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विकास के नाम पर काट दिए 13 लाख पेड़, अब गर्मी से हो रहा बुरा हाल, जानिए झारखंड में बदलते मौसम का मुख्य कारण - Heat in Jharkhand

Temperature in Jharkhand. बढ़ती गर्मी विकास में बाधा बन रही है. पिछले कुछ सालों में 13 लाख पेड़ काटे जा चुके हैं, पेड़ों की कटाई के कारण अब लोगों का गर्मी में बुरा हाल हो रहा है. पूरे झारखंड में तापमान बढ़ता जा रहा है.

Temperature in Jharkhand
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Apr 25, 2024, 10:15 AM IST

रांची: झारखंड में इन दिनों भीषण गर्मी पड़ रही है. गर्मी के कारण लोगों ने घरों से निकलना बंद कर दिया है. क्योंकि रांची समेत राज्य के विभिन्न जिलों का तापमान 40 डिग्री सेल्सियस के आसपास देखा जा रहा है. मौसम विभाग के मुताबिक मई और जून के महीने में ये गर्मी अपना प्रचंड रूप दिखाएगी.

इस साल झारखंड के सभी इलाकों में धूप का तापमान 40 डिग्री के पार पहुंच गया है. फिलहाल गोड्डा जिले का तापमान 42 डिग्री सेल्सियस के आसपास है, जबकि पलामू और गढ़वा इलाके का तापमान 40 डिग्री सेल्सियस के आसपास है. कोल्हान क्षेत्र के सरायकेला जिले में तापमान 43 डिग्री सेल्सियस के आसपास पहुंच गया है.

कभी गर्मी से राहत पाने लोग आते थे झारखंड

एक समय था जब लोग गर्मी के मौसम में समय बिताने के लिए झारखंड आते थे. विशेषकर रांची को कभी बिहार की ग्रीष्मकालीन राजधानी के रूप में जाना जाता था. लेकिन आज रांची का तापमान लोगों के लिए असहनीय होता जा रहा है. गर्मी का मुख्य कारण यह है कि इन दिनों झारखंड में विकास कार्य हो रहे हैं. जिसके चलते प्रदेश में बड़े पैमाने पर पेड़ काटने का काम चल रहा है.

वन विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक पिछले कुछ सालों में पूरे झारखंड में करीब 13 लाख पेड़ों की कटाई के आदेश जारी किये गये थे. जिसमें करीब पांच लाख पेड़ों को दोबारा लगाने का आदेश दिया गया, जबकि 8 लाख पेड़ काटकर छोड़ दिए गए.

"विकास कार्य के लिए सभी पेड़ों को काटने का आदेश दिया गया है. इनके स्थान पर करीब 70 लाख 93 हजार 584 पौधे लगाने के आदेश भी उच्च समिति से जारी हो चुके हैं. जिसके बाद वन विभाग के कर्मचारियों ने राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में पौधे लगाना शुरू कर दिया है." - श्रीकांत वर्मा, जिला वन पदाधिकारी

विशेषज्ञों का कहना है कि पिछले 40 से 50 वर्षों से रांची के वातावरण को ठंडक प्रदान करने वाले पेड़ों के स्थान पर अब जो पेड़ लगाए गए हैं, उनकी क्षमता बहुत कम है, क्योंकि नए पेड़ पर्यावरण को उतनी राहत नहीं दे पाते जिनता घने वृक्ष प्रदान करते हैं.

"इन दिनों झारखंड के संथाल और कोल्हान क्षेत्र के कई इलाकों में लू का प्रकोप देखने को मिल रहा है. क्योंकि ये इलाके खनन और औद्योगिक क्षेत्रों से जुड़े हुए हैं. इधर, विकास कार्यों के लिए पेड़ों की कटाई भी बड़े पैमाने पर हो रही है." - अभिषेक कुमार, मौसम वैज्ञानिक

आपको बता दें कि सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, अब तक 13 लाख पेड़ काटे जा चुके हैं, लेकिन कागजी आंकड़ों से परे देखें तो यह संख्या दो से तीन गुना तक हो सकती है. लगातार पेड़ों की कटाई से बढ़ती गर्मी को लेकर झारखंड के पर्यावरणविद् डॉ. नीतीश प्रियदर्शी कहते हैं कि किसी भी शहर में पेड़ों की संख्या का सीधा असर उस इलाके के मौसम पर पड़ता है.

"एक समय रांची में बड़ी संख्या में पेड़ हुआ करते थे. इसीलिए यहां एवपोट्रांसपिरेशन (evapotranspiration) की प्रक्रिया के तहत प्रतिदिन वर्षा होती थी. लेकिन अब शहर में पेड़ों की संख्या कम हो गयी है. जिसके कारण शहर का तापमान बढ़ रहा है और एवपोट्रांसपिरेशन की प्रक्रिया भी खत्म हो रही है. शहर के जंगलों को काटा जा रहा है और कंक्रीट के जंगल बनाये जा रहे हैं, जो शहर के तापमान को और भी अधिक बढ़ा देते हैं." - डॉ. नीतीश प्रियदर्शी, पर्यावरणविद्

"पत्थरों से बन रहे घरों के कारण शहर में बारिश कम हो रही है. अर्बन हीट आईलैंड इफेक्ट(urban heat iland) प्रक्रिया के तहत, शहर में बने पत्थर के घर देर शाम होते ही रेडिएंट बादलों को शहर से बाहर निकाल देते हैं. जिसके कारण रांची शहर में अब बारिश कम हो रही है." - डॉ. नीतीश प्रियदर्शी, पर्यावरणविद्

यह भी पढ़ें: गर्मी का कहर जारी, IMD का हीट वेव को लेकर येलो अलर्ट, तापमान सामान्य से अधिक रहने की संभावना - Meteorological Department warns

यह भी पढ़ें: मार्च में ही आग उगलने लगी धरती, झारखंड में पारा 40 डिग्री के पार, सभी जिलों में तापमान सामान्य से ज्यादा - Jharkhand weather update

यह भी पढ़ें: गोड्डा में छोटे पक्षियों की अचानक मौत से लोगों में कौतूहल, बढ़ती गर्मी को बता रहे वजह!

रांची: झारखंड में इन दिनों भीषण गर्मी पड़ रही है. गर्मी के कारण लोगों ने घरों से निकलना बंद कर दिया है. क्योंकि रांची समेत राज्य के विभिन्न जिलों का तापमान 40 डिग्री सेल्सियस के आसपास देखा जा रहा है. मौसम विभाग के मुताबिक मई और जून के महीने में ये गर्मी अपना प्रचंड रूप दिखाएगी.

इस साल झारखंड के सभी इलाकों में धूप का तापमान 40 डिग्री के पार पहुंच गया है. फिलहाल गोड्डा जिले का तापमान 42 डिग्री सेल्सियस के आसपास है, जबकि पलामू और गढ़वा इलाके का तापमान 40 डिग्री सेल्सियस के आसपास है. कोल्हान क्षेत्र के सरायकेला जिले में तापमान 43 डिग्री सेल्सियस के आसपास पहुंच गया है.

कभी गर्मी से राहत पाने लोग आते थे झारखंड

एक समय था जब लोग गर्मी के मौसम में समय बिताने के लिए झारखंड आते थे. विशेषकर रांची को कभी बिहार की ग्रीष्मकालीन राजधानी के रूप में जाना जाता था. लेकिन आज रांची का तापमान लोगों के लिए असहनीय होता जा रहा है. गर्मी का मुख्य कारण यह है कि इन दिनों झारखंड में विकास कार्य हो रहे हैं. जिसके चलते प्रदेश में बड़े पैमाने पर पेड़ काटने का काम चल रहा है.

वन विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक पिछले कुछ सालों में पूरे झारखंड में करीब 13 लाख पेड़ों की कटाई के आदेश जारी किये गये थे. जिसमें करीब पांच लाख पेड़ों को दोबारा लगाने का आदेश दिया गया, जबकि 8 लाख पेड़ काटकर छोड़ दिए गए.

"विकास कार्य के लिए सभी पेड़ों को काटने का आदेश दिया गया है. इनके स्थान पर करीब 70 लाख 93 हजार 584 पौधे लगाने के आदेश भी उच्च समिति से जारी हो चुके हैं. जिसके बाद वन विभाग के कर्मचारियों ने राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में पौधे लगाना शुरू कर दिया है." - श्रीकांत वर्मा, जिला वन पदाधिकारी

विशेषज्ञों का कहना है कि पिछले 40 से 50 वर्षों से रांची के वातावरण को ठंडक प्रदान करने वाले पेड़ों के स्थान पर अब जो पेड़ लगाए गए हैं, उनकी क्षमता बहुत कम है, क्योंकि नए पेड़ पर्यावरण को उतनी राहत नहीं दे पाते जिनता घने वृक्ष प्रदान करते हैं.

"इन दिनों झारखंड के संथाल और कोल्हान क्षेत्र के कई इलाकों में लू का प्रकोप देखने को मिल रहा है. क्योंकि ये इलाके खनन और औद्योगिक क्षेत्रों से जुड़े हुए हैं. इधर, विकास कार्यों के लिए पेड़ों की कटाई भी बड़े पैमाने पर हो रही है." - अभिषेक कुमार, मौसम वैज्ञानिक

आपको बता दें कि सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, अब तक 13 लाख पेड़ काटे जा चुके हैं, लेकिन कागजी आंकड़ों से परे देखें तो यह संख्या दो से तीन गुना तक हो सकती है. लगातार पेड़ों की कटाई से बढ़ती गर्मी को लेकर झारखंड के पर्यावरणविद् डॉ. नीतीश प्रियदर्शी कहते हैं कि किसी भी शहर में पेड़ों की संख्या का सीधा असर उस इलाके के मौसम पर पड़ता है.

"एक समय रांची में बड़ी संख्या में पेड़ हुआ करते थे. इसीलिए यहां एवपोट्रांसपिरेशन (evapotranspiration) की प्रक्रिया के तहत प्रतिदिन वर्षा होती थी. लेकिन अब शहर में पेड़ों की संख्या कम हो गयी है. जिसके कारण शहर का तापमान बढ़ रहा है और एवपोट्रांसपिरेशन की प्रक्रिया भी खत्म हो रही है. शहर के जंगलों को काटा जा रहा है और कंक्रीट के जंगल बनाये जा रहे हैं, जो शहर के तापमान को और भी अधिक बढ़ा देते हैं." - डॉ. नीतीश प्रियदर्शी, पर्यावरणविद्

"पत्थरों से बन रहे घरों के कारण शहर में बारिश कम हो रही है. अर्बन हीट आईलैंड इफेक्ट(urban heat iland) प्रक्रिया के तहत, शहर में बने पत्थर के घर देर शाम होते ही रेडिएंट बादलों को शहर से बाहर निकाल देते हैं. जिसके कारण रांची शहर में अब बारिश कम हो रही है." - डॉ. नीतीश प्रियदर्शी, पर्यावरणविद्

यह भी पढ़ें: गर्मी का कहर जारी, IMD का हीट वेव को लेकर येलो अलर्ट, तापमान सामान्य से अधिक रहने की संभावना - Meteorological Department warns

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