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बेगम अख्तर की 50वीं पुण्यतिथि पर लखनऊ में गूंजी गजल - GHAZAL PROGRAM IN LUCKNOW

50th death anniversary of Begum Akhtar: लखनऊ में बेगम अख्तर की 50वीं पुण्यतिथि पर 'मल्लिका-ए-गजल’ कार्यक्रम का आयोजन हुआ.

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लखनऊ में मल्लिका-ए-गजल (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Oct 31, 2024, 1:26 PM IST

लखनऊ: जिले के ठाकुरगंज स्थित बेगम अख्तर की मजार पर आज एक ऐतिहासिक सांस्कृतिक आयोजन हुआ. जहां उनकी 50वीं पुण्यतिथि पर उनकी संगीत विरासत को श्रद्धांजलि दी गई. तक्षिला एजुकेशन सोसाइटी, लखनऊ बायोस्कोप और सराका द्वारा आयोजित इस खास कार्यक्रम में देश-विदेश से आए कलाकारों ने "मल्लिका-ए-गजल" के रूप में पहचानी जाने वाली बेगम अख्तर को खिरजे अकीदत पेश किया.

इस अवसर पर दिल्ली की प्रख्यात गजल गायिका डॉ. राधिका चोपड़ा ने अपनी शानदार प्रस्तुति दी. डॉ. राधिका, बेगम अख्तर की शिष्या और पद्मश्री शांति हिरानंद की शिष्या हैं, जो ठुमरी, दादरा और गजल गायिकी में एक मंझी हुई गायिका मानी जाती हैं. राधिका जी की भावपूर्ण प्रस्तुति ने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया. बेगम अख्तर के संगीत से जुड़ी उनकी गहरी श्रद्धा को बखूबी दर्शाया.

संगीतकारों की विशेष श्रद्धांजलि: मशहूर सारंगी वादक मुराद अली खां ने अपने भावनात्मक अंदाज में अपनी पहली "हाजरी" की यादें साझा कीं. उन्होंने बताया, कि जब उन्होंने पहली बार बेगम अख्तर की मजार पर अपनी सारंगी बजाई, तो माहौल रूहानी बन गया. वहीं, पहली बार हाजिरी देने आए हारमोनियम वादक नफीस अहमद ने बताया, कि बेगम अख्तर जैसी महान कलाकार की पुण्यतिथि पर अपनी कला का प्रदर्शन करना उनके लिए सौभाग्य की बात है.

सनतकदह संस्था संस्थापक माधवी कुकरेजा और नवाबों के वंशज नवाब मसूद अब्दुल्ला ने दी जानकारी (ETV BHARAT)
इसे भी पढ़े-बॉलीवुड एक्टर कार्तिक आर्यन, माधुरी दीक्षित ने लखनऊ में किया "भूल भुलैया 3" का प्रमोशन, फैंस में दिखा जोश

दिल्ली घराने के तबला वादक अमजद खान ने बेगम अख्तर से अपने परिवार के करीबी रिश्ते का जिक्र करते हुए कहा, कि उनका संगीत मानो उनके खून में घुल गया है, जिससे उन्हें कला की एक नई ऊंचाई मिली. इस दौरान कोलकाता से आईं सोमेरिता मलिक ने भी अपनी श्रद्धांजलि पेश की और साझा किया कि बेगम अख्तर की गजलों से उनकी पहली मुलाकात किस तरह हुई थी.

डॉ. राधिका चोपड़ा का बेगम अख्तर से गहरा जुड़ाव: डॉ. राधिका चोपड़ा ने बेगम अख्तर के गीत "हमरी अटरिया पे", "दीवाना बनाना है तो", "ना सोचा ना समझा" जैसी गजलों को अपनी भावपूर्ण शैली में प्रस्तुत किया. उन्होंने बेगम अख्तर से जुड़ी अपनी गुरु शांति हिरानंद के माध्यम से उनके संगीत की बारीकियों और संवेदनाओं को दर्शकों के सामने साझा किया. उन्होंने हल्के-फुल्के अंदाज में एक व्यक्तिगत किस्सा भी साझा किया, कि उनके पति हमेशा बेगम अख्तर के बड़े प्रशंसक रहे हैं. वह अपने बटुए में उनकी तस्वीर रखते हैं, जो कि उनकी अपनी नहीं है.

कार्यक्रम में डॉ. राधिका ने बेगम अख्तर की अनमोल विरासत का सम्मान करते हुए कहा, "अख्तरी की आवाज दिलों तक पहुंचती है. मैं बहुत खुशनसीब हूं जो आज मुझे उनसे जुड़ने का मौका मिला."

बेगम अख्तर का महान योगदान: बेगम अख्तर, जिन्हें पहले अख्तरी बाई फैजाबादी के नाम से जाना जाता था, ने गजल, दादरा, और ठुमरी जैसे शास्त्रीय संगीत में अपार योगदान दिया. उनके नाम पर लगभग 400 गजलें हैं, जो उन्हें इस क्षेत्र में बेजोड़ बनाती हैं. उनका संगीत आज भी श्रोताओं को भावविभोर करता है. उनकी कला एक अमूल्य धरोहर है, जिसे इस कार्यक्रम के माध्यम से नई पीढ़ी तक पहुंचाने का प्रयास किया गया. इस कार्यक्रम में न केवल बेगम अख्तर की पुण्यतिथि को विशेष बना दिया, बल्कि भारतीय संगीत प्रेमियों के दिलों में उनकी यादों को ताजा कर दिया.

यह भी पढ़े-गायक अल्ताफ राजा के मुंह से "आवारा हवा का झोंका हूं" निकलते ही झूम उठे युवा

लखनऊ: जिले के ठाकुरगंज स्थित बेगम अख्तर की मजार पर आज एक ऐतिहासिक सांस्कृतिक आयोजन हुआ. जहां उनकी 50वीं पुण्यतिथि पर उनकी संगीत विरासत को श्रद्धांजलि दी गई. तक्षिला एजुकेशन सोसाइटी, लखनऊ बायोस्कोप और सराका द्वारा आयोजित इस खास कार्यक्रम में देश-विदेश से आए कलाकारों ने "मल्लिका-ए-गजल" के रूप में पहचानी जाने वाली बेगम अख्तर को खिरजे अकीदत पेश किया.

इस अवसर पर दिल्ली की प्रख्यात गजल गायिका डॉ. राधिका चोपड़ा ने अपनी शानदार प्रस्तुति दी. डॉ. राधिका, बेगम अख्तर की शिष्या और पद्मश्री शांति हिरानंद की शिष्या हैं, जो ठुमरी, दादरा और गजल गायिकी में एक मंझी हुई गायिका मानी जाती हैं. राधिका जी की भावपूर्ण प्रस्तुति ने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया. बेगम अख्तर के संगीत से जुड़ी उनकी गहरी श्रद्धा को बखूबी दर्शाया.

संगीतकारों की विशेष श्रद्धांजलि: मशहूर सारंगी वादक मुराद अली खां ने अपने भावनात्मक अंदाज में अपनी पहली "हाजरी" की यादें साझा कीं. उन्होंने बताया, कि जब उन्होंने पहली बार बेगम अख्तर की मजार पर अपनी सारंगी बजाई, तो माहौल रूहानी बन गया. वहीं, पहली बार हाजिरी देने आए हारमोनियम वादक नफीस अहमद ने बताया, कि बेगम अख्तर जैसी महान कलाकार की पुण्यतिथि पर अपनी कला का प्रदर्शन करना उनके लिए सौभाग्य की बात है.

सनतकदह संस्था संस्थापक माधवी कुकरेजा और नवाबों के वंशज नवाब मसूद अब्दुल्ला ने दी जानकारी (ETV BHARAT)
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दिल्ली घराने के तबला वादक अमजद खान ने बेगम अख्तर से अपने परिवार के करीबी रिश्ते का जिक्र करते हुए कहा, कि उनका संगीत मानो उनके खून में घुल गया है, जिससे उन्हें कला की एक नई ऊंचाई मिली. इस दौरान कोलकाता से आईं सोमेरिता मलिक ने भी अपनी श्रद्धांजलि पेश की और साझा किया कि बेगम अख्तर की गजलों से उनकी पहली मुलाकात किस तरह हुई थी.

डॉ. राधिका चोपड़ा का बेगम अख्तर से गहरा जुड़ाव: डॉ. राधिका चोपड़ा ने बेगम अख्तर के गीत "हमरी अटरिया पे", "दीवाना बनाना है तो", "ना सोचा ना समझा" जैसी गजलों को अपनी भावपूर्ण शैली में प्रस्तुत किया. उन्होंने बेगम अख्तर से जुड़ी अपनी गुरु शांति हिरानंद के माध्यम से उनके संगीत की बारीकियों और संवेदनाओं को दर्शकों के सामने साझा किया. उन्होंने हल्के-फुल्के अंदाज में एक व्यक्तिगत किस्सा भी साझा किया, कि उनके पति हमेशा बेगम अख्तर के बड़े प्रशंसक रहे हैं. वह अपने बटुए में उनकी तस्वीर रखते हैं, जो कि उनकी अपनी नहीं है.

कार्यक्रम में डॉ. राधिका ने बेगम अख्तर की अनमोल विरासत का सम्मान करते हुए कहा, "अख्तरी की आवाज दिलों तक पहुंचती है. मैं बहुत खुशनसीब हूं जो आज मुझे उनसे जुड़ने का मौका मिला."

बेगम अख्तर का महान योगदान: बेगम अख्तर, जिन्हें पहले अख्तरी बाई फैजाबादी के नाम से जाना जाता था, ने गजल, दादरा, और ठुमरी जैसे शास्त्रीय संगीत में अपार योगदान दिया. उनके नाम पर लगभग 400 गजलें हैं, जो उन्हें इस क्षेत्र में बेजोड़ बनाती हैं. उनका संगीत आज भी श्रोताओं को भावविभोर करता है. उनकी कला एक अमूल्य धरोहर है, जिसे इस कार्यक्रम के माध्यम से नई पीढ़ी तक पहुंचाने का प्रयास किया गया. इस कार्यक्रम में न केवल बेगम अख्तर की पुण्यतिथि को विशेष बना दिया, बल्कि भारतीय संगीत प्रेमियों के दिलों में उनकी यादों को ताजा कर दिया.

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