देहरादून: उत्तराखंड की 70 विधानसभाओं में से एक विधानसभा ऐसी भी है जहां भारतीय जनता पार्टी कभी भी दूसरे नंबर पर नहीं आई है. मोदी मैजिक भी इस सीट पर कभी बीजेपी की नैय्या पार नहीं लगा पाया. साल 2002 के बाद अस्तित्व में आई इस विधानसभा में बीजेपी हमेशा ही जीत से कोशों दूर रही. इस सीट पर कभी कांग्रेस का कब्जा रहा तो कभी बहुजन समाज पार्टी ने इस सीट पर राज किया. उत्तराखंड की इस विधानसभा सीट पर उपचुनाव हो रहा है. इस विधानसभा सीट पर इस बार भी त्रिकोणीय मुकाबला है.
बहुत अलग है ये विधानसभा सीट: हरिद्वार जिले के अंतर्गत आने वाली इस लोकसभा सीट पर पहली बार अलग से चुनाव साल 2002 में हुआ. पहले यह सीट हरिद्वार के ही लक्सर विधानसभा का हिस्सा थी. इस विधानसभा के अंतर्गत उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की सीमा नारसन बॉर्डर भी आता है. उत्तर प्रदेश से सटे होने की वजह से बीजेपी ने इस बार इस सीट पर उत्तर प्रदेश से तीन बार के विधायक रहे करतार सिंह भड़ाना को मैदान में उतारा है. खतौली से कभी विधायक रहे करतार सिंह भड़ाना ने एक साल पहले बीजेपी उत्तराखंड का दामन थामा.
मंगलौर में तीसरे नंबर की पार्टी बीजेपी: उत्तराखंड में शायद ही ऐसी कोई विधानसभा सीट होगी जहां भाजपा तीसरे नंबर पर रहती हो, लेकिन, मंगलौर एकमात्र विधानसभा सीट ही ऐसी है जहां पर बीजेपी लाख कोशिशों के बाद भी जीत से दूर है. भौगोलिक परिस्थितियों और माहौल के हिसाब से बीजेपी के पक्ष में यहां वोट बेहद कम पड़ता है. मंगलौर विधानसभा सीट पर इस बार कांग्रेस ने पूर्व विधायक और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता काजी निजामुद्दीन को मैदान में उतारा है जबकि बहुजन समाज पार्टी ने स्वर्गीय शरबत करीम अंसारी के पुत्र उदेबुर्हमान को टिकट दिया है.
उत्तराखंड में अब तक हुए 15 उपचुनाव: अभी तक उत्तराखंड में उपचुनावों का इतिहास रहा है कि यहां पर जब-जब विधानसभा के उपचुनाव हुए हैं तब तब जो पार्टी सत्ता में रही है जीत उसी की हुई है. इस बार यह मिथक भी इस सीट पर तभी टूट पाएगा, जब भाजपा यहां से चुनाव जीत लेती है. उत्तराखंड में अब तक 15 उपचुनाव हुए हैं. जिसमें 14 उपचुनाव में वही पार्टी जीती है जिस पार्टी की राज्य में सरकार रही. राज्य गठन के बाद से लेकर अब तक एक ही उपचुनाव में यूकेडी के दिवंगत विधायक विपिन त्रिपाठी के पुत्र पुष्पेश त्रिपाठी चुनाव जीते हैं. बीजेपी ने बदरीनाथ विधानसभा उपचुनाव से ज्यादा इस बार मंगलौर उपचुनाव में अपनी सक्रियता बढ़ाई हुई है. कांग्रेस और अन्य दल भी इस सीट पर एक्शन में हैं.
मंगलौर उपचुनाव में बीजेपी ने झोंकी ताकत: मंगलौर उपचुनाव के लिए 20 जून को बीजेपी कैंडिडेट करतार सिंह भड़ाना ने नॉमिनेशन किया. इस दौरान बीजेपी के तमाम बड़े नेता करतार सिंह भड़ाना के साथ नामांकन स्थल पहुंचे. इस दौरान बीजेपी ने ताकत दिखाने की कोशिश की. हरिद्वार से सांसद बने त्रिवेंद्र सिंह रावत भी जमीन पर उतरकर मंगलौर उपचुनाव के लिए प्रचार कर रहे हैं. बीजेपी के तमाम विधायकों के साथ-साथ दुष्यंत गौतम भी मंगलौर में पहुंचकर जनता से रूबरू हो रहे हैं.
त्रिवेंद्र सिंह रावत के कंधों पर जिम्मेदारी: मंगलौर उपचुनाव सीट न केवल बीजेपी के लिए बल्कि त्रिवेंद्र सिंह रावत के लिए भी कई मायनों में चुनौती भरी रहेगी. त्रिवेंद्र सिंह रावत हाल ही में हरिद्वार से सांसद बने हैं. ऐसे में बीजेपी को मंगलौर से जीताने की जिम्मेदारी उनके कंधों पर ही होगी. त्रिवेंद्र सिंह रावत लगातार इस सीट पर चुनाव प्रचार में जुटे हुए हैं. उनके साथ-साथ आसपास के तमाम विधायकों की टीम भी चुनावी कार्यक्रम में शिरकत कर रही है.
क्या कहते हैं राजनीतिक विश्लेषक: राजनीतिक विश्लेषक आदेश त्यागी कहते हैं बीजेपी जानती है कि वह यह उपचुनाव तभी जीत सकती है जब कोई चमत्कार होगा. उसका सबसे बड़ा कारण यह है कि यह पूरा विधानसभा क्षेत्र मुस्लिम बाहुल्य है. अब तक का इतिहास देखने के बाद यह स्पष्ट हो जाता है कि कोई भी गैर मुस्लिम उम्मीदवार या यह कह बीजेपी का उम्मीदवार यहां से नहीं जीत पाया है. अगर बीजेपी ऐसा कर देती है तो न केवल बीजेपी के लिए बल्कि स्थानीय सांसद और मुख्यमंत्री के लिए भी यह बड़ा अचीवमेंट होगा. आदेश त्यागी कहते हैं बीते दिनों राज्य में हल्द्वानी में जो कुछ भी हुआ या फिर यूसीसी का जिस तरह से प्रचार प्रसार कांग्रेस ने किया, उसके बाद एक विशेष समुदाय थोड़ा सा बीजेपी से दूर भी हो रहा है. यही कारण है कि कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी इस सीट पर बीजेपी से आगे दिखाई दे रहे हैं.
ये हैं मंगलौर विधानसभा सीट के नतीजे: साल 2002 से लेकर साल 2012 तक इस सीट पर बहुजन समाज पार्टी के नेता काजी निजामुद्दीन विधायक रहे. इसके बाद साल 2012 में सरवत करीम अंसारी बहुजन समाज पार्टी के ही यहां से विधायक रहे. इसके बाद काजी निजामुद्दीन ने दल बदल कर कांग्रेस का दामन थामा. साल 2017 में वह एक बार फिर से विधायक बने. साल 2022 में हुए विधानसभा चुनाव में एक बार फिर से सरवत करीम अंसारी ने ही यहां से जीत दर्ज की. साल 2022 के चुनाव में भाजपा यहां तीसरे नंबर पर रही. बसपा पहले और कांग्रेस दूसरे नंबर पर रही. इसी तरह से साल 2017 के विधानसभा के चुनाव में भी कांग्रेस पहले और बसपा दूसरे नंबर पर रही, जबकि भाजपा तीसरे नंबर पर रही. साल 2012 के चुनाव में भी नतीजा कुछ ऐसा ही रहा. साल 2012 के चुनाव में बहुजन समाज पार्टी पहले नंबर पर रही .कांग्रेस दूसरे और राष्ट्रीय लोक दल तीसरे नंबर पर रहा. साल 2007 के चुनाव में भी ऐसा ही हुआ. इस चुनाव में भी भाजपा चौथे नंबर पर रही. साल 2000 यानी पहली बार जब विधानसभा सीट पर चुनाव हुआ तो भाजपा तीसरे नंबर पर रही.
कांग्रेस बीजेपी के अपने अपने तर्क: बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट कहते हैं ऐसा नहीं है कि राज्य में कोई सीट ऐसी है जहां बीजेपी की पहुंच ना हो, हम इस बार मंगलौर की जनता को विश्वास दिलवा रहे हैं कि इस विधानसभा में हम काम करवाएंगे. हम केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं की जानकारी लोगों तक पहुंचाएंगे. उन्होंने कहा हमें उम्मीद है कि जनता इस बार बीजेपी उम्मीदवार को जीता कर विधानसभा में भेजेगी. मोदी-धामी की जोड़ी इस क्षेत्र का और अधिक विकास करेगी. कांग्रेस नेता हरीश रावत ने कहा जो लोग लोकसभा चुनाव जीत कर संविधान बदलना चाहते थे उनकी हकीकत अब देश के सामने आ गई है. यही कारण है कि बीजेपी लाख कोशिशों के बाद भी पूर्णबहुमत नहीं मिला. उन्होंने कहा मंगलौर या बदरीनाथ उपचुनाव जीतने का जो सपना बीजेपी देख रही है उसका वो कभी पूरा नहीं होगा.
मंगलौर में मुस्लिम वोटर का दबदबा: बता दें मंगलौर विधानसभा में लगभग एक लाख 19 हजार वोटर हैं. जिसमें 62 से 65 हजार मुस्लिम, लगभग 7 हजार गुर्जर, 10 हजार जाट, 18 से 20 हजार एससी वोटर इस विधानसभा में आते हैं.