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बेरमो विधानसभा से भाजपा की टिकट के कई दावेदार, असमंजस में पार्टी नेतृत्व और जनता - Bermo Assembly Constituency

Race for ticket in BJP. झारखंड विधानसभा चुनाव को लेकर सरगर्मी बढ़ गई है. सभी पार्टियों की ओर से टिकट के लिए दावेदरों की लंबी फौज खड़ी हो गई है. इसी क्रम में बेरमो विधानसभा सीट से बीजेपी की टिकट पर कई लोग चुनाव लड़ना चाहते हैं और दावा भी पेश कर रहे हैं.

Bermo Assembly Constituency
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Aug 10, 2024, 8:25 PM IST

बोकारोः जिले के बेरमो विधानसभा से टिकट के दावेदारों की जोर आजमाइश अभी से शुरू हो गई है. गोमिया में जयराम महतो की पार्टी जेएलकेएम की तरह बेरमो में भी भाजपा की टिकट को लेकर “एक अनार सौ बीमार” वाली स्थिति बनी हुई है. सभी दावेदार टिकट पाने की जुगत में जुटे हुए हैं. कोई किसी से कम नजर नहीं आ रहा है. सभी नेता टिकट पाने के लिए अपना-अपना समीकरण भिड़ा रहे हैं.हालांकि टिकट बीजेपी नेतृत्व को तय करना है, लेकिन सभी दावेदार इस उम्मीद में क्षेत्र में पूरी तरह से सक्रिय हो चुके हैं.

मतदाताओं में भी उलझन की स्थिति

दूसरी ओर इतने अधिक दावेदारों को देखकर बेरमो विधानसभा के मतदाता उलझन में हैं. किसी को यह समझ में अभी तक नहीं आ रहा कि बेरमो में भाजपा का टिकट प्राप्त करने में आखिर कौन सफल हो पाएगा.

बीजेपी की टिकट के मजबूत दावेदार रवींद्र

वरिष्ठ पत्रकार दीपक सवाल के अनुसार बेरमो विधानसभा से बीजेपी की टिकट के पहले दावेदार में रवींद्र कुमार पांडेय का नाम लिया जा सकता है. क्षेत्र में उनके नाम की चर्चा काफी जोरों पर है. रवींद्र गिरिडीह लोकसभा क्षेत्र से पांच बार सांसद भी रह चुके हैं. एमपी रहते हुए 2019 के लोकसभा चुनाव में इनका टिकट काटकर एनडीए कोटे से आजसू नेता चंद्रप्रकाश चौधरी को टिकट दे दिया गया था. उस समय यह चर्चा थी कि रवींद्र को पार्टी संगठन में कोई बड़ी जिम्मेदारी मिल सकती है. राज्यसभा भी भेजे जाने की चर्चा थी, लेकिन 5 साल में ऐसा कुछ नहीं हुआ. 2024 के लोकसभा चुनाव में भी यही स्थिति रही.

रवींद्र की बेरमो में पकड़ मानी जाती है मजबूत

भाजपा-आजसू अलायंस के तहत सिटिंग एमपी चंद्रप्रकाश चौधरी को टिकट मिला और इस बार भी रवींद्र पांडेय टिकट से वंचित रह गए.अब ऐसी चर्चा है कि रवींद्र पांडेय बेरमो विधानसभा से टिकट लेने के इच्छुक हैं और उन्हें एक बड़ा दावेदार के रूप में देखा जा रहा है. पांच बार सांसद रहने के कारण वह न किसी परिचय के मोहताज हैं और न जनता के बीच उनकी पकड़ अभी कमजोर हुई है. ऐसा अनुमान है कि रवींद्र पांडेय को टिकट मिलने से यहां बड़ा उलटफेर देखने को मिल सकता है.

योगेश्वर और लक्ष्मण के नाम की भी चर्चा

वहीं योगेश्वर महतो बाटुल के नाम की भी चर्चा है. बाटुल बेरमो से विधायक रह चुके हैं. कांग्रेस के जयमंगल सिंह उन्हें हराकर विधायक बने हैं. दावेदारों में लक्ष्मण कुमार नायक का भी नाम चर्चा में है. लक्ष्मण कसमार प्रखंड के दांतू के निवासी हैं और जिला बीस सूत्री समिति के उपाध्यक्ष भी रह चुके हैं. इसके अलावा 2019 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने गोमिया विधानसभा से टिकट देकर इन्हें मैदान में उतारा था, लेकिन उसके बाद एनडीए के तहत यह सीट आजसू के खाते में चली गई. इस कारण बाटुल ने अपनी गतिविधियां बेरमो विधानसभा में बढ़ा दी है. वरिष्ठ पत्रकार दीपक सवाल के अनुसार पार्टी नेतृत्व के बीच बाटुल की अच्छी पकड़ और पहचान है. साथ ही उनकी साफ-सुथरी छवि है.क्षेत्र में भी इन्होंने अपनी पहचान बना ली है.

प्रकाश कुमार सिंह को भी मिल सकता है मौका

एक और दावेदार में प्रकाश कुमार सिंह का नाम भी काफी आगे चल रहा है. प्रकाश फुसरो के अमलो बस्ती के निवासी हैं और सिरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के डायरेक्टर हैं. पिछले काफी समय से वे बेरमो विधानसभा की राजनीतिक गतिविधियों में शामिल रहे हैं. वरिष्ठ पत्रकार दीपक सवाल के अनुसार ऐसा माना जा रहा है कि यहां से टिकट लेकर चुनाव लड़ने के उद्देश्य ही उन्होंने अपनी राजनीतिक गतिविधियां बढ़ाई हैं. आर्थिक तौर पर भी उन्हें काफी सक्षम माना जाता है. ऐसी चर्चा है कि वे केंद्रीय नेतृत्व तक अपनी पहचान व पकड़ भी रखते हैं.

देवीदास और ओमप्रकाश के नाम की भी चर्चा

इसी तरह देवीदास और ओमप्रकाश सिंह उर्फ टीनू सिंह के नाम की भी चर्चा है. देवीदास भाजपा प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य हैं और उनकी अपनी एक बड़ी राजनीतिक पहचान है. काफी समय तक झारखंड मुक्ति मोर्चा में रहकर इन्होंने अपनी राजनीतिक पकड़ और पहचान बनाई है. पिछले तीन-चार सालों से देवीदास भाजपा में हैं और उनके पास भी अपना जनाधार है. इनके पुत्र सुभाष चंद्र दास केंद्रीय राज्य मंत्री शांतनु ठाकुर के पीएस हैं. वहीं टीनू सिंह कुरपनिया के निवासी हैं और वह भी काफी सक्रिय है.

दो महिला नेत्री भी टिकट की प्रबल दावेदार

वरिष्ठ पत्रकार दीपक सवाल के अनुसार दो महिला नेत्री को भी टिकट के प्रबल दावेदारों में माना जा रहा है. उनमें भाजपा जिला उपाध्यक्ष करगली निवासी अर्चना सिंह और गिरिजा देवी का नाम शामिल है. गिरिजा देवी बेरमो प्रखंड की प्रमुख और महिला मोर्चा की जिलाध्यक्ष भी हैं. यहां की राजनीति में इनकी अपनी पकड़ और पहचान है. साथ ही जनता के बीच अच्छी छवि भी है. अब देखना यह दिलचस्प है कि आधा दर्जन से अधिक दावेदारों में पार्टी नेतृत्व किस पर दांव खेलेगी और कौन टिकट लेकर चुनावी जंग में उतरने में कामयाब हो पाएगा.

कांग्रेस से अनूप सिंह को फिर मौका मिलने की संभावना

दूसरी ओर बेरमो में वर्तमान में कांग्रेस के कुमार जयमंगल उर्फ अनूप सिंह विधायक हैं. वह कांग्रेस के दिग्गज नेता और पांच बार के विधायक रहे दिवंगत राजेंद्र प्रसाद सिंह के पुत्र हैं. राजनीति में अनूप सिंह का अपना अलग ही दबदबा है. इस बार भी इन्हें कांग्रेस से टिकट मिलना तय माना जा रहा है, लेकिन झारखंड मुक्ति मोर्चा के जिलाध्यक्ष हीरालाल मांझी के एक बयान ने सनसनी फैला दी है. जिसमें उन्होंने बेरमो से चुनाव लड़ने की दावेदारी पेश की है.

जेएलकेएम से कमलेश और सीपीआई से आफताब मजबूत दावेदार

इसी तरह जेएलकेएम में यहां कमलेश महतो को एक बड़ा चेहरा के रूप में देखा जा रहा है. वह जेएलकेएम के गिरिडीह लोकसभा प्रभारी भी हैं. इसके अलावा सीपीआई नेता आफताब आलम खान भी पार्टी का टिकट पर चुनाव मैदान में दिख सकते हैं. पहले भी चुनाव लड़ चुके आफताब भी बेरमो में किसी परिचय पहचान के मोहताज नहीं हैं. कुल मिलाकर बेरमो में इस बार चुनावी जंग काफी दिलचस्प होने वाली है और इसको लेकर अभी से सरगर्मी बढ़ी हुई है.

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बोकारोः जिले के बेरमो विधानसभा से टिकट के दावेदारों की जोर आजमाइश अभी से शुरू हो गई है. गोमिया में जयराम महतो की पार्टी जेएलकेएम की तरह बेरमो में भी भाजपा की टिकट को लेकर “एक अनार सौ बीमार” वाली स्थिति बनी हुई है. सभी दावेदार टिकट पाने की जुगत में जुटे हुए हैं. कोई किसी से कम नजर नहीं आ रहा है. सभी नेता टिकट पाने के लिए अपना-अपना समीकरण भिड़ा रहे हैं.हालांकि टिकट बीजेपी नेतृत्व को तय करना है, लेकिन सभी दावेदार इस उम्मीद में क्षेत्र में पूरी तरह से सक्रिय हो चुके हैं.

मतदाताओं में भी उलझन की स्थिति

दूसरी ओर इतने अधिक दावेदारों को देखकर बेरमो विधानसभा के मतदाता उलझन में हैं. किसी को यह समझ में अभी तक नहीं आ रहा कि बेरमो में भाजपा का टिकट प्राप्त करने में आखिर कौन सफल हो पाएगा.

बीजेपी की टिकट के मजबूत दावेदार रवींद्र

वरिष्ठ पत्रकार दीपक सवाल के अनुसार बेरमो विधानसभा से बीजेपी की टिकट के पहले दावेदार में रवींद्र कुमार पांडेय का नाम लिया जा सकता है. क्षेत्र में उनके नाम की चर्चा काफी जोरों पर है. रवींद्र गिरिडीह लोकसभा क्षेत्र से पांच बार सांसद भी रह चुके हैं. एमपी रहते हुए 2019 के लोकसभा चुनाव में इनका टिकट काटकर एनडीए कोटे से आजसू नेता चंद्रप्रकाश चौधरी को टिकट दे दिया गया था. उस समय यह चर्चा थी कि रवींद्र को पार्टी संगठन में कोई बड़ी जिम्मेदारी मिल सकती है. राज्यसभा भी भेजे जाने की चर्चा थी, लेकिन 5 साल में ऐसा कुछ नहीं हुआ. 2024 के लोकसभा चुनाव में भी यही स्थिति रही.

रवींद्र की बेरमो में पकड़ मानी जाती है मजबूत

भाजपा-आजसू अलायंस के तहत सिटिंग एमपी चंद्रप्रकाश चौधरी को टिकट मिला और इस बार भी रवींद्र पांडेय टिकट से वंचित रह गए.अब ऐसी चर्चा है कि रवींद्र पांडेय बेरमो विधानसभा से टिकट लेने के इच्छुक हैं और उन्हें एक बड़ा दावेदार के रूप में देखा जा रहा है. पांच बार सांसद रहने के कारण वह न किसी परिचय के मोहताज हैं और न जनता के बीच उनकी पकड़ अभी कमजोर हुई है. ऐसा अनुमान है कि रवींद्र पांडेय को टिकट मिलने से यहां बड़ा उलटफेर देखने को मिल सकता है.

योगेश्वर और लक्ष्मण के नाम की भी चर्चा

वहीं योगेश्वर महतो बाटुल के नाम की भी चर्चा है. बाटुल बेरमो से विधायक रह चुके हैं. कांग्रेस के जयमंगल सिंह उन्हें हराकर विधायक बने हैं. दावेदारों में लक्ष्मण कुमार नायक का भी नाम चर्चा में है. लक्ष्मण कसमार प्रखंड के दांतू के निवासी हैं और जिला बीस सूत्री समिति के उपाध्यक्ष भी रह चुके हैं. इसके अलावा 2019 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने गोमिया विधानसभा से टिकट देकर इन्हें मैदान में उतारा था, लेकिन उसके बाद एनडीए के तहत यह सीट आजसू के खाते में चली गई. इस कारण बाटुल ने अपनी गतिविधियां बेरमो विधानसभा में बढ़ा दी है. वरिष्ठ पत्रकार दीपक सवाल के अनुसार पार्टी नेतृत्व के बीच बाटुल की अच्छी पकड़ और पहचान है. साथ ही उनकी साफ-सुथरी छवि है.क्षेत्र में भी इन्होंने अपनी पहचान बना ली है.

प्रकाश कुमार सिंह को भी मिल सकता है मौका

एक और दावेदार में प्रकाश कुमार सिंह का नाम भी काफी आगे चल रहा है. प्रकाश फुसरो के अमलो बस्ती के निवासी हैं और सिरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के डायरेक्टर हैं. पिछले काफी समय से वे बेरमो विधानसभा की राजनीतिक गतिविधियों में शामिल रहे हैं. वरिष्ठ पत्रकार दीपक सवाल के अनुसार ऐसा माना जा रहा है कि यहां से टिकट लेकर चुनाव लड़ने के उद्देश्य ही उन्होंने अपनी राजनीतिक गतिविधियां बढ़ाई हैं. आर्थिक तौर पर भी उन्हें काफी सक्षम माना जाता है. ऐसी चर्चा है कि वे केंद्रीय नेतृत्व तक अपनी पहचान व पकड़ भी रखते हैं.

देवीदास और ओमप्रकाश के नाम की भी चर्चा

इसी तरह देवीदास और ओमप्रकाश सिंह उर्फ टीनू सिंह के नाम की भी चर्चा है. देवीदास भाजपा प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य हैं और उनकी अपनी एक बड़ी राजनीतिक पहचान है. काफी समय तक झारखंड मुक्ति मोर्चा में रहकर इन्होंने अपनी राजनीतिक पकड़ और पहचान बनाई है. पिछले तीन-चार सालों से देवीदास भाजपा में हैं और उनके पास भी अपना जनाधार है. इनके पुत्र सुभाष चंद्र दास केंद्रीय राज्य मंत्री शांतनु ठाकुर के पीएस हैं. वहीं टीनू सिंह कुरपनिया के निवासी हैं और वह भी काफी सक्रिय है.

दो महिला नेत्री भी टिकट की प्रबल दावेदार

वरिष्ठ पत्रकार दीपक सवाल के अनुसार दो महिला नेत्री को भी टिकट के प्रबल दावेदारों में माना जा रहा है. उनमें भाजपा जिला उपाध्यक्ष करगली निवासी अर्चना सिंह और गिरिजा देवी का नाम शामिल है. गिरिजा देवी बेरमो प्रखंड की प्रमुख और महिला मोर्चा की जिलाध्यक्ष भी हैं. यहां की राजनीति में इनकी अपनी पकड़ और पहचान है. साथ ही जनता के बीच अच्छी छवि भी है. अब देखना यह दिलचस्प है कि आधा दर्जन से अधिक दावेदारों में पार्टी नेतृत्व किस पर दांव खेलेगी और कौन टिकट लेकर चुनावी जंग में उतरने में कामयाब हो पाएगा.

कांग्रेस से अनूप सिंह को फिर मौका मिलने की संभावना

दूसरी ओर बेरमो में वर्तमान में कांग्रेस के कुमार जयमंगल उर्फ अनूप सिंह विधायक हैं. वह कांग्रेस के दिग्गज नेता और पांच बार के विधायक रहे दिवंगत राजेंद्र प्रसाद सिंह के पुत्र हैं. राजनीति में अनूप सिंह का अपना अलग ही दबदबा है. इस बार भी इन्हें कांग्रेस से टिकट मिलना तय माना जा रहा है, लेकिन झारखंड मुक्ति मोर्चा के जिलाध्यक्ष हीरालाल मांझी के एक बयान ने सनसनी फैला दी है. जिसमें उन्होंने बेरमो से चुनाव लड़ने की दावेदारी पेश की है.

जेएलकेएम से कमलेश और सीपीआई से आफताब मजबूत दावेदार

इसी तरह जेएलकेएम में यहां कमलेश महतो को एक बड़ा चेहरा के रूप में देखा जा रहा है. वह जेएलकेएम के गिरिडीह लोकसभा प्रभारी भी हैं. इसके अलावा सीपीआई नेता आफताब आलम खान भी पार्टी का टिकट पर चुनाव मैदान में दिख सकते हैं. पहले भी चुनाव लड़ चुके आफताब भी बेरमो में किसी परिचय पहचान के मोहताज नहीं हैं. कुल मिलाकर बेरमो में इस बार चुनावी जंग काफी दिलचस्प होने वाली है और इसको लेकर अभी से सरगर्मी बढ़ी हुई है.

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