मंडी: जिला मंडी में पंडोह के साथ लगते बाखली (बजाह) गांव में माता बगलामुखी 4 करोड़ से बने नए भंडार में विराजमान हो गई हैं. भंडार की प्राण प्रतिष्ठा का समारोह तीन दिनों तक जारी रहा. 10 से 12 मई तक मंदिर में इस दौरान रोजाना भव्य कार्यक्रम हुए. माता बगलामुखी मंदिर कमेटी के प्रधान दामोदर दास ने बताया कि 10 मई को माता का रथ शाम के समय शुभ मुहूर्त में भंडार में रखा गया. इस समारोह में 65 देवी देवताओं के कारदार दलबल सहित इस समारोह में शामिल हुए. इस आयोजन को सफल बनाने में माता बगलामुखी के गुर मेघ सिंह, कठयाल इंद्र सिंह, धामी देवी राम, कटवाल गिरधारी लाल, वजीर शोभा राम और सचिव मेघ सिंह सहित अन्यों ने अपनी अहम योगदान दिया.
7 सालों में तैयार हुआ 65 फीट उंचा भवन
माता बगलामुखी के नए भंडार के निर्माण में जहां 4 करोड़ की राशि खर्च हुई. वहीं, इस भवन के निर्माण में पूरे 7 सालों का समय लगा. भंडार का निर्माण कार्य साल 2017 में शुरू हुआ था और यह 2024 में जाकर पूरा हुआ. इस भंडार को लकड़ी से पहाड़ी शैली में बेहतरीन नक्काशी करके बनाया गया है. भंडार का डिजाईन डयोड निवासी ढाले राम ने किया है. जबकि उनके साथ थाची और अन्य स्थानों के अन्य कारीगर भी मौजूद थे. भंडार की उंचाई 65 फीट है, जबकि इसकी लंबाई और चौडाई 30-30 फीट है. मंदिर के निर्माण पर जो भी खर्च आया है, उसे माता के भक्तों ने दान स्वरूप दिया है. माता बगलामुखी की हार में 200 से ज्यादा घर हैं और अधिकतर राशि इन्हीं लोगों द्वारा दान में दी गई है.
तीन दिन में 35 हजार ने ग्रहण किया भंडारा
तीन दिन तक चले प्राण प्रतिष्ठा समारोह में माता बगलामुखी का भंडारा लगातार चलता रहा. जो भी यहां आया वो प्रसाद ग्रहण करके ही गया. तीन दिनों तक लगभग 35 हजार ने भंडारा खाया और इस भंडारे को बनाने के लिए 100 चरोटियों यानी बटलूहियों (खाना बनाने वाले बर्तन) का इस्तेमाल हुआ. इस दौरान 40 क्विंटल चावल बनाए गए.
भंडार में रथ तो मंदिर में रहती है मूर्ति
बता दें कि माता के नए भंडार का निर्माण हुआ है, मंदिर का नहीं. मंदिर जहां पर है, जिस अवस्था में है, वो वहीं पर ही है. भंडार बाखली (बजाह) गांव में है. भंडार वो स्थान होता है जहां पर देवी या देवता के रथ को रखा जाता है. जबकि मंदिर में प्रकट हुई या निर्मित की गई मूर्तियों को रखा जाता है.
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