गया: वैसे तो बिहार के गया को मोक्ष की धरती कहा जाता है, लेकिन इसके अलावा गया की पहचान तिलकुट के लिए होती है. गया का तिलकुट इतना फेमस है कि इसे पूरी दुनिया में भेजा जाता है. ठंड के दिनों में गया की गलियां तिलुकट की धम-धम की आवाज और तिल की सोंधी महक से गमक रही है. यही वजह है कि बाजार में तरह-तरह के तिलकुट सज कर तैयार हैं.
टिकारी रोड और रमना में तिलकुट का बाजार: गया में तिलकुट की मुख्य मंडी रामना रोड, टेकारी रोड, रेलवे स्टेशन रोड सहित कई स्थानों पर स्थित दुकानों में तिल, चीनी और गुड़ से तिलकुट तैयार किया जा रहा है. यहां तिलकुट बड़ा ही लाजवाब होता है. मकर संक्रांति के डेढ़-दो महीने पहले से ही तिलकुट बनाने का काम शुरू हो जाता है और इसका बाजार लग जाता है.
तिलकुट का 30 से 40 करोड़ का व्यापार: ठंडे के मौसम में तिलकुट की बिक्री अधिक होती है. इसके पीछे कारण बताया जाता है कि ठंड में तिल का उपयोग लोग अधिक करते हैं. ये फायदे मंद होता है. गया का यह घरेलू उद्योग भी हो गया है. गया में इस बार तिलकुट का 30 से 40 करोड़ की व्यपार की संभावना है. कारीगर इसको लेकर तैयारी में लगे हुए हैं.
एक दिन में 6 हजार क्विंटल से अधिक बिक्री: ज्ञान की नगरी गया यूं तो महाबोधि मंदिर और मोक्षधाम के लिए अंतरराष्ट्रीय तौर पर प्रसिद्ध है, लेकिन दिसंबर से जनवरी-फरवरी के बीच यहां आने वाले विदेशी पर्यटक गया के तिलकुट का स्वाद लेना और इसे पैक करवा कर ले जाना नहीं भूलते. विक्रेता गुलशन कुमार के अनुसार मकर संक्रांति पर्व पर जिले की तिलकुट दुकानों में एक दिन में 6 हजार क्विंटल की बिक्री होती है.
"इस बार मकर संक्रांति पर 20 से 25 करोड़ के कारोबार होने की संभावना है. खासकर मकर संक्रांति को लेकर अभी से तैयारी की जा रही है. सिर्फ मकरसंक्रांति के अवसर पर 6 हजार क्विंटल से अधिक तिलकुट की खपत होती है. शहर एवं ग्रामीण क्षेत्र के लोग तिलकुट की खरीदारी जमकर करते हैं. डाक विभाग भी तिलकुट बेचने का काम कर रहा है."-लाल जी प्रसाद, अध्यक्ष, तिलकुट निर्माण विक्रेता संघ
देश और विदेश में तिलकुट की मांग: तिलकुट व्यापारी के अनुसार विदेश में भी तिलकुट भेजना शुरू हो गया है. दिसंबर से जनवरी तक देश के विभिन्न राज्यों के साथ विदेशों में भी गया का प्रसिद्ध तिलकुट जाता है. गया में बनने वाले तिलकुट उत्तर प्रदेश, झारखंड, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, दिल्ली, महाराष्ट्र के अलावा नेपाल, भूटान, बांग्लादेश, पाकिस्तान आदि देशों में सप्लाई होते हैं. वहीं फिजी, मॉरीशस, यूके, यूएस समेत कई देशों में यह पसंद किया जाता है.
ऐसे बनता है तिलकुट: कारीगर रुद्र प्रताप ने कहा कि तिलकुट को तिल चीनी और गुड़ से तैयार किया जाता है. तिलकुट बनाने में अच्छी तिल का होना आवश्यक है. तिलकुट के तिल कानपुर से आते हैं. हालांकि गया के तिल से भी तिलकुट तैयार होता है, लेकिन कानपुर का तिल काफी बेहतर होता है. कानपुर में तिल राजस्थान से आता है, जहां मशीन द्वारा तिल को पॉलिश कि जाती है और उससे कंकरी आदि निकाल दिए जाते हैं.
गया-कानपुर की तिल का तिलकुट: मशीनों से तैयार किए जाने के कारण तिल की मात्रा में तेल भी काम हो जाता है. कम तेल वाले तिल का तिलकुट काफी खस्ता होता है, चीनी और गुड़ के चाशनी से तैयार किया जाता है, उसके बाद चासनी को एक ठंडा होने के लिए रखा जाता है. ठंडा होते ही पहले गट्टा बनाया जाता है, उसके बाद तिल कड़ाई में डाल कर गर्म कर तिल के साथ मिलाया जाता है, उसके बाद उसको कूट कर तैयार किया जाता है.
सरकार दे रही है लोन: गया के तिलकुट को बढ़ावा देने के लिए अब बिहार सरकार भी सहयोग कर रही है. लालजी प्रसाद ने कहा कि बिहार सरकार दुकानदारों को लोन देकर आगे बढ़ाने के प्रयास में है. कई बड़े दुकानदारों ने मशीन लगाई है, लेकिन छोटे दुकानदार के पास जगह नहीं होने के कारण वह मशीन नहीं लगा सकते हैं. एक कारीगर दिन भर में 25 से 30 किलो ही तिलकुट बना पाता है.
मकर संक्रांति खूब होती तिलकुट की बिक्री: मकर संक्रांति में सब से अधिक तिलकुट की बिक्री होती है. इसको लेकर छठ पूजा के बाद से ही तिलकुट तैयार करने का काम शुरू हो जाता है. ऐसे तो तिलकुट की सालों भर बिक्री होती है, लेकिन ठंड के मौसम में तिलकुट की बिक्री जमकर होती है. मकर संक्रांति के एक माह पहले से सोंधी महक और तिलकुल कूटने की धमधम की आवाज लोगों के दिमाग में मकर संक्रांति पर्व की याद दिलाती रहती है.
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