मेरठ: जिले के रहने वाले 25 वर्षीय युवा ने इंग्लैंड से पढ़ाई की. कई बड़ी कम्पनियों में बड़े ऑफर भी मिले, लेकिन नौकरी न करके युवा ने खुद की तकदीर को लिखने का निर्णय लिया और खुद का कारोबार शुरू किया. वह खास तरह की बेडशीट बनाकर हर महीने लाखों रुपये कमा रहे हैं. उन्होंने करीब 30 लोगों को रोजगार भी दे रखा है.
मेरठ के रहने वाले हर्षित अरोड़ा ने इंग्लैंड से पढ़ाई की है. लेकिन मन में कुछ करने की कसक उन्हें वापस वतन खींच लाई. पहले तो कुछ दिन रणनीति बनाई. उसके बाद अपना खुद का ही कारोबार शुरू कर दिया. हर्षित ने फिटेड बेडशीट्स का कॉन्सेप्ट लाया. उन्होंने अच्छी क्वॉलिटी का कपड़ा अलग जगह से लिया. उसके बाद उस पर स्थानीय कारीगरों से संपर्क करके कढ़ाई बुनाई करवाने का प्रस्ताव रखा. जिसे कई लोगों ने स्वीकार कर लिया. अब हर्षित फिटेड बेडशीट, पिलो कवर कुशन कवर तैयार कराते हैं और उसकी ऑनलाइन बिक्री कर रहे हैं.
फिटेड बेडशीट ये करेगी काम: हर्षित ने बताया, कि अक्सर देखने में आया है, कि जब बच्चे छोटे होते हैं तो ऐसे बच्चों की बेडशीट अक्सर उनके सोने, लेटने, बैठने के ढंग से बेड से खिसक जाया करती है. वह बताते हैं, कि यह उनका खुद का अनुभव भी रहा है. जिसके लिए उन्हें एक समय में मां से फटकार भी पड़ती थी. वह बताते हैं, कि उन्होंने इसी पर फोकस किया. उन्होंने फिटेड बेडशीट पर काम किया.
25 लाख सालाना टर्नओवर : हर्षित कहते हैं, कि अभी तो एक साल भी नहीं हुआ. लेकिन, उनका टर्नओवर लगभग 25 लाख रुपये सालाना के आसपास हो गया. मार्केट में मिल रहे रिस्पॉन्स से वह संतुष्ट हैं. अगले साल तक उम्मीद है वह इसे डबल तो कर ही लेंगे. प्रतिबद्ध होते हुए अगर कुछ करने का निर्णय लिया जाए, तो निश्चित ही परिणाम भी सुखद ही होते हैं.
हर्षित ने बताया, कि वह चाहते तो विदेश में पढ़ाई के बाद वहीं नौकरी पाकर संतुष्ट हो जाते, लेकिन उन्हें मंजूर नहीं था. हर्षित ने बताया कि उन्हें खुशी है, कि आज कुछ ही समय में अपनी उम्र से ज्यादा लोगों को वह काम भी दे पा रहे हैं. ऑनलाइन मार्केट में इसकी अपार सम्भावनाएं हैं. वह इस पर निरंतर आगे बढ़ने के लिए काम भी कर रहे हैं. हर्षित के साथ जो लोग जुड़े हैं, वह भी खुश हैं, कि जहां इनकम हो रही है वह भी इस काम में जुड़कर अपने परिवार का खर्च चला पा रहे हैं.
इंग्लैंड से मार्केटिंग में मैनेजमेंट की पढ़ाई करने वाले हर्षित का कहना है, कि वह हमेशा ही कुछ अलग करना चाहते थे. वह पीएम मोदी के आत्मनिर्भर भारत अभियान को युवाओं के लिए किसी वरदान से कम नहीं मानते. हर्षित ने बताया, कि तमिलनाडु से कपड़ा बनकर आता है. उसके बाद गाजियाबाद में उसे डाई करवाते हैं, आस पास की गांव की महिलाओं से कुशन कवर पर हाथ की कारीगरी करवाते हैं. वह बताते हैं, कि 30 लोग उन्हीं के लिए काम करते हैं. जबकि, कुछ अन्य लोगों को भी साथ जोड़ा हुआ है.