करनाल: लोकसभा चुनाव 2024 के लिए बीजेपी ने मास्टर गेम खेला है. हरियाणा में 12 मार्च को अचानक सियासत की तूरते-हाल बदल गई. सीएम पद से मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने इस्तीफा दे दिया और नायब सैनी को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिला दी गई. कयास लगाये जा रहे थे कि मनोहर लाल को लोकसभा चुनाव के लिए तैयार किया गया है, आखिरकार यही सच हुआ. बुधवार को बीजेपी ने लोकसभा उम्मीदवारों की दूसरी सूची जारी की तो उसमें करनाल सीट से मनोहर लाल खट्टर को मैदान में उतार दिया गया. लेकिन करनाल सीट पर माहौल पहले जैसा नहीं रहा, इस बार बीजेपी के लिए कई मुश्किलें हैं.
- किसान आंदोलन से नाराजगी- 2019 में विधानसभा चुनाव के ठीक बाद 2020 में किसान आंदोलन शुरू हो गया. पंजाब के बाद सबसे ज्यादा इसका असर हरियाणा में ही था. हालात यहां तक हो गये थे कि बीजेपी नेताओं को गांवों में घुसने नहीं दिया जाता था. यहां तक कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल भी अपना कार्यक्रम नहीं कर पाते थे. एक समय ऐसा भी आ गया था जब ग्रामीण क्षेत्र में बीजेपी नेता जाने से कतराते थे. घरौंडा विधानसभा के गांव कैमला गांव में किसानों ने मुख्यमंत्री का कार्यक्रम तक नहीं होने दिया था. भारी पुलिस बल तैनात करने के बावजूद किसानों ने मंच उखाड़कर फेंक दिया था. इसलिए किसानों की नाराजगी मनोहर लाल के लिए भारी पड़ सकती है. एक बार फिर किसान आंदोलन की राह पर हैं. किसानों बीजेपी सरकार से खफा हैं.
- ग्रामीण इलाके में कमजोर जनाधार- पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर करनाल विधानसभा से विधायक थे. करनाल हलका शहरी इलाका है, जहां शहरी वोट ज्यादा हैं. कुछ गांव करनाल विधानसभा में आते हैं लेकिन वो काफी समृद्ध हैं. लेकिन अगर लोकसभा की बात करें तो करनाल सीट दो जिलों में शामिल है, जहां किसानों की आबादी सबसे ज्यादा है. ग्रामीण क्षेत्र में बीजेपी का जनाधार उतना मजबूत नहीं है. करनाल लोकसभा क्षेत्र में करनाल की 5 और पानीपत 4 विधानसभा सीटें मिलाकर कुल 9 सीटें शामिल हैं. इसमें 3 सीटें कांग्रेस और 5 सीटें बीजेपी के पास हैं. जबकि एक सीट पर निर्दलीय विधायक है.
- पंजाबी उम्मीदवार का विरोध- इसके अलावा करनाल में पिछले दो लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने पंजाबी उम्मीदवारों को उतारा गया था. इसी के चलते बाकी समुदाय के लोग अब पंजाबी समुदाय के उम्मीदवार का विरोध कर रहे हैं. करनाल क्षेत्र में राजपूत, रोड, ब्राह्मण और जाट समुदाय अपने समाज की बैठक कर चुके हैं, जिसमें उन्होंने दलों से आह्वान किया है कि वो करनाल सीट से किसी पंजाबी उम्मीदवार को उनके बीच में ना भेजें. उम्मीदवार उनकी बिरादरी का होना चाहिए. हालांकि करनाल लोकसभा सीट में पंजाबी वर्ग का वोट सबसे ज्यादा हैं. लेकिन बाकी वोटर के बिना जीत आसान नहीं है.
करनाल लोकसभा सीट पर पिछले दो चुनाव से बीजेपी उम्मीदवार जीत रहा है. 2014 में अश्विनी कुमार विजयी हुए थे तो 2019 में संजय भाटिया को जीत मिली थी. 2019 के चुनाव में संजय भाटिया साढ़े 6 लाख से ज्यादा वोटों से जीते थे. 2009 के चुनाव में करनाल सीट से कांग्रेस के टिकट पर अरविंद शर्मा सांसद बने थे. अरविंद शर्मा अभी रोहतक से बीजेपी के सांसद हैं. देखना होगा कि मनोहर लाल करनाल से जीतकर दिल्ली पहुंच पाते हैं कि नहीं.
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