नई दिल्ली: दिल्ली नगर निगम में भले ही 2022 में आम आदमी पार्टी की सरकार काबिज हो गई है लेकिन दिल्लीवालों को इससे कोई खास फायदा नहीं मिल रहा है. एमसीडी चुनावों में आम आदमी पार्टी ने नगर निगम में भी जीत दिलाकर 'डबल इंजन' की सरकार बनाने को लेकर वोट मांगा था. दिल्ली के मतदाताओं ने निगम में आम आदमी पार्टी को जीत दिला दी लेकिन सीएम अरविंद केजरीवाल के जेल में रहने के चलते कामकाज तो दूर मेयर का चुनाव तक नहीं हो पा रहा है. हर साल वित्त वर्ष के पहले माह यानी अप्रैल में मेयर का चुनाव कराया जाता है, जिसके बाद एमसीडी का गठन माना जाता है. इस साल ऐसा नहीं हुआ है.
हैरान करने वाली बात तो यह है कि इस साल मेयर का पद अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित है. अप्रैल माह में होने वाले मेयर चुनाव को अभी तक नहीं करवाया जा सका है. अप्रैल माह में चुनाव कराने के लिए बुलाई गई एमसीडी की मीटिंग को लेकर उपराज्यपाल कार्यालय की तरफ से आपत्ति जताते हुई मंजूरी नहीं दी गई. एलजी ऑपिस की ओर से प्रोटेम स्पीकर नियुक्त करने संबंधी फाइल पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के हस्ताक्षर होने की दलील दी गई थी. सीएम केजरीवाल के जेल में होने की वजह से प्रोटेम स्पीकर नियुक्ति फाइल पर सिग्नेचर नहीं हो सके. इस कारण से मेयर का चुनाव अधर में लटका है.
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दिल्ली मेयर का चुनाव सही समय पर नहीं होने के चलते अब इसका असर एमसीडी के तमाम प्रोजेक्ट्स पर भी पड़ने लगा है. दिल्ली में डबल इंजन की सरकार होने के बावजूद जमीनी स्तर पर प्रोजेक्ट्स में कोई प्रोग्रेस देखने को नहीं मिली है. इसके चलते हाल ही में एमसीडी के एडिशनल कमिश्नर (इंजीनियरिंग) की ओर से एक सर्कुलर जारी किया गया था जिसमें उन सभी परियोजनाओं को बंद करने के आदेश दिये गए जिनको 6 माह से ज्यादा समय पहले वर्क ऑर्डर जारी हुए थे.
इन 6 माह के दौरान इन परियोजनाओं पर कोई काम नहीं किया गया. आयुक्त के निर्देशों के बावजूद कई मामलों में तो वर्क ऑर्डर तक का खुलना बाकी है जिससे एमसीडी के कामकाज और उसकी स्थिति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है. साथ ही यह भी स्पष्ट किया गया है कि जिन मामलों में वर्क ऑर्डर या फिर कॉन्ट्रेक्ट दिए हुए छह माह से ज्यादा का समय बीत गया है और अब तक काम शुरू नहीं हुआ है, उसको बंद माना जा सकता है.
हालांकि, दिल्ली नगर निगम की ओर से दिल्ली ग्रामोदय अभियान पहल के तहत मंजूरी किए गए 341 प्रोजेक्ट्स को पूरा करने के काम पर बल दिया जा रहा है. यह प्रोजेक्ट्स खासकर नजफगढ़, नरेला, दक्षिण और पश्चिम दिल्ली के इलाकों के गांवों से जुड़े हुए हैं. वहीं, दिल्ली सरकार का विकास विभाग भी ग्रामीण इलाकों के विकास पर जोर दे रहा है.
1999 में भी आई थी अल्पकाल के लिए ऐसी स्थिति: जगदीश ममगाईं
दिल्ली नगर निगम में निर्माण समिति के पूर्व चेयरमैन और अर्बन मामलों के जानकार जगदीश ममगाईं ने बताया कि साल 1999 में भी ऐसी स्थिति पैदा हुई थी जब मेयर पद के लिए आरक्षित तीसरे साल के कार्यकाल में सामान्य कैटैगरी के डिप्टी मेयर को ही कार्यवाहक मेयर पद की जिम्मेदारी दी गई. उस वक्त सिर्फ यह कुछ दिनों के लिए थी. उस वक्त अप्रैल से अक्तूबर 1999 तक अनीता आर्य मेयर बनीं थीं जो बाद में उस वक्त की करोल बाग सीट (आरक्षित) से बीजेपी के टिकट पर लोकसभा चुनाव जीतकर सांसद बन गई थीं. इस स्थिति में मीरा कांवरिया को दिल्ली का मेयर बनाया गया था. उनके मेयर बनने तक डिप्टी मेयर महेश शर्मा ने कार्यवाहक मेयर का पद संभाला था. अब एक बार फिर स्थिति मेयर के रिजर्व कार्यकाल पर सामान्य कैटैगरी की डॉ. शैली ओबरॉय के बने रहने की उम्मीद है. मेयर चुनाव नहीं होने की वजह से कार्यवाहक मेयर के रहने से निगम की कार्यप्रणाली पर भी असर पड़ता है.
लोकसभा चालू तो मेयर चुनाव कराने में नहीं होनी चाहिए दिक्कत: योगेंद्र सिंह मान
एमसीडी के सूचना एवं प्रचार निदेशालय के पूर्व निदेशक और निगम मामलों के जानकार योगेंद्र सिंह मान ने बातचीत के दौरान बताया कि मेयर चुनाव कराने को लेकर किसी प्रकार की कोई आपत्ति नहीं हैं. लोकसभा चुनाव 4 जून, 2024 को संपन्न हो चुके हैं और नई सरकार का गठन हो चुका है. इसके बाद संसद का सत्र भी चल रहा है लेकिन मेयर का चुनाव नहीं करवाया गया है. उनका कहना है कि डीएमसी एक्ट 1957 कहता है कि अगर अप्रैल माह में मेयर चुनाव नहीं होता है तो एमसीडी को भंग किया जा सकता है. यह सिर्फ आपदा और किन्ही अपरिहार्य कारणों की वजह से ही टाला जा सकता है. जहां तक लोकसभा चुनाव की बात है तो इसका कोई प्रभाव इस पर नहीं होता है. एमसीडी की आज गुरुवार को हुई मीटिंग में मेयर का चुनाव करवाया जाना चाहिए था. आरक्षित वर्ग के लिए इस तीसरे साल में मेयर का चुनाव अभी तक नहीं होना उसके अधिकारों का हनन करने जैसा है. इससे निगम से जुड़े कार्य भी प्रभावित होते हैं.
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