हंगामे के बीच MCD की बैठक में कई प्रस्ताव पास, भाजपा ने कहा- एमसीडी एक्ट का हुआ उल्लंघन - MCD meeting amid uproar - MCD MEETING AMID UPROAR
MCD meeting: दिल्ली नगर निगम की बैठक में हंगामे के बीच सत्ता पक्ष आम आदमी पार्टी की तरफ से कई प्रस्ताव पास करा लिए गए.
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Published : Oct 5, 2024, 6:46 PM IST
|Updated : Oct 5, 2024, 10:56 PM IST
नई दिल्लीः हंगामे के बीच दिल्ली नगर निगम की बैठक में सत्ता पक्ष की तरफ से कई प्रस्ताव पास करा लिए गए. जिस पर विपक्षी भाजपा ने सवाल उठाया है. नगर निगम के नेता प्रतिपक्ष व पूर्व महापौर सरदार राजा इकबाल सिंह ने सदन में पास हुए प्रस्तावों को अवैध करार दिया. उन्होंने कहा कि यह नगर निगम के प्रक्रिया एवं संचालन नियमों का खुला उल्लंघन है.
राजा इकबाल सिंह ने बताया कि आम आदमी पार्टी के पास एंजेडे में शामिल प्रस्तावों को पास कराने का पर्याप्त संख्याबल नहीं था. जबकि भाजपा के पार्षदों की संख्या ज्यादा थी. ऐसे में भाजपा कई पार्षदों ने प्रस्तावों पर वोटिंग की मांग की, लेकिन महापौर ने इसे अनदेखा कर दिया और अवैध तरीके से प्रस्तावों को पास कर दिय़ा, जो नियमानुसार पूरी तरह से अवैध है.
सरदार राजा इकबाल सिंह ने बताया कि सदन की बैठक में आप के 81 तो भाजपा के 94 सदस्य मौजूद थे. यानि आज प्रस्तावों पर निर्णय लेने का अधिकार भाजपा के पास था, पर महापौर ने जानबूझकर आप के पास बहुमत न होने के बाद भी प्रस्तावों को पास कराया. नेता प्रतिपक्ष ने बताया कि निगम के प्रक्रिया एवं संचालन के अनुच्छेद 44 (1) के तहत नियम है कि अगर, चार या उससे अधिक सदस्य किसी भी प्रस्ताव पर महापौर से वोटिंग की मांग करते हैं तो महापौर को वोटिंग करानी होती है. लेकिन, महापौर ने वोटिंग न कराकर एमसीडी एक्ट का उल्लंघन किया.
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि हम जनता के हित के कामों को रोकना नहीं चाहते हैं लेकिन हमारा लक्ष्य है कि निगम की प्रक्रिया निगम के एक्ट के तहत काम करें. आम आदमी पार्टी जब से सत्ता में आई है वह निगम एक्ट का खुला उल्लंघन कर रही है. मेयर शैली ओबेरॉय को चाहिए था कि वह महापौर पद के लिए अनुसूचित जाति के पार्षद को मंहापौर का चुनाव कराकर उन्हें कुर्सी सौंपे. लेकिन चुनाव न कराकर महापौर जानबूझकर दलित समाज का हक मार रखा है.
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि सूत्रों से पता चला है कि आप के पार्षद बार-बार निगम एक्ट का उल्लंघन करने और महापौर चुनाव से लेकर स्थायी समिति के गठन में बाधा डालने से नाराज हैं. इसलिए आप पार्षदों की संख्या कम हो रही है. इतना ही नहीं वह आप की पार्टी मीटिंग में भी शामिल नहीं हो रहे हैं. उन्होंन कहा कि आज के घटनाक्रम से यह साबित हो गया है कि आप पार्टी के पास अब निगम सदन में बहुमत नहीं है. इसलिए महापौर अब पद पर रहने का नैतिक अधिकार खो चुकी है, इसलिए उनको तुरंत इस्तीफा देना चाहिए.
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