हैं.

ये भी पढ़ें : किसान महापंचायत: आज दिल्ली में इन रास्तों पर सफर करने से बचें, पढ़िए दिल्ली पुलिस की ट्रैफिक एडवाइजरी

नई दिल्ली: दिल्ली नगर निगम के मेयर डॉ. शैली ओबेरॉय ने भाजपा की पूर्व निगम पार्षद व हरदयाल लाइब्रेरी की पूर्व सचिव पूनम पराशर के खिलाफ जांच का आदेश दिया है. मेयर ने कहा कि पूनम पराशर के खिलाफ अब तक दो शिकायतें मिली है, जिसमें उनपर गंभीर आरोप लगाए गए हैं. उन्होंने कहा कि पूनम पराशर पर आरोप है कि उन्होंने हरदयाल लाइब्रेरी की सचिव रहते हुए पद का दुरुपयोग किया है.

मेयर ने बताया कि पूनम पराशर 2021-22 तक हरदयाल लाइब्रेरी की सेक्रेट्री रही थी. इस दौरान नॉर्थ दिल्ली नगर निगम को 50 लाख, साउथ दिल्ली नगर निगम को एक करोड़ और पूर्वी दिल्ली नगर निगम को 35 लाख रुपये हरदयाल लाइब्रेरी को चलाने के लिए दिया गया. लेकिन इस दौरान हरदयाल लाइब्रेरी के कर्मचारियों को वेतन नहीं दिया गया. कर्मचारी धरना प्रदर्शन करते रहे, यहां तक की लाइब्रेरी में बिजली का बिल भी नहीं भरा गया.

मेयर ने बताया कि पूनम पराशर ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए अपने बेटे को असिस्टेंट केयर टेकर की डेजिग्नेशन दिलवाया. जिसमें उन्हें 35000 रुपये प्रति माह वेतन दिया गया. इसके अलावा उन्होंने अपने पति को इस लाइब्रेरी में सब्सक्राइबर बनाया. वह भी गैरकानूनी है. उन्होंने अपनी पावर और पोजीशन का दुरुपयोग करके कर्मचारियों से अपने घर का काम करवाया.

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शैली ओबेरॉय ने कहा कि दिल्ली नगर निगम भंग होने के बाद जब दिल्ली नगर निगम की जिम्मेदारी स्पेशल ऑफिसर को दी गई थी, उसी दौरान पूनम पराशर गलत तरीके से अपने पद पर बनी रही. सुविधाओं का लाभ उठाया, गाड़ी का भी इस्तेमाल किया. उन्होंने कहा कि पूनम पराशर पर लगा आरोप बेहद गंभीर है. उनके खिलाफ सीबीआई जांच की मांग की गई है. इस मामले में जांच के लिए उनकी तरफ से अधिकारियों को निर्देश दिया गया है.

बता दे कि दिल्ली नगर निगम का हरदयाल लाइब्रेरी एक हेरिटेज लाइब्रेरी है. इस लाइब्रेरी की शुरुआत 1862 में हुई थी. इसके 33 ब्रांच दिल्ली के अलग-अलग इलाके में है, जहां पूरे भारत से दिल्ली आए बच्चे पढ़ते हैं. इस लाइब्रेरी को चलाने की जिम्मेदारी एक मैनेजमेंट कमेटी की होती है, जिसके 6 सदस्य होते हैं, मेयर लाइब्रेरी का अध्यक्ष होता है. सेक्रेटरी और जॉइंट सेक्रेटरी होता है बाकी सदस्य होते हैं.

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