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मन की बात में पीएम मोदी ने की अबूझमाड़ की लोक परंपरा और स्वच्छ भारत मिशन की चर्चा

पीएम ने आज मन की बात के 115वें संस्करण में नारायणपुर के अबूझमाड़ की लोक परंपरा का जिक्र किया.

FOLK TRADITION OF ABUJHMAD
नारायणपुर के बुटलूराम महात्र (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Oct 27, 2024, 2:16 PM IST

Updated : Oct 27, 2024, 2:30 PM IST

रायपुर: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले की चर्चा की. पीएम मोदी ने कहा कि अबूझमाड़ की लोक परंपरा अपने आप में अनूठी है. पीएम ने कहा कि अबूझमाड़ के लोग अपनी लोक परंपरा को बचाए रखने और उसके संवर्धन के लिए लगातार सालों से प्रयास कर रहे हैं. उनकी लोक कला देश और दुनिया में अनोखी है.

नारायणपुर के बुटलूराम माथरा का पीएम ने किया जिक्र: पीएम ने कहा कि अपनी परंपरा को सहेजने के लिए नारायणपुर के लोग लगातार प्रयास करते रहते हैं. उनके प्रयासों को सफलता भी मिल रही है. उनकी लोक परंपरा को आज नई पहचान मिल रही है. उनकी आने वाली पीढ़ी भी इस लोक परंपरा को आगे जाने का काम कर रही है. पीएम ने कहा कि नारायणपुर के बुटलूराम माथरा अबूझ माड़िया जनजाति की कला को करीब चार दशकों से संवारने का काम कर रहे हैं.

सीएम विष्णुदेव साय (ETV BHARAT)

अबूझ माड़िया जनजाति की कला को किया पुनर्जीवित: पीएम ने बताया कि बुटलूराम महात्र अबूझ माड़िया जनजाति की कला को जीवित रखे हुए हैं. बुटलूराम माथरा बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान में भी योगदान दे रहे हैं. इसके साथ ही वो स्वच्छ भारत मिशन के लिए भी अपने स्तर पर काम कर रहे हैं.

मोदी की मन की बात: मन की बात में पीएम मोदी ने कहा कि अपनी संस्कृति को बचाने के लिए जो काम किया जाता है वह किसी भी देश और राज्य के विकास के लिए जरूरी है. कई देशों का जिक्र करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि वहां पर भारतीय संस्कृति पर कई कार्यक्रम बनाए जाते हैं. पीएम ने कुवैत में रामायण भाषा को अरेबिक में अनुवाद किए जाने की भी चर्चा मन की बात में की. पीएम ने कहा संस्कृति को आगे बढ़ाने में जो काम किया जाता है वह निश्चित तौर पर विकास के बड़े आयाम को गढ़ता है.

कौन हैं बुटलूराम महात्र: नारायणपुर जिले के बुटलूराम माथरा पिछले चार दशक से अबूझमाड़ में अबूझ माड़िया जन जाती आर्थिक और सामाजिक विकास के लिए काम कर रहे हैं. खासतौर से बेटियों को पढ़ने और बेटियों को बचाने के साथ ही स्वच्छ भारत मिशन के अभियान में भी जुड़े हैं. स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत करने से पहले भी वह अपने क्षेत्र में साफ सफाई को लेकर विशेष ध्यान देते थे. आज भी इस जनजाति के लोग पुरानी परंपराओं पर ही जीवित है. यहां की लोक परंपरा काफी पुरानी है. जिसे आज सहेजने की जरुरत है.

photo of Butluram Mahatra
बुटलूराम महात्र की तस्वीर (ETV BHARAT)

सीएम ने दिया धन्यवाद: मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी द्वारा लोक कला के संरक्षण और संवर्धन में जुटे नारायणपुर के बुटलूराम की सराहना किए जाने पर खुशी जाहिर की है. सीएम ने कहा कि यह अच्छी बात है कि प्रधानमंत्री जी ने लोक कला के क्षेत्र में अच्छा काम कर रहे कलाकारों की प्रशंसा की है. बुटलूराम माथरा जी ने लोक कला को संरक्षित करने की दिशा में बहुत अच्छा काम किया है. सीएम ने कहा कि प्रधानमंत्री जी के बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ तथा स्वच्छ भारत को आगे बढ़ाने की दिशा में बड़ा काम भी किया है. नारायणपुर में आदिवासी संस्कृति अपने सबसे मूल रूप में है. हमारी सरकार श्री माथरा जी के प्रयासों को बढ़ावा देगी.

अबूझमाड़ शब्द कहां से आया: अबूझमाड़ शब्द का सबसे पहले प्रयोग कैप्टन सी एल आर ग्लासफर्ड ने 1866-67 में अपनी रिपोर्ट में किया था. साल 1870 में ग्रांट हुए गजेटियर में इस क्षेत्र का नाम "मड़ियांन" या "अबूझमार्ड" का उपयोग किया था हिंदू ट्राइब्स एंड कोस्ट्स भाग 2 में अबूझमाड़ शब्द का प्रयोग किया गया है. जिसका मतलब यह एक पृथक मानव समूह के तौर पर जाना जाता है. वहीं से इस शब्द के बारे में जानकारी मिलती है. आदिवासी जीवन शैली में इनकी हर चीज अलग है. दुमेग, पुनजरा, क्लिप, बांस की कंघी और एक चाकू जिसे महिलाएं अपने गले में या बालों में रखती हैं. पुरुष अपने गले में डालकर चलते हैं, यह यहां की मूल परंपरा में शामिल है.

परंपरा का संरक्षण और संवर्धन जरुरी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात में कहा कि वर्तमान समय में जिस तरीके से लोग अपनी कला संस्कृति के प्रति जागरुक हैं उससे परंपरा को सहेजने में मदद मिल रही है. कश्मीर की वादियों से छत्तीशगढ़ के जंगलों तक विकास और परंपरा की अलख को जगाया जा रहा है. अलग अलग क्षेत्रों से जुड़े लोग अपने अपने तरीके से संस्कृति और विरासत को सेहज रहे हैं.

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नारायणपुर के बुटलूराम माथरा का पीएम ने किया जिक्र: पीएम ने कहा कि अपनी परंपरा को सहेजने के लिए नारायणपुर के लोग लगातार प्रयास करते रहते हैं. उनके प्रयासों को सफलता भी मिल रही है. उनकी लोक परंपरा को आज नई पहचान मिल रही है. उनकी आने वाली पीढ़ी भी इस लोक परंपरा को आगे जाने का काम कर रही है. पीएम ने कहा कि नारायणपुर के बुटलूराम माथरा अबूझ माड़िया जनजाति की कला को करीब चार दशकों से संवारने का काम कर रहे हैं.

सीएम विष्णुदेव साय (ETV BHARAT)

अबूझ माड़िया जनजाति की कला को किया पुनर्जीवित: पीएम ने बताया कि बुटलूराम महात्र अबूझ माड़िया जनजाति की कला को जीवित रखे हुए हैं. बुटलूराम माथरा बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान में भी योगदान दे रहे हैं. इसके साथ ही वो स्वच्छ भारत मिशन के लिए भी अपने स्तर पर काम कर रहे हैं.

मोदी की मन की बात: मन की बात में पीएम मोदी ने कहा कि अपनी संस्कृति को बचाने के लिए जो काम किया जाता है वह किसी भी देश और राज्य के विकास के लिए जरूरी है. कई देशों का जिक्र करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि वहां पर भारतीय संस्कृति पर कई कार्यक्रम बनाए जाते हैं. पीएम ने कुवैत में रामायण भाषा को अरेबिक में अनुवाद किए जाने की भी चर्चा मन की बात में की. पीएम ने कहा संस्कृति को आगे बढ़ाने में जो काम किया जाता है वह निश्चित तौर पर विकास के बड़े आयाम को गढ़ता है.

कौन हैं बुटलूराम महात्र: नारायणपुर जिले के बुटलूराम माथरा पिछले चार दशक से अबूझमाड़ में अबूझ माड़िया जन जाती आर्थिक और सामाजिक विकास के लिए काम कर रहे हैं. खासतौर से बेटियों को पढ़ने और बेटियों को बचाने के साथ ही स्वच्छ भारत मिशन के अभियान में भी जुड़े हैं. स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत करने से पहले भी वह अपने क्षेत्र में साफ सफाई को लेकर विशेष ध्यान देते थे. आज भी इस जनजाति के लोग पुरानी परंपराओं पर ही जीवित है. यहां की लोक परंपरा काफी पुरानी है. जिसे आज सहेजने की जरुरत है.

photo of Butluram Mahatra
बुटलूराम महात्र की तस्वीर (ETV BHARAT)

सीएम ने दिया धन्यवाद: मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी द्वारा लोक कला के संरक्षण और संवर्धन में जुटे नारायणपुर के बुटलूराम की सराहना किए जाने पर खुशी जाहिर की है. सीएम ने कहा कि यह अच्छी बात है कि प्रधानमंत्री जी ने लोक कला के क्षेत्र में अच्छा काम कर रहे कलाकारों की प्रशंसा की है. बुटलूराम माथरा जी ने लोक कला को संरक्षित करने की दिशा में बहुत अच्छा काम किया है. सीएम ने कहा कि प्रधानमंत्री जी के बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ तथा स्वच्छ भारत को आगे बढ़ाने की दिशा में बड़ा काम भी किया है. नारायणपुर में आदिवासी संस्कृति अपने सबसे मूल रूप में है. हमारी सरकार श्री माथरा जी के प्रयासों को बढ़ावा देगी.

अबूझमाड़ शब्द कहां से आया: अबूझमाड़ शब्द का सबसे पहले प्रयोग कैप्टन सी एल आर ग्लासफर्ड ने 1866-67 में अपनी रिपोर्ट में किया था. साल 1870 में ग्रांट हुए गजेटियर में इस क्षेत्र का नाम "मड़ियांन" या "अबूझमार्ड" का उपयोग किया था हिंदू ट्राइब्स एंड कोस्ट्स भाग 2 में अबूझमाड़ शब्द का प्रयोग किया गया है. जिसका मतलब यह एक पृथक मानव समूह के तौर पर जाना जाता है. वहीं से इस शब्द के बारे में जानकारी मिलती है. आदिवासी जीवन शैली में इनकी हर चीज अलग है. दुमेग, पुनजरा, क्लिप, बांस की कंघी और एक चाकू जिसे महिलाएं अपने गले में या बालों में रखती हैं. पुरुष अपने गले में डालकर चलते हैं, यह यहां की मूल परंपरा में शामिल है.

परंपरा का संरक्षण और संवर्धन जरुरी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात में कहा कि वर्तमान समय में जिस तरीके से लोग अपनी कला संस्कृति के प्रति जागरुक हैं उससे परंपरा को सहेजने में मदद मिल रही है. कश्मीर की वादियों से छत्तीशगढ़ के जंगलों तक विकास और परंपरा की अलख को जगाया जा रहा है. अलग अलग क्षेत्रों से जुड़े लोग अपने अपने तरीके से संस्कृति और विरासत को सेहज रहे हैं.

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Last Updated : Oct 27, 2024, 2:30 PM IST
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