मनेंद्रगढ चिरमिरी भरतपुर : जिले में हर साल की तरह इस बार भी मनेंद्रगढ़ में ऐतिहासिक बहरूपिया प्रतियोगिता का आयोजन धूमधाम से किया गया. इस अनूठे आयोजन में रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग, भिलाई और अंबिकापुर समेत कई जगहों से आए प्रतिभागियों ने अपनी अद्भूत कला का प्रदर्शन कर लोगों का दिल जीत लिया.
बहरूपिया प्रतियोगिता में कलाकारों का संदेश : बहरूपिया प्रतियोगिता में अलग अलग जगहों से आए कलाकारों ने अपनी कला का प्रदर्शन किया. समीर यादव ने गंगा मैया का रूप धारण कर बताया कि गंगा सभी धर्मों के लिए समान है. हिंदू, मुस्लिम, सिख, इसाई सभी को गंगा शुद्ध करती है. यही हमारे समाज का संदेश होना चाहिए. वहीं, गुरुजेश सिंह ने बेटियों की सुरक्षा और उनके भविष्य को लेकर संदेश दिया कि लड़कियों को गलत संगति और माहौल से बचना चाहिए. साथ ही अपने साथ साथ दूसरों की सुरक्षा का भी ध्यान रखना चाहिए.
युवाओं को अपनी संस्कृति और आदर्शों को नहीं भूलना चाहिए. दूसरों की बहन बेटियों को गलत नजर से देखने वालों को भविष्य में पछताना पड़ सकता है-संतोष, कलाकार
सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करना उद्देश्य : बहरूपिया प्रतियोगिता ने पिछले 30 सालों से न केवल जिले में, बल्कि आसपास के इलाकों में भी अपनी पहचान बनाया है. सांस्कृतिक मंच के अध्यक्ष निखिल अग्रवाल ने बताया कि इस अनूठे आयोजन का मुख्य उद्देश्य सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करना और साल के अंतिम दिन को एकता व उत्साह के साथ अलविदा कहना है.
"बहरूपिया प्रतियोगिता भाईचारे को देती है बढ़ावा": सांस्कृतिक मंच के अध्यक्ष निखिल अग्रवाल का कहना है कि यह प्रतियोगिता हमारे व्यापारियों और जनप्रतिनिधियों के सहयोग से सफल होती है. इससे मनेंद्रगढ़ के भाईचारे और व्यापारिक संबंध प्रबल होते हैं. इस प्रतियोगिता में भाग लेने वाले कलाकारों ने अपने अनोखे बहरूपों के जरिए समाज को जागरूकता का संदेश दिया. कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल भी मौजूद रहे.
बहरूपिया प्रतियोगिता मनेंद्रगढ़ की सांस्कृतिक पहचान बन चुकी है. यह आयोजन लाखों लोगों को जोड़ता है और नए साल की ऊर्जा के साथ भाईचारे को बढ़ावा देता है- श्याम बिहारी जायसवाल, स्वास्थ्य मंत्री, छत्तीसगढ़
सौ से अधिक कलाकरों ने दिखाया कौशल : स्थानीय लोगों ने कहा कि मनेंद्रगढ़ बहुरूपिया प्रतियोगिता के लिये छत्तीसगढ़ में जाना जाता है. इसकी अहमियत बहुत है. यहां जो कलाकर हैं, वह अद्भुत हैं. इस बार 2024 में प्रतियोगिता के लिए एक सौ से ज्यादा कलाकर अपनी कला का प्रदर्शन कर रहे हैं. ये सामाजिक संरचना, आपसी भेदभाव, समाज में विषमताओं को दूर कर लोगों में अपनापन लाती है. बहरूपिया प्रतियोगिता के विजेताओं को स्कूटी सहित अन्य आकर्षक पुरस्कार दिए गए.
मेरी नजर में यह कार्यक्रम भारत में ऐसा पहला कार्यक्रम है. ये कलाकारों को जीवित रखने का प्रयास है. यह कलाकारों को पैसे से नहीं सम्मान से धनवान बनाता है. मैं 30 सालों से इस कार्यक्रम में आ रहा हूं- स्थानीय निवासी
बहुरूपिया कार्यक्रम अपने आप में कितना सफल कार्यक्रम है, यह भीड़ देख कर ही समझ सकते हैं. कई जगहों से आए कलाकारों और उनके मानवता का संदेश यहां के लोगों को प्रेरित करता है. इस कार्यक्रम को देखने के लिए आस पास के क्षेत्र सहित अन्य राज्यों के लोग भी पहुंचते हैं.