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मारवाड़ की राजनीति में सियासी उबाल, आखिर क्यों नेता डाल रहे हैं मानवेंद्र सिंह के घर पर डोरे ? - लोकसभा चुनाव 2024

कर्नल मानवेंद्र सिंह जसोल की पत्नी के निधन के बाद से ही कांग्रेस और भाजपा दोनों पार्टियों के नेता कर्नल से मिलने पहुंच रहे हैं. माना जा रहा है कि मानवेंद्र सिंह की घर वापसी हो सकती है. उन्होंने गजेंद्र सिंह शेखावत के साथ अपने कमरे में मीटिंग भी की है, और कांग्रेस को चुनाव लड़ने के लिए मना कर चुके हैं.

Manvendra Singh
मानवेंद्र सिंह की गहलोत और गजेंद्र सिंह शेखावत से मुलाकात
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Mar 9, 2024, 12:48 PM IST

जोधपुर. इन दिनों मारवाड़ की राजनीति में कर्नल मानवेंद्र सिंह जसोल हॉट स्पॉट बने हुए हैं. उनकी पत्नी के निधन के बाद उनसे मिलने कांग्रेस व भाजपा के नेता पहुच रहे हैं. चुनावी साल होने से संवदेना देने के लिए हो रही मुलाकातों के राजनीतिक मतलब भी निकाले जा रहे हैं. विधानसभा चुनाव हारने के बाद कांग्रेस की ओर से उनको लोकसभा चुनाव में बाड़मेर-जैसलमेर या जोधपुर से प्रत्याशी बनाने की चर्चा के बीच दो​ दिन पहले पहले सीएम अशोक गहलोत ने उनसे मुलाकात भी की थी. बताया जा रहा है कि कर्नल ने साफ शब्दों में चुनाव लड़ने से इंकार कर दिया था. इस बीच शुक्रवार रात को केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत से उनकी लंबी मुलाकात हुई. यह मुलाकात बंद कमरे में हुई, जिसको लेकर कर्नल के वापस भाजपा में जाने की चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया है. ऐसी भी चर्चाएं चल रही है​ कि भाजपा उनको राजसमंद से उतार सकती है, जिसके प्रत्याशी की घोषणा अभी होना बाकी है.

भाजपा इसलिए डाल रही डोरे : विधानसभा चुनाव के बाद भाजपा में वसुंधरा राजे के हाशिए पर जाने के बाद से कर्नल मानवेंद्र सिंह के जल्द घर वापसी के कयास लगाए जाने लगे थे, लेकिन इस बीच उनकी पत्नी का निधन हो गया. इससे उनकी वापसी ठहर गई. भाजपा चाहती है कि कर्नल के आने से बाड़मेर-जैसलमेर में मंत्री कैलाश चौधरी की स्थिति मजबूत हो जाएगी. साथ ही मारवाड़ की सभी सीटों पर फायदा होगा. उनके कांग्रेस में ही रहने से पार्टी उनको अगर जोधपुर से चुनाव लड़ाती है तो शेखावत के लिए परेशानी हो सकती है. यही कारण है कि भाजपा उनकी जल्द घर वापसी सुनिश्चत करना चाहती है.

इसे भी पढ़ें : जब पत्नी चित्रा के अंतिम संस्कार स्थल पर पहुंचे मानवेंद्र सिंह...

कांग्रेस को हर स्तर पर मानवेंद्र से फायदा : मारवाड़ में कांग्रेस के पास कद्दावर राजपूत नेता का अभाव है. कांग्रेस के नेताओं का मानना है कि कर्नल कांग्रेस में रह कर चुनाव लड़ते हैं तो जोधपुर में शेखावत को घेरा जा सकता है. नहीं लड़ते हैं तो भी पार्टी के लिए वे काम करते हैं तो फायदा होगा. खास तौर से जैसलमेर-बाड़मेर सहित पूरे मारवाड़ में उनका उपयोग किया जा सकता है. उनकी सचिन पायलट और राहुल गांधी से नजदीकियां भी हैं, लेकिन कर्नल कांग्रेस से खफा है, क्योंकि विधानसभा चुनाव में जैसलमेर से हामी के बाद भी उनको सिवाना से टिकट दिया गया. जहां कांग्रेस के बागी के रूप में अशोक गहलोत के खास सुनील परिहार की वजह से उनको हारना पड़ा. इसके बाद कांग्रेस से उनकी दूरियां बढ़ने लगी है.

इसे भी पढ़ें : वैलेंटाइन डे : मानवेंद्र सिंह ने यूं किया पत्नी चित्रा को याद, हर कोई हुआ भावुक

भाजपा छोड़ने के बाद कभी जीत नहीं पाए मानवेंद्र : भाजपा से विधायक व सांसद बने कर्नल मानवेंद्र सिंह पूर्व रक्षा मंत्री जसवंत सिंह जसोल के पुत्र हैं. वे जैसमलेर-बाड़मेर से भाजपा के सांसद रह चुके हैं. एक बार पार्टी से शिव के विधायक चुने जा चुके हैं. 2014 के लोकसभा चुनाव में उनके पिता को टिकट नहीं देने से उनके वसुंधरा राजे से संबंध खराब हुए थे, तब उन्हें पार्टी से निकाला गया था. इसके बाद 2018 के चुनाव से पहेल उन्होंने कांग्रेस ज्वाइन कर ली. 2018 में झालावाड़ से कांग्रेस ने उन्हें टिकट दिया लेकिन वे हार गए. 2023 में सिवाना से पार्टी ने उतारा लेकिन यहां भी वे हार गए.

जोधपुर. इन दिनों मारवाड़ की राजनीति में कर्नल मानवेंद्र सिंह जसोल हॉट स्पॉट बने हुए हैं. उनकी पत्नी के निधन के बाद उनसे मिलने कांग्रेस व भाजपा के नेता पहुच रहे हैं. चुनावी साल होने से संवदेना देने के लिए हो रही मुलाकातों के राजनीतिक मतलब भी निकाले जा रहे हैं. विधानसभा चुनाव हारने के बाद कांग्रेस की ओर से उनको लोकसभा चुनाव में बाड़मेर-जैसलमेर या जोधपुर से प्रत्याशी बनाने की चर्चा के बीच दो​ दिन पहले पहले सीएम अशोक गहलोत ने उनसे मुलाकात भी की थी. बताया जा रहा है कि कर्नल ने साफ शब्दों में चुनाव लड़ने से इंकार कर दिया था. इस बीच शुक्रवार रात को केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत से उनकी लंबी मुलाकात हुई. यह मुलाकात बंद कमरे में हुई, जिसको लेकर कर्नल के वापस भाजपा में जाने की चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया है. ऐसी भी चर्चाएं चल रही है​ कि भाजपा उनको राजसमंद से उतार सकती है, जिसके प्रत्याशी की घोषणा अभी होना बाकी है.

भाजपा इसलिए डाल रही डोरे : विधानसभा चुनाव के बाद भाजपा में वसुंधरा राजे के हाशिए पर जाने के बाद से कर्नल मानवेंद्र सिंह के जल्द घर वापसी के कयास लगाए जाने लगे थे, लेकिन इस बीच उनकी पत्नी का निधन हो गया. इससे उनकी वापसी ठहर गई. भाजपा चाहती है कि कर्नल के आने से बाड़मेर-जैसलमेर में मंत्री कैलाश चौधरी की स्थिति मजबूत हो जाएगी. साथ ही मारवाड़ की सभी सीटों पर फायदा होगा. उनके कांग्रेस में ही रहने से पार्टी उनको अगर जोधपुर से चुनाव लड़ाती है तो शेखावत के लिए परेशानी हो सकती है. यही कारण है कि भाजपा उनकी जल्द घर वापसी सुनिश्चत करना चाहती है.

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कांग्रेस को हर स्तर पर मानवेंद्र से फायदा : मारवाड़ में कांग्रेस के पास कद्दावर राजपूत नेता का अभाव है. कांग्रेस के नेताओं का मानना है कि कर्नल कांग्रेस में रह कर चुनाव लड़ते हैं तो जोधपुर में शेखावत को घेरा जा सकता है. नहीं लड़ते हैं तो भी पार्टी के लिए वे काम करते हैं तो फायदा होगा. खास तौर से जैसलमेर-बाड़मेर सहित पूरे मारवाड़ में उनका उपयोग किया जा सकता है. उनकी सचिन पायलट और राहुल गांधी से नजदीकियां भी हैं, लेकिन कर्नल कांग्रेस से खफा है, क्योंकि विधानसभा चुनाव में जैसलमेर से हामी के बाद भी उनको सिवाना से टिकट दिया गया. जहां कांग्रेस के बागी के रूप में अशोक गहलोत के खास सुनील परिहार की वजह से उनको हारना पड़ा. इसके बाद कांग्रेस से उनकी दूरियां बढ़ने लगी है.

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भाजपा छोड़ने के बाद कभी जीत नहीं पाए मानवेंद्र : भाजपा से विधायक व सांसद बने कर्नल मानवेंद्र सिंह पूर्व रक्षा मंत्री जसवंत सिंह जसोल के पुत्र हैं. वे जैसमलेर-बाड़मेर से भाजपा के सांसद रह चुके हैं. एक बार पार्टी से शिव के विधायक चुने जा चुके हैं. 2014 के लोकसभा चुनाव में उनके पिता को टिकट नहीं देने से उनके वसुंधरा राजे से संबंध खराब हुए थे, तब उन्हें पार्टी से निकाला गया था. इसके बाद 2018 के चुनाव से पहेल उन्होंने कांग्रेस ज्वाइन कर ली. 2018 में झालावाड़ से कांग्रेस ने उन्हें टिकट दिया लेकिन वे हार गए. 2023 में सिवाना से पार्टी ने उतारा लेकिन यहां भी वे हार गए.

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