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दिल्ली में टल सकता है मेयर का चुनाव, ये दो बड़ी वजह आ रही सामने - Delhi MCD Election

Delhi MCD Election 2024: 26 अप्रैल को दिल्ली नगर निगम के मेयर चुनाव पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं. क्योंकि नगर निगम चुनाव में मुख्यमंत्री की भूमिका अहम होती है. लेकिन मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल शराब घोटाला मामले में जेल में हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि केजरीवाल के जेल में रहते हुए मेयर चुनाव कैसे होगा?

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Apr 23, 2024, 3:41 PM IST

Updated : Apr 23, 2024, 5:28 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल तिहाड़ जेल में बंद हैं. उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा नहीं दिया है. अब केजरीवाल के सामने मेयर का चुनाव सबसे बड़ी चुनौती बन गई है. दिल्ली नगर निगम का सत्र अप्रैल से शुरू होता है और पहली बैठक में मेयर का चुनाव करवाने के लिए दिल्ली नगर निगम बाध्य है. यदि चुनाव नहीं हुआ तो संवैधानिक संकट खड़ा हो जाएगा.

कई पड़ावों से गुजरती है सरकारी फाइल: निगम अधिकारियों की मानें तो अभी तक मेयर चुनाव में जो प्रक्रिया अपनाई जाती है, उसके अनुसार पीठासीन अधिकारी तय करने के लिए निगम की ओर से फाइल दिल्ली सरकार के शहरी विकास विभाग को भेजी जाती है. शहरी विकास विभाग के पास से यह फाइल फिर मुख्यमंत्री के पास जाती है और मुख्यमंत्री के पास से फिर फाइल उपराज्यपाल (एलजी) के पास जाती है. एलजी निगम के प्रशासक हैं. अंतिम फैसला लेने की शक्ति उन्हीं के पास है. इसलिए एलजी द्वारा फाइल को मंजूरी देने के बाद पीठासीन अधिकारी की नियुक्ति होती है.

वहीं, पीठासीन अधिकारी महापौर का चुनाव संपन्न कराता है. इस बार के चुनाव में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के जेल में होने की वजह से इस प्रक्रिया के पूरी होने में अड़चन आ सकती है. इस बारे में कोई अधिकारी यह भी नहीं कह रहा है कि फाइल को सीएम की मंजूरी के लिए तिहाड़ जेल भेजा जाएगा. इससे भी चुनाव टलने की संभावना जताई जा रही है. अगर फाइल को सीएम की मंजूरी के लिए तिहाड़ जेल नहीं भेजा जाता है तो इसमें प्रक्रिया का पालन नहीं हो पाएगा. साथ ही बिना सीएम द्वारा फाइल भेजे हुए एलजी फाइल को नामंजूर कर सकते हैं.

यह भी पढ़ें- केजरीवाल की न्यायिक हिरासत 14 दिन तक बढ़ी, 7 मई को होगी अगली सुनवाई

क्या बिना सीएम के मंजूरी के हो सकता है चुनाव: निगम के पूर्व चीफ लॉ ऑफीसर रहे अनिल गुप्ता का कहना है कि डीएमसी एक्ट में तो इस तरह का कोई प्रावधान नहीं है कि फाइल को सीएम द्वारा ही एलजी को भेजा जाए. यह जरूर है कि अभी तक के महापौर चुनाव में इसी प्रक्रिया का पालन किया गया है तो अगर इस बार भी यही प्रक्रिया अपनाई जाती है तो चुनाव टल सकता है. अगर एलजी चाहें तो बिना सीएम की मंजूरी के भी चुनाव करा सकते हैं.

आम चुनाव के कारण भी टल सकता है मेयर चुनाव: निगम से मिली जानकारी के अनुसार, दूसरा चुनाव टलने की एक वजह यह भी हो सकती है कि दिल्ली में अभी लोकसभा चुनाव के कारण चुनाव आचार संहिता लागू है. ऐसे में कोई दूसरा चुनाव कराने के लिए चुनाव आयोग की एनओसी लेना आवश्यक होता है. चुनाव आयोग से मंजूरी लेने के लिए निगम की ओर से प्रस्ताव भेजा गया है. अभी तक चुनाव आयोग की ओर से एनओसी नहीं मिली है. अगर एनओसी नहीं मिलती है तो 26 अप्रैल को चुनाव होना संभव नहीं होगा.

निगम चुनाव के जानकारों का कहना है कि 2014 के लोकसभा चुनाव के समय भी जब चुनाव आयोग से मेयर का चुनाव कराने के लिए एनओसी मांगी गई थी तो चुनाव आयोग ने दिल्ली में मतदान होने के बाद चुनाव कराने की मंजूरी दी थी. इस बार भी यही संभावना है कि चुनाव आयोग दिल्ली में 25 मई के मतदान के बाद ही महापौर चुनाव कराने की मंजूरी देगा. इसलिए ऐसी स्थिति में चुनाव का टलना तय है.

यह भी पढ़ें- गाजियाबाद में 26 अप्रैल को मतदान दिवस पर रहेगा सार्वजनिक अवकाश, आदेश जारी

नई दिल्ली: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल तिहाड़ जेल में बंद हैं. उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा नहीं दिया है. अब केजरीवाल के सामने मेयर का चुनाव सबसे बड़ी चुनौती बन गई है. दिल्ली नगर निगम का सत्र अप्रैल से शुरू होता है और पहली बैठक में मेयर का चुनाव करवाने के लिए दिल्ली नगर निगम बाध्य है. यदि चुनाव नहीं हुआ तो संवैधानिक संकट खड़ा हो जाएगा.

कई पड़ावों से गुजरती है सरकारी फाइल: निगम अधिकारियों की मानें तो अभी तक मेयर चुनाव में जो प्रक्रिया अपनाई जाती है, उसके अनुसार पीठासीन अधिकारी तय करने के लिए निगम की ओर से फाइल दिल्ली सरकार के शहरी विकास विभाग को भेजी जाती है. शहरी विकास विभाग के पास से यह फाइल फिर मुख्यमंत्री के पास जाती है और मुख्यमंत्री के पास से फिर फाइल उपराज्यपाल (एलजी) के पास जाती है. एलजी निगम के प्रशासक हैं. अंतिम फैसला लेने की शक्ति उन्हीं के पास है. इसलिए एलजी द्वारा फाइल को मंजूरी देने के बाद पीठासीन अधिकारी की नियुक्ति होती है.

वहीं, पीठासीन अधिकारी महापौर का चुनाव संपन्न कराता है. इस बार के चुनाव में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के जेल में होने की वजह से इस प्रक्रिया के पूरी होने में अड़चन आ सकती है. इस बारे में कोई अधिकारी यह भी नहीं कह रहा है कि फाइल को सीएम की मंजूरी के लिए तिहाड़ जेल भेजा जाएगा. इससे भी चुनाव टलने की संभावना जताई जा रही है. अगर फाइल को सीएम की मंजूरी के लिए तिहाड़ जेल नहीं भेजा जाता है तो इसमें प्रक्रिया का पालन नहीं हो पाएगा. साथ ही बिना सीएम द्वारा फाइल भेजे हुए एलजी फाइल को नामंजूर कर सकते हैं.

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क्या बिना सीएम के मंजूरी के हो सकता है चुनाव: निगम के पूर्व चीफ लॉ ऑफीसर रहे अनिल गुप्ता का कहना है कि डीएमसी एक्ट में तो इस तरह का कोई प्रावधान नहीं है कि फाइल को सीएम द्वारा ही एलजी को भेजा जाए. यह जरूर है कि अभी तक के महापौर चुनाव में इसी प्रक्रिया का पालन किया गया है तो अगर इस बार भी यही प्रक्रिया अपनाई जाती है तो चुनाव टल सकता है. अगर एलजी चाहें तो बिना सीएम की मंजूरी के भी चुनाव करा सकते हैं.

आम चुनाव के कारण भी टल सकता है मेयर चुनाव: निगम से मिली जानकारी के अनुसार, दूसरा चुनाव टलने की एक वजह यह भी हो सकती है कि दिल्ली में अभी लोकसभा चुनाव के कारण चुनाव आचार संहिता लागू है. ऐसे में कोई दूसरा चुनाव कराने के लिए चुनाव आयोग की एनओसी लेना आवश्यक होता है. चुनाव आयोग से मंजूरी लेने के लिए निगम की ओर से प्रस्ताव भेजा गया है. अभी तक चुनाव आयोग की ओर से एनओसी नहीं मिली है. अगर एनओसी नहीं मिलती है तो 26 अप्रैल को चुनाव होना संभव नहीं होगा.

निगम चुनाव के जानकारों का कहना है कि 2014 के लोकसभा चुनाव के समय भी जब चुनाव आयोग से मेयर का चुनाव कराने के लिए एनओसी मांगी गई थी तो चुनाव आयोग ने दिल्ली में मतदान होने के बाद चुनाव कराने की मंजूरी दी थी. इस बार भी यही संभावना है कि चुनाव आयोग दिल्ली में 25 मई के मतदान के बाद ही महापौर चुनाव कराने की मंजूरी देगा. इसलिए ऐसी स्थिति में चुनाव का टलना तय है.

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Last Updated : Apr 23, 2024, 5:28 PM IST
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