रांची: झारखंड मुक्ति मोर्चा के दो बार केंद्रीय अध्यक्ष रहे और आजसू के संस्थापक अमर शहीद निर्मल महतो की आज जयंती है. झारखंड के सिंहभूम जिले के उलियान गांव में 25 दिसंबर 1950 ईस्वी को उनका जन्म हुआ. निर्मल महतो की जयंती पर आज रांची के जेल चौक पर सुबह से ही निर्मल महतो की प्रतिमा पर माल्यार्पण करने के लिए आजसू और झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता पहुंच रहे हैं.
'झारखंड के लिये गर्व की बात'
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी दोपहर बाद पुराने जेल रोड स्थित निर्मल महतो की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया और कहा कि यह गर्व की बात है कि झारखंड की धरती पर ऐसे महापुरुषों का जन्म हुआ. मुख्यमंत्री ने कहा कि निर्मल महतो के बताए आदर्शों पर वह चल रहे हैं. उन्होंने कहा कि निर्मल महतो ने झारखंड की अस्मिता और आदिवासी-मूलवासियों की भावनाओं को एकजुट रखा. हेमंत सोरेन ने कहा कि हमलोग भी जनता के हितों के लिए लगातार तत्पर रहते हैं.
'झारखंड निर्माण के आंदोलन में सक्रिय भूमिका रही'
निर्मल महतो ने सूदखोरों के खिलाफ आंदोलन चलाया था. उन्होंने झारखंड अलग राज्य के लिए चलाये गये आंदोलन में भी अपनी अहम भूमिका निभाई थी. ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन (आजसू) का गठन निर्मल महतो ने ही किया था. झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन ने इनकी आंदोलनकारी छवि को देखते हुए, उनको 1980 में झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) में शामिल कराया था.
वह झारखंड मुक्ति मोर्चा के दो बार 1984 और 1986 में पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष भी चुने गए थे. वह जीवन के अंत तक झामुमो के अध्यक्ष बने रहे. निर्मल महतो की हत्या 8 अगस्त 1987 को जमशेदपुर के बिष्टुपुर में नॉर्दर्न टाउन स्थित चमरिया गेस्ट हाउस के सामने गोली मारकर उस समय कर दी गई थी, जब वह अपने सहयोगियों के साथ खड़े होकर बातचीत कर रहे थे, लोग निर्मल महतो को प्यार से निर्मल दा पुकारते थे.
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