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पीएम के कम्युनल शब्द इस्तेमाल करने पर खफा हुईं मायावती, बोलीं- सेक्युलरिज्म का पालन करे सरकार - Mayawati on PM statement

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Aug 16, 2024, 9:56 AM IST

Updated : Aug 16, 2024, 12:07 PM IST

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर बयान दिया था और इसमें सुधार की बात कही थी. देश में समान कानून होने का भी जिक्र किया था. अपने भाषण में पीएम ने कम्युनल शब्द का इस्तेमाल किया जिसके बाद विपक्षी दल पीएम मोदी के इस बयान पर बिफर गए.

पीएम के बयान पर खफा हुईं मायवती.
पीएम के बयान पर खफा हुईं मायवती. (Photo Credit; ETV Bharat)

लखनऊ: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर बयान दिया था और इसमें सुधार की बात कही थी. देश में समान कानून होने का भी जिक्र किया था. अपने भाषण में पीएम ने कम्युनल शब्द का इस्तेमाल किया जिसके बाद विपक्षी दल पीएम मोदी के इस बयान पर बिफर गए. उन्होंने प्रधानमंत्री के इस बयान पर पलटवार भी किया. बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष व उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने भी पीएम के इस बयान पर प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कम्युनल सब इस्तेमाल करने पर नाराजगी जताई.

बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पर पोस्ट किया है, जिसमें लिखा है- पीएम ने 15 अगस्त को लाल क़िले से संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अम्बेडकर के सभी धर्मों का एक-समान सम्मान के धर्मनिरपेक्षता के सिद्धान्त की संवैधानिक व्यवस्था को ’कम्युनल’ कहा है. क्या ये उचित है? सरकार संविधान की मंशा के हिसाब से सेक्युलरिज्म का पालन करे, यही सच्ची देशभक्ति व राजधर्म है. मायावती ने कहा है- इतना ही नहीं, बल्कि पीएम देश की अपार गरीबी, बेरोजगारी, महंगाई व पिछड़ेपन आदि की ज्वलन्त राष्ट्रीय समस्याओं पर इससे प्रभावित करीब सवा सौ करोड़ लोगों में उम्मीद की कोई नई किरण नहीं जगा पाए. बीएसपी सुप्रीमो ने सवाल किया कि लोगों के ’अच्छे दिन’ कब आयेंगे?

बता दें कि यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर राज्य सरकारों ने अपने स्तर से काम करना शुरू कर दिया है. उत्तराखंड पहला ऐसा राज्य है, जिसने यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू कर दिया है. उत्तर प्रदेश में भी यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने की पूरी तैयारी है. इसका खाका खींचा जा चुका है. अन्य राज्य भी इस पर तेजी से काम कर रहे हैं. अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लाल किले से समान नागरिक संहिता पर बयान देने के बाद इस पर चर्चा तेज हो गई है कि अब देश में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने को लेकर सरकार गंभीर है. हालांकि सरकार के इस फैसले पर विपक्ष आपत्ति दर्ज कर रहा है.

कहा है कि 78वें स्वतंत्रता दिवस पर पीएम का लाल किले से दिया गया भाषण काफी लम्बा-चौड़ा, लेकिन करोड़ों दलितों व आदिवासियों के आरक्षण के हक की रक्षा के मामले में अत्यन्त निराशाजनक है. जबकि सुप्रीम कोर्ट के एक अगस्त के निर्णय के बाद यह अति खास व ज्वलन्त मुद्दा है. इस बारे में भाजपा सांसदों को दिया आश्वासन भी पीएम को याद नहीं रहा, जबकि देश के SC-ST वर्गों को ऐसा ही जातिवादी रवैया अपनाने की कांग्रेस से भी बड़ी शिकायत है, क्योंकि इस पार्टी ने भी इनके उपवर्गीकरण व उन्हें बांटने पर भाजपा की तरह ही अभी तक चुप्पी साध रखी है, जो अनुचित है.

यह भी पढ़ें : 78वां स्वतंत्रता दिवस: पीएम मोदी ने कहा- 'देश में एक सेकुलर सिविल कोड हो' - 78th independence day celebrations

लखनऊ: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर बयान दिया था और इसमें सुधार की बात कही थी. देश में समान कानून होने का भी जिक्र किया था. अपने भाषण में पीएम ने कम्युनल शब्द का इस्तेमाल किया जिसके बाद विपक्षी दल पीएम मोदी के इस बयान पर बिफर गए. उन्होंने प्रधानमंत्री के इस बयान पर पलटवार भी किया. बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष व उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने भी पीएम के इस बयान पर प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कम्युनल सब इस्तेमाल करने पर नाराजगी जताई.

बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पर पोस्ट किया है, जिसमें लिखा है- पीएम ने 15 अगस्त को लाल क़िले से संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अम्बेडकर के सभी धर्मों का एक-समान सम्मान के धर्मनिरपेक्षता के सिद्धान्त की संवैधानिक व्यवस्था को ’कम्युनल’ कहा है. क्या ये उचित है? सरकार संविधान की मंशा के हिसाब से सेक्युलरिज्म का पालन करे, यही सच्ची देशभक्ति व राजधर्म है. मायावती ने कहा है- इतना ही नहीं, बल्कि पीएम देश की अपार गरीबी, बेरोजगारी, महंगाई व पिछड़ेपन आदि की ज्वलन्त राष्ट्रीय समस्याओं पर इससे प्रभावित करीब सवा सौ करोड़ लोगों में उम्मीद की कोई नई किरण नहीं जगा पाए. बीएसपी सुप्रीमो ने सवाल किया कि लोगों के ’अच्छे दिन’ कब आयेंगे?

बता दें कि यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर राज्य सरकारों ने अपने स्तर से काम करना शुरू कर दिया है. उत्तराखंड पहला ऐसा राज्य है, जिसने यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू कर दिया है. उत्तर प्रदेश में भी यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने की पूरी तैयारी है. इसका खाका खींचा जा चुका है. अन्य राज्य भी इस पर तेजी से काम कर रहे हैं. अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लाल किले से समान नागरिक संहिता पर बयान देने के बाद इस पर चर्चा तेज हो गई है कि अब देश में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने को लेकर सरकार गंभीर है. हालांकि सरकार के इस फैसले पर विपक्ष आपत्ति दर्ज कर रहा है.

कहा है कि 78वें स्वतंत्रता दिवस पर पीएम का लाल किले से दिया गया भाषण काफी लम्बा-चौड़ा, लेकिन करोड़ों दलितों व आदिवासियों के आरक्षण के हक की रक्षा के मामले में अत्यन्त निराशाजनक है. जबकि सुप्रीम कोर्ट के एक अगस्त के निर्णय के बाद यह अति खास व ज्वलन्त मुद्दा है. इस बारे में भाजपा सांसदों को दिया आश्वासन भी पीएम को याद नहीं रहा, जबकि देश के SC-ST वर्गों को ऐसा ही जातिवादी रवैया अपनाने की कांग्रेस से भी बड़ी शिकायत है, क्योंकि इस पार्टी ने भी इनके उपवर्गीकरण व उन्हें बांटने पर भाजपा की तरह ही अभी तक चुप्पी साध रखी है, जो अनुचित है.

यह भी पढ़ें : 78वां स्वतंत्रता दिवस: पीएम मोदी ने कहा- 'देश में एक सेकुलर सिविल कोड हो' - 78th independence day celebrations

Last Updated : Aug 16, 2024, 12:07 PM IST
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