जोधपुर. धुलंडी के मौके पर सोमवार को जोधपुर के मंडोर में 632वें राव का चयन हुआ और उसके बाद ऐतिहासिक रावजी की गैर निकली. मंडोर के माली समाज के 9 बैरों से ही राव चुना जाता है. पिछले लंबे समय से खोखरिया बैरा से राव चुना जा रहा है. चयन के बाद राव गैर के साथ निकलता है. उसकी सुरक्षा में लोग तैनात होते हैं. रात को राव गैर पूरी कर कुंड में छलांग लगाता है, उसके साथ इसका समापन होता है. इस दौरान हजारों की संख्या में लोग शामिल होते हैं. शहर के सभी राजनेता इस गैर में शामिल होकर लोगों को शुभकामनाएं देते हैं.
भाजपा-कांग्रेस प्रत्याशी भी हुए शामिल : मंडोर क्षेत्र में राव हेमा की गैर में भारी संख्या में लोग शामिल हुए. ढोल-नगाड़ों के साथ गैर निकली है और पूरे क्षेत्र में जगह-जगह स्वागत किया जा रहा है. केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत भी इसमें शामिल हुए और कार्यकर्ताओं के साथ गैर के रंग में नजर आए. उनके साथ राज्यसभा सांसद राजेंद्र गहलोत भी मौजूद रहे. माली समाज के लोगों ने दोनों नेताओं का स्वागत किया. वहीं, कांग्रेस प्रत्याशी करण सिंह उचियारड़ा भी अपने कार्यकर्ताओं के साथ पहुंचे. इस दौरान महापौर कुंती देवड़ा, राजेंद्र सिंह सोलंकी सहित अन्य लोगों ने उचियारड़ा का स्वागत किया. इस मौके पर करण सिंह ने गैर के लोगों के साथ ढोल बजाया.
मंडोर के जगन्नाथ सिंह गहलोत के परिवार के कई लोग राव बन चुके हैं : माली समाज के प्रतिनिधि जगन्नाथ सिंह गहलोत बताते हैं कि देश में तुर्क शासन में गुजरात का सूबेदार जाफर खां मंडोर व नागौर का मुख्तयार बना तो उसने ऐबक खां को मंडोर का हाकिम नियुक्त कर दिया. ऐबक खां ने राव चूड़ा से मंडोर छीन लिया था. सभी राजा बेलकर मंडोर को मुक्त करवाना चाह रहे थे. उस दौरान राव हेमा अपनी वीरता के लिए प्रसिद्ध थे. उन्होंने कई मौकों पर विदेशी सैनिकों को धूल चटाई थी. ऐबक खां क्षेत्र के किसानों से अपने घोड़ों के लिए 100 बैल गाड़ी हरा चारा वसूलना शुरू कर दिया. इस दौरान राव हेमा ने अपने सैनिकों के साथ बैलगाड़ियों में हरे चारे के पत्ते बांध कर बैठे और ऐबक खां के शिविर में घुस गए. वहां उन्होंने एक-एक के सभी तुर्कों का खात्मा किया.
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राव चूड़ा को सौंपा राज, मिली जमीन : तुर्कों का खत्मा करने के बाद राव हेमा जी ने राव चूड़ा को वापस मंडोर बुलाया और अपनी पुत्री का विवाह उनके साथ कर मंडोर का राज-पाट उनको दहेज में सौंप दिया. 8 दिसंबर 1392 में मंडोर से लेकर सालोड़ी तक की जमीन राव हेमा गहलोत को कृषि भूमि दे दी. इस खुशी में धुलंडी पर राव हेमा की गैर शुरू हुई को आज तक जारी है.
राव हेमाजी गहलोत के वंशज माली समाज के लोग उनके शौर्य को याद रखने और अपनी पीढ़ियों को बताने के लिए आयोजन कर रहा है. मंडोर में रहने वाले सभी गहलोत राव हेमा के वंशज हैं. यह गैर मंडोर के खोखरिया बेरा से शुरू होकर मंडावता बेरा, गोपी का बेरा, बड़ा बेरा, फूलबाग बेरा, फतेहबाग, आमली बेरा, भलावता बेरा से मंडोर काला-गोरा भैरूजी मंदिर के पास नागकुंड तक निकाली जाती है.
फूल-पत्ते पहन कर निकलता है राव : तुर्कों पर आक्रमण करने के लिए राव और उनके साथी फूल-पत्ते बांधकर शिविर में घुसे थे. इसी परंपरा का निर्वहन करते हुए 632 साल से जो भी व्यक्ति राव बनता है, वह अपने सिर पर फूल-पत्ते बांधता है. यह माली समाज की पहचान भी है. पहले राव बनने का अधिकार गोपी का बेरा को था, फिर फूलबाग बेरा को प्राप्त हुआ. अब खोखरिया बेरा के नव विवाहित गहलाेत वंशीय युवक को मंडावता बेरा के बुजुर्ग गुलाबी रंग का छापा लगाकर एक दिन का राव बनाते, जिसे पूरा समाज राजा के रूप मानता है. राव के नागकुंड में स्नान करने के बाद गैर समाप्त होती है.