ETV Bharat / state

हॉकी के जादूगर का जबलपुर से क्या है कनेक्शन, आखिर क्यों लगाई गई ध्यानचंद की मूर्ति - Dhyanchand Jabalpur Connection

author img

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Aug 29, 2024, 11:51 AM IST

भारत के नेशनल खेल हॉकी का जब भी जिक्र होता है तो सबसे पहले किसी खिलाड़ी का नाम जुबां पर आता है, वह है मैजर ध्यानचंद्र. उनके खेल की वजह से उनको हॉकी का जादूगर कहा जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि ध्यानचंद का मध्य प्रदेश के जबलपुर से भी खास नाता है, आईये जानते हैं.

DHYANCHANDRA HOCKEY PLAYER
हॉकी के जादूगर का जबलपुर से गहरा नाता (ETV Bharat Graphics)

जबलपुर: हॉकी के जादूगर माने जाने वाले मेजर ध्यानचंद का जबलपुर से गहरा नाता था. मेजर ध्यानचंद ने अपनी शुरुआती हॉकी जबलपुर में ही सीखी थी और इसके बाद भी वे कई बार जबलपुर आए. हॉकी के जादूगर ध्यानचंद को याद करते हुए मध्य प्रदेश के बिजली विभाग में ध्यानचंद की एक धातु की प्रतिमा जबलपुर में स्थापित की है. इसका लोकार्पण उनके पुत्र अशोक कुमार ने किया. जानिए ध्यानचंद का जबलपुर से क्या नाता है.

अशोक कुमार, ध्यानचंद के बेटे (ETV Bharat)

हॉकी के जादूगर का जबलपुर से गहरा संबंध
हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद का जबलपुर से गहरा संबंध है. ध्यानचंद का बचपन जबलपुर में बीता था. ध्यानचंद के पिता रामेश्वर सिंह पहली ब्राम्हण रेजीमेंट में सूबेदार थे. उनके साथ ध्यानचंद भी जबलपुर आए थे तब उनकी उम्र मात्र 4 वर्ष थी. लेकिन वह बचपन से ही हॉकी खेलने के शौकीन थे. शुरुआती हॉकी ध्यानचंद ने जबलपुर में ही सीखी. ध्यानचंद के अंतर्राष्ट्रीय हॉकी के प्रारंभ‍िक साथ‍ियों में जबलपुर के रेक्स नॉर‍िस और माइकल रॉक थे. दोनों ख‍िलाड़‍ियों ने एम्सटर्डम (हॉलैंड) में सन् 1928 में ओलंपिक हॉकी टीम के साथ यात्रा की थी और यह टीम ओलंपिक विजेता बनी.

Dhyanchand statue install jabalpur
जबलपुर में स्थापित ध्यानचंद की मूर्ति (ETV Bharat)

मेजर ध्यानचंद की जबलपुर यात्राएं
ध्यानचंद की बहन सुरजा देवी का विवाह 1940 में जबलपुर के किशोर सिंह चौहान से हुआ. ध्यानचंद की एक पुरानी यात्रा 16 मार्च 1953 को हुई थी. उस समय जबलपुर जिला हॉकी एसोस‍िएशन के तत्वावधान में नागरिकों पुलिस मैदान में तत्कालीन महापौर भवानीप्रसाद तिवारी की अध्यक्षता में ध्यानचंद का नागर‍िक सम्मान क‍िया गया था. इसके बाद ध्यानचंद जून 1964 में जबलपुर में महिला हॉकी टीम को प्रश‍िक्षण देने आए. जनवरी-फरवरी 1975 में मध्यप्रदेश विद्युत मण्डल के आमंत्रण पर ध्यानचंद अख‍िल भारतीय विद्युत क्रीड़ा नियंत्रण मण्डल हॉकी प्रतियोगिता का उद्घाटन करने अंतिम बार जबलपुर आए थे.

ध्यानचंद के पुत्र ने किया अनावरण
ध्यानचंद हॉकी के जादूगर थे, लोग ऐसे विश्व स्तरीय खिलाड़ी को भूल न जाए इसलिए जबलपुर के बिजली विभाग में उनकी एक मूर्ति शक्ति भवन के पास लगाई है. इस मूर्ति का अनावरण के लिए बुधवार को मेजर ध्यानचंद के पुत्र अशोक कुमार जबलपुर आए हुए थे. अशोक कुमार खुद हॉकी के खिलाड़ी रहे हैं और उन्होंने भी भारतीय टीम के साथ हॉकी खेली है.

Also Read:

हॉकी के जादूगर ध्यानचंद के शिष्य को मिली मदद, विधायक प्रदीप लारिया ने बढ़ाया हाथ, ETV Bharat का किया धन्यवाद

टी-20 वर्ल्ड कप में शहडोल की बेटी मचाएगी धमाल, आलराउंडर प्रदर्शन के दम पर इंडिया को बनाएगी चैंपियन

अब लोगों में नहीं रही हॉकी के प्रति दीवानगी
अशोक कुमार का कहना है कि, ''आज की हॉकी बहुत महंगी हो गई है. अब हॉकी अस्तित्व पर होती है और एक अस्तित्व को बनाने की कीमत लगभग 5 से 6 करोड रुपए आता है. जो राज्य हॉकी के विकास में काम कर रहे हैं वहां अच्छे परिणाम भी देखने को मिल रहे हैं. लेकिन जहां एस्ट्रोटर्फ नहीं है वहां लोग नहीं खेल रहे हैं. इसीलिए जहां पहले इस खेल को लेकर दीवानगी रहती थी और हर शहर से हॉकी के शानदार खिलाड़ी निकलते थे, वह स्थिति अब नहीं है. गिने-चुने लोग ही हॉकी खेलते हैं. उन्हीं के बीच में से जो अच्छे खिलाड़ी होते हैं उन्हें मौका दिया जाता है. यदि हॉकी को दोबारा देश का मशहूर खेल बनाना है तो इसके लिए सरकारों को ध्यान देना होगा.

जबलपुर: हॉकी के जादूगर माने जाने वाले मेजर ध्यानचंद का जबलपुर से गहरा नाता था. मेजर ध्यानचंद ने अपनी शुरुआती हॉकी जबलपुर में ही सीखी थी और इसके बाद भी वे कई बार जबलपुर आए. हॉकी के जादूगर ध्यानचंद को याद करते हुए मध्य प्रदेश के बिजली विभाग में ध्यानचंद की एक धातु की प्रतिमा जबलपुर में स्थापित की है. इसका लोकार्पण उनके पुत्र अशोक कुमार ने किया. जानिए ध्यानचंद का जबलपुर से क्या नाता है.

अशोक कुमार, ध्यानचंद के बेटे (ETV Bharat)

हॉकी के जादूगर का जबलपुर से गहरा संबंध
हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद का जबलपुर से गहरा संबंध है. ध्यानचंद का बचपन जबलपुर में बीता था. ध्यानचंद के पिता रामेश्वर सिंह पहली ब्राम्हण रेजीमेंट में सूबेदार थे. उनके साथ ध्यानचंद भी जबलपुर आए थे तब उनकी उम्र मात्र 4 वर्ष थी. लेकिन वह बचपन से ही हॉकी खेलने के शौकीन थे. शुरुआती हॉकी ध्यानचंद ने जबलपुर में ही सीखी. ध्यानचंद के अंतर्राष्ट्रीय हॉकी के प्रारंभ‍िक साथ‍ियों में जबलपुर के रेक्स नॉर‍िस और माइकल रॉक थे. दोनों ख‍िलाड़‍ियों ने एम्सटर्डम (हॉलैंड) में सन् 1928 में ओलंपिक हॉकी टीम के साथ यात्रा की थी और यह टीम ओलंपिक विजेता बनी.

Dhyanchand statue install jabalpur
जबलपुर में स्थापित ध्यानचंद की मूर्ति (ETV Bharat)

मेजर ध्यानचंद की जबलपुर यात्राएं
ध्यानचंद की बहन सुरजा देवी का विवाह 1940 में जबलपुर के किशोर सिंह चौहान से हुआ. ध्यानचंद की एक पुरानी यात्रा 16 मार्च 1953 को हुई थी. उस समय जबलपुर जिला हॉकी एसोस‍िएशन के तत्वावधान में नागरिकों पुलिस मैदान में तत्कालीन महापौर भवानीप्रसाद तिवारी की अध्यक्षता में ध्यानचंद का नागर‍िक सम्मान क‍िया गया था. इसके बाद ध्यानचंद जून 1964 में जबलपुर में महिला हॉकी टीम को प्रश‍िक्षण देने आए. जनवरी-फरवरी 1975 में मध्यप्रदेश विद्युत मण्डल के आमंत्रण पर ध्यानचंद अख‍िल भारतीय विद्युत क्रीड़ा नियंत्रण मण्डल हॉकी प्रतियोगिता का उद्घाटन करने अंतिम बार जबलपुर आए थे.

ध्यानचंद के पुत्र ने किया अनावरण
ध्यानचंद हॉकी के जादूगर थे, लोग ऐसे विश्व स्तरीय खिलाड़ी को भूल न जाए इसलिए जबलपुर के बिजली विभाग में उनकी एक मूर्ति शक्ति भवन के पास लगाई है. इस मूर्ति का अनावरण के लिए बुधवार को मेजर ध्यानचंद के पुत्र अशोक कुमार जबलपुर आए हुए थे. अशोक कुमार खुद हॉकी के खिलाड़ी रहे हैं और उन्होंने भी भारतीय टीम के साथ हॉकी खेली है.

Also Read:

हॉकी के जादूगर ध्यानचंद के शिष्य को मिली मदद, विधायक प्रदीप लारिया ने बढ़ाया हाथ, ETV Bharat का किया धन्यवाद

टी-20 वर्ल्ड कप में शहडोल की बेटी मचाएगी धमाल, आलराउंडर प्रदर्शन के दम पर इंडिया को बनाएगी चैंपियन

अब लोगों में नहीं रही हॉकी के प्रति दीवानगी
अशोक कुमार का कहना है कि, ''आज की हॉकी बहुत महंगी हो गई है. अब हॉकी अस्तित्व पर होती है और एक अस्तित्व को बनाने की कीमत लगभग 5 से 6 करोड रुपए आता है. जो राज्य हॉकी के विकास में काम कर रहे हैं वहां अच्छे परिणाम भी देखने को मिल रहे हैं. लेकिन जहां एस्ट्रोटर्फ नहीं है वहां लोग नहीं खेल रहे हैं. इसीलिए जहां पहले इस खेल को लेकर दीवानगी रहती थी और हर शहर से हॉकी के शानदार खिलाड़ी निकलते थे, वह स्थिति अब नहीं है. गिने-चुने लोग ही हॉकी खेलते हैं. उन्हीं के बीच में से जो अच्छे खिलाड़ी होते हैं उन्हें मौका दिया जाता है. यदि हॉकी को दोबारा देश का मशहूर खेल बनाना है तो इसके लिए सरकारों को ध्यान देना होगा.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.