अयोध्या: रामनगरी अयोध्या के बहुचर्चित मनोज शुक्ला हत्याकांड में पीड़ित परिवार को न्यायालय से इंसाफ मिला है. हत्याकांड के करीब 8 वर्ष बाद न्यायालय ने मुख्य अभियुक्त समेत कुल 11 लोगों को आजीवन कारावास और आर्थिक दंड की सजा सुनाई है. जबकि, मामले में आरोपी बनाए गए एक अभियुक्त मनुज मेहरोत्रा को बरी कर दिया गया. उन पर दोष सिद्ध नहीं हो पाए.
अयोध्या शहर के सिविल लाइन स्थित एक होटल में खाना खाने के बाद हुए विवाद को लेकर बेहद दबंग प्रवृत्ति के आशीष सिंह ने अपने साथियों के साथ मनोज शुक्ला का अपहरण किया और उसके बाद बुरी तरह प्रताड़ित करने के बाद उसकी हत्या कर दी थी. घटना के दो दिन बाद मनोज का शव पड़ोसी जनपद गोंडा के मसकनवा इलाके में रेलवे ट्रैक पर 6 टुकड़ों में मिला था. हत्याकांड बेहद चर्चा में रहा और इस मामले को लेकर अयोध्या में काफी हंगामा हुआ था.
एडीजीसी प्रवीण कुमार सिंह ने बताया कि 13 जून 2019 को राघवेन्द्र शुक्ल ने कोतवाली नगर में तहरीर दी कि 12 जून 2019 की रात 11 बजे उसका छोटा भाई मनोज शुक्ला सिविल लाइन एक होटल में वीरेश सिंह के साथ खाना खाने गया था. वहां उसके भाई को आशीष सिंह पुत्र वीपी सिंह ने मारा पीटा तथा अपहरण कर लिया. इस संबध में कोतवाली नगर में अपहरण का मुकदमा पंजीकृत हुआ.
15 जून 2019 को मनोज शुक्ला की लाश मसकनवा रेलवे थाना छपिया गोण्डा में मिली. फोटो के आधार पर मनोज की शिनाख्त हुई. विवेचना के बाद 13 आरोपियों जिनमें आशीष सिंह, धर्मेन्द्र सिंह, विनीत कुमार पाण्डेय, सोनू सोनकर, श्याम कुमार यादव, शिवम् सिंह, विकास तिवारी, मुनज मेहरोत्रा, अनीश पाण्डेय, राना सिंह, श्रवण कुमार पाण्डेय व किशोर अपचारी के विरूद्ध आरोप पत्र न्यायालय भेजा गया.
न्यायालय ने 11 आरोपियों पर दोष सिद्ध किया. इसी मामले में न्यायालय ने मुख्य आरोपी विकास सिंह सहित सभी 11 आरोपियों को आजीवन कारावास और 20 हजार रुपए आर्थिक दंड भी लगाया है. कड़ी सुरक्षा के बीच सभी को जेल भेज दिया गया है.