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मानवता की मिसालः मानसिक रूप से बीमार लोगों की निस्वार्थ सेवा करता है हजारीबाग का यह शख्स, कहा- सुकून मिलता है - HELPING MENTALLY RETARDED PEOPLE

हजारीबाग के मनोज कुमार मानसिक रूप से बीमार लोगों की मदद करते हैं. वे निस्वार्थ भाव से उनकी सेवा करते हैं.

HELPING MENTALLY RETARDED PEOPLE
विक्षिप्तों की सेवा करते समाजसेवी मनोज (ईटीवी भारत)
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Dec 7, 2024, 5:30 PM IST

Updated : Dec 7, 2024, 6:13 PM IST

हजारीबागः समाज में कई ऐसे लोग हैं जो प्रेरणा के स्रोत हैं. ऐसे ही एक हैं मनोज कुमार जो किसी तरह अपने परिवार वालों का भरण पोषण सड़क के किनारे दुकान लगाकर करते हैं. पिछले एक साल से मनोज मानसिक रूप से बीमार लोगों की इस तरह मदद कर रहे हैं कि आज पूरा समाज उनसे प्रभावित है.

एक मसीहा ऐसा भी जो निस्वार्थ भाव से करता लोगों की मदद (Etv Bharat)

यह कहावत भी है कि ऊपर वाला सब कुछ ले ले लेकिन दिमाग ना हरे. मानसिक रूप से विक्षिप्त इंसान भरी पूरी दुनिया में रहकर भी अकेला रहता है. ऐसे में अगर कोई व्यक्ति उनकी ओर मदद का हाथ बढ़ाता है तो वह काबिल-ए-तारीफ है. ऐसे ही एक हैं मनोज कुमार जो विक्षिप्त इंसान को बिना किसी स्वार्थ के ही मदद कर रहे हैं.

मनोज कुमार को जब भी कोई मानसिक रूप से बीमार (विक्षिप्त) व्यक्ति दिखता है तो उसे अपने साथ गाड़ी में बैठाकर घर या उसके आसपास ले जाते हैं. फिर उसे स्नान करवाते हैं. कपड़ा अगर फटा हुआ है तो कपड़ा बदलवाते हैं तथा दाढ़ी और बाल अगर बड़े हैं तो उसे खुद से काटते हैं. जब वह साफ सुथरा हो जाता है तो खाना खिलाकर फिर उसे छोड़ देते हैं. उनका कहना है कि रखने के लिए जगह नहीं है, अगर जगह होती तो उन्हें अपने साथ ही रख लेते.

मनोज कुमार ने यह नेक काम अकेले ही शुरू किया था. धीरे-धीरे समाज के लोगों का भी साथ मिला और फिर उनका बेटा भी उन्हें सहयोग करने लगा. मनोज कुमार का घर दारू ब्लॉक के ठीक बगल में है. वो बताते हैं कि गांव में ही एक बार देखा कि एक विक्षिप्त इंसान को दुकानदार भगा रहे थे क्योंकि वह बहुत गंदा था. मदद करने की चाहत रखने के बावजूद उसकी मदद नहीं कर पा रहा था. उसी दिन से यह ठान लिया कि जो भी विक्षिप्त होगा उसे स्नान करवा कर और साफ कपड़ा पहनाने का काम करेंगे.

बता दें कि मनोज कुमार सड़क के किनारे दुकान लगाते हैं. इसी दुकान से उनका घर परिवार चलता है. जो पैसा बचता है उस पैसे से मानसिक रूप से बीमार (विक्षिप्त) व्यक्ति की मदद करते हैं. उनका कहना है कि इससे जो सुकून मिलता है उसे बयां नहीं किया जा सकता. कई ऐसे लोग हैं जो अपने किसी सदस्य का मानसिक संतुलन बिगड़ जाने के बाद घर से ही निकाल देते हैं, यह सबसे बुरी बात है. उनकी चाहत है कि सरकार ऐसी पहल करे जिससे विक्षिप्त इंसानों को ठिकाना मिल सके.

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हजारीबागः समाज में कई ऐसे लोग हैं जो प्रेरणा के स्रोत हैं. ऐसे ही एक हैं मनोज कुमार जो किसी तरह अपने परिवार वालों का भरण पोषण सड़क के किनारे दुकान लगाकर करते हैं. पिछले एक साल से मनोज मानसिक रूप से बीमार लोगों की इस तरह मदद कर रहे हैं कि आज पूरा समाज उनसे प्रभावित है.

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यह कहावत भी है कि ऊपर वाला सब कुछ ले ले लेकिन दिमाग ना हरे. मानसिक रूप से विक्षिप्त इंसान भरी पूरी दुनिया में रहकर भी अकेला रहता है. ऐसे में अगर कोई व्यक्ति उनकी ओर मदद का हाथ बढ़ाता है तो वह काबिल-ए-तारीफ है. ऐसे ही एक हैं मनोज कुमार जो विक्षिप्त इंसान को बिना किसी स्वार्थ के ही मदद कर रहे हैं.

मनोज कुमार को जब भी कोई मानसिक रूप से बीमार (विक्षिप्त) व्यक्ति दिखता है तो उसे अपने साथ गाड़ी में बैठाकर घर या उसके आसपास ले जाते हैं. फिर उसे स्नान करवाते हैं. कपड़ा अगर फटा हुआ है तो कपड़ा बदलवाते हैं तथा दाढ़ी और बाल अगर बड़े हैं तो उसे खुद से काटते हैं. जब वह साफ सुथरा हो जाता है तो खाना खिलाकर फिर उसे छोड़ देते हैं. उनका कहना है कि रखने के लिए जगह नहीं है, अगर जगह होती तो उन्हें अपने साथ ही रख लेते.

मनोज कुमार ने यह नेक काम अकेले ही शुरू किया था. धीरे-धीरे समाज के लोगों का भी साथ मिला और फिर उनका बेटा भी उन्हें सहयोग करने लगा. मनोज कुमार का घर दारू ब्लॉक के ठीक बगल में है. वो बताते हैं कि गांव में ही एक बार देखा कि एक विक्षिप्त इंसान को दुकानदार भगा रहे थे क्योंकि वह बहुत गंदा था. मदद करने की चाहत रखने के बावजूद उसकी मदद नहीं कर पा रहा था. उसी दिन से यह ठान लिया कि जो भी विक्षिप्त होगा उसे स्नान करवा कर और साफ कपड़ा पहनाने का काम करेंगे.

बता दें कि मनोज कुमार सड़क के किनारे दुकान लगाते हैं. इसी दुकान से उनका घर परिवार चलता है. जो पैसा बचता है उस पैसे से मानसिक रूप से बीमार (विक्षिप्त) व्यक्ति की मदद करते हैं. उनका कहना है कि इससे जो सुकून मिलता है उसे बयां नहीं किया जा सकता. कई ऐसे लोग हैं जो अपने किसी सदस्य का मानसिक संतुलन बिगड़ जाने के बाद घर से ही निकाल देते हैं, यह सबसे बुरी बात है. उनकी चाहत है कि सरकार ऐसी पहल करे जिससे विक्षिप्त इंसानों को ठिकाना मिल सके.

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Last Updated : Dec 7, 2024, 6:13 PM IST
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