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मकर संक्रांति पर 144 साल बाद बना 'मकर अमृत' योग, जानिए कब करें दान पुण्य - MAKAR SANKRANTI FESTIVAL 2025

मकर संक्रांति पर्व में इस बार पुण्यकाल 9:03 से शाम 5:46 और महापुण्यकाल सुबह 9:03 से 10:48 बजे तक रहेगा.

Makar Sankranti festival 2025
मकर संक्रांति (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jan 13, 2025, 7:20 PM IST

कुचामनसिटी: मकर संक्रांति का पर्व इस बार 14 जनवरी को मनाया जा रहा है. इस बार 144 वर्षों के बाद 'मकर अमृत' योग का संयोग बना है. इस बार पुण्यकाल सुबह 9:03 से शाम 5:46 और महापुण्यकाल सुबह 9:03 से 10:48 बजे तक रहेगा. इस समय किया गया दान श्रेष्ठ फल देने वाला बताया गया है.

कुचामनसिटी के ज्योर्तिविद मयंक कौशिक ने बताया कि प्रत्येक 90 साल में संक्रांति पर्व एक दिन आगे बढ़ जाता है. साल 1900 से 2000 के बीच संक्रांति 13 व 14 जनवरी को मनाई गई थी. वहीं इसके बाद 14 व 15 को पर्व का पुण्यकाल रहा है. साल 2028 में भी संक्रांति 14 जनवरी को होगी. इसके बाद आने वाले सालों में मकर संक्रांति का पर्व 15 जनवरी को होगा.

12 पूर्णकुंभ के बाद संयोग: पंडित छोटू लाल शास्त्री ने बताया कि संक्रांति पर 'अमृत मकर' योग का संयोग 144 साल बन रहा है. यह योग 12 पूर्ण कुंभ यानि 144 साल बाद बना है. इसलिए यह कुंभ स्नान अति श्रेष्ठ और फलदायी है. इस दिन चंद्रमा अपनी स्वराशि कर्क में रहेगा, जो अमृत योग बनाएगा. ज्योतिषाचार्य वैद्य श्याम सुन्दर गौड़ ने बताया कि इस बार पुष्य नक्षत्र भी मकर संक्रांति पर रहेगा. ऐसे में इस दिन किए जाने वाले पुण्य कार्य ज्यादा फल देने वाले होंगे. सुबह 10:17 बजे से दूसरे दिन बुधवार को 10:28 बजे तक पुष्य नक्षत्र रहेगा. पुष्य नक्षत्र होने से दान-पुण्य का विशेष फल मिलेगा. सूर्य देव का वाहन व्याघ्र यानी सिंह व उपवाहन अश्व है.

पढ़ें: पतंग उत्सव के लिए तैयार गुलाबी नगर, इन 5 किलोमीटर में रहेगी पाबंदी, कलेक्टर ने भी तय की मियाद

शेयर बाजार व व्यापार के लिए रहेगा श्रेष्ठ: मकर संक्रांति के साथ ही खरमास के कारण रुके हुए विवाह, गृह प्रवेश व मांगलिक कार्य फिर शुरू हो जाएंगे. इस दिन दान-दक्षिणा या धार्मिक कार्यों का सौ गुना फल मिलना बताया है. पुण्यकाल सुबह 9:03 से शाम 5:46 और महापुण्यकाल सुबह 9:03 से 10:48 बजे तक रहेगा.

दान की परंपरा के जानिए लाभ:

  • तिल:काले तिल का दान दुर्भाग्यदूर करने वाला बताया गया है. सूर्यदेव, भगवान विष्णु और शनिदेव प्रसन्न होते हैं.
  • गुड़ः दान अवश्य करना चाहिए. गुड़ का दान करने से गुरु, शुक्र, शनि ग्रहों की कृपा मिलती है.
  • नमक : इससे नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है. इसलिए नमक का दान करना चाहिए.
  • ऊनी वस्त्र: शनि और राहु के दोष मिटाने के लिए ऊनी कपड़ों का दान श्रेष्ठ माना गया है.
  • देशी घी के व्यंजन : घी का संबंध गुरु और सूर्य से है. इनकी प्रसन्नता के लिए घी के व्यंजनों का दान करना चाहिए.
  • तेल: शनि मंदिर में तेल चढ़ाने से शनिदेव की कृपा बनी रहती है. जीवन में सुख-समृद्धि का वास होता है।

कुचामनसिटी: मकर संक्रांति का पर्व इस बार 14 जनवरी को मनाया जा रहा है. इस बार 144 वर्षों के बाद 'मकर अमृत' योग का संयोग बना है. इस बार पुण्यकाल सुबह 9:03 से शाम 5:46 और महापुण्यकाल सुबह 9:03 से 10:48 बजे तक रहेगा. इस समय किया गया दान श्रेष्ठ फल देने वाला बताया गया है.

कुचामनसिटी के ज्योर्तिविद मयंक कौशिक ने बताया कि प्रत्येक 90 साल में संक्रांति पर्व एक दिन आगे बढ़ जाता है. साल 1900 से 2000 के बीच संक्रांति 13 व 14 जनवरी को मनाई गई थी. वहीं इसके बाद 14 व 15 को पर्व का पुण्यकाल रहा है. साल 2028 में भी संक्रांति 14 जनवरी को होगी. इसके बाद आने वाले सालों में मकर संक्रांति का पर्व 15 जनवरी को होगा.

12 पूर्णकुंभ के बाद संयोग: पंडित छोटू लाल शास्त्री ने बताया कि संक्रांति पर 'अमृत मकर' योग का संयोग 144 साल बन रहा है. यह योग 12 पूर्ण कुंभ यानि 144 साल बाद बना है. इसलिए यह कुंभ स्नान अति श्रेष्ठ और फलदायी है. इस दिन चंद्रमा अपनी स्वराशि कर्क में रहेगा, जो अमृत योग बनाएगा. ज्योतिषाचार्य वैद्य श्याम सुन्दर गौड़ ने बताया कि इस बार पुष्य नक्षत्र भी मकर संक्रांति पर रहेगा. ऐसे में इस दिन किए जाने वाले पुण्य कार्य ज्यादा फल देने वाले होंगे. सुबह 10:17 बजे से दूसरे दिन बुधवार को 10:28 बजे तक पुष्य नक्षत्र रहेगा. पुष्य नक्षत्र होने से दान-पुण्य का विशेष फल मिलेगा. सूर्य देव का वाहन व्याघ्र यानी सिंह व उपवाहन अश्व है.

पढ़ें: पतंग उत्सव के लिए तैयार गुलाबी नगर, इन 5 किलोमीटर में रहेगी पाबंदी, कलेक्टर ने भी तय की मियाद

शेयर बाजार व व्यापार के लिए रहेगा श्रेष्ठ: मकर संक्रांति के साथ ही खरमास के कारण रुके हुए विवाह, गृह प्रवेश व मांगलिक कार्य फिर शुरू हो जाएंगे. इस दिन दान-दक्षिणा या धार्मिक कार्यों का सौ गुना फल मिलना बताया है. पुण्यकाल सुबह 9:03 से शाम 5:46 और महापुण्यकाल सुबह 9:03 से 10:48 बजे तक रहेगा.

दान की परंपरा के जानिए लाभ:

  • तिल:काले तिल का दान दुर्भाग्यदूर करने वाला बताया गया है. सूर्यदेव, भगवान विष्णु और शनिदेव प्रसन्न होते हैं.
  • गुड़ः दान अवश्य करना चाहिए. गुड़ का दान करने से गुरु, शुक्र, शनि ग्रहों की कृपा मिलती है.
  • नमक : इससे नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है. इसलिए नमक का दान करना चाहिए.
  • ऊनी वस्त्र: शनि और राहु के दोष मिटाने के लिए ऊनी कपड़ों का दान श्रेष्ठ माना गया है.
  • देशी घी के व्यंजन : घी का संबंध गुरु और सूर्य से है. इनकी प्रसन्नता के लिए घी के व्यंजनों का दान करना चाहिए.
  • तेल: शनि मंदिर में तेल चढ़ाने से शनिदेव की कृपा बनी रहती है. जीवन में सुख-समृद्धि का वास होता है।
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