मैहर। मां शारदा मंदिर के दरबार में आप कई बार हाजिरी लगाने के लिए गए होंगे. यहां होटलों में टेस्टी खाने का भी मजा आपने खूब लिया होगा लेकिन कभी 'माई की रसोई' गए हैं. ये रसोई मैहर रेलवे स्टेशन से कुछ ही दूर रास्ते में स्थित है, जहां देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालु यहां जरूर आते हैं. बता दें ये जगह मुफ्त खाने पीने और और रुकने के लिए काफी फेमस है.
माई की रसोई में रहना-खाना फ्री
माई की रसोई और धर्मशाला मैहर के प्रधान पुजारी बम-बम महाराज के बड़े पुत्र धीरज महाराज की ओर से संचालित की जा रही है. धीरज महाराज का कहना है कि "मां शारदा के दरबार में दर्शन करने आने वाले श्रद्धालुओं के लिए माई की रसोई में धर्मशाला में फ्री रहने और उत्तम भोजन की व्यवस्था की है. इसका किसी भी प्रकार से कोई शुल्क नहीं लिया जाता. रहना खाना बिल्कुल फ्री है".
रुकने के लिए एक सप्ताह पहले दे सकते हैं सूचना
धीरज महाराज ने ईटीवी भारत को बताया कि "यह संस्था 7 जनवरी 2019 से श्री गुरु कार्ष्णि मां शारदा सेवा संस्थान मैहर के नाम से चल रही है. जिसे माई की रसोई के नाम से जाना जाता है. यहां मां शारदा देवी के धाम आने वाले श्रद्धालुओं के लिए रहने और भोजन की उच्च कोटि की व्यवस्था की गई है. माई के दरबार आने वाले श्रद्धालुओं को रुकने के लिए एक सप्ताह पहले मोबाइल नंबर 6232451111 पर संपर्क कर सूचना दे सकते हैं".
12 घंटे मिलता है महाप्रसाद
धीरज महाराज बताते हैं कि "महाप्रसाद कभी भी आकर ले सकते हैं. माई की रसोई में दोपहर 12:00 बजे से लेकर रात 12:00 बजे तक महाप्रसाद की व्यवस्था रहती है. धीरज महाराज ने बताया कि यह प्रेरणा हमें सिख भाइयों से मिली है जिनके यहां गुरुद्वारे में लगातार लंगर चलते रहते हैं. इसी प्रेरणा के चलते हमने भी माई के दरबार में एक प्रयास किया और श्रद्धालुओं के लिए माई की रसोई के साथ धर्मशाला की शुरुआत की है. आने वाले समय में हमारा उद्देश्य है कि विंध्यवासिनी में माई की रसोई की तरह वाराणसी, अयोध्या, बद्रीनाथ, केदारनाथ, प्रयागराज में भी इसकी शुरुआत करेंगे".
त्रिकूट पर्वत पर विराजमान हैं मां शारदा
त्रिकूट पर्वत पर मां शारदा विराजमान हैं. जिनके दर्शन के लिए 1063 सीढ़ियों को चढ़कर उनके दरबार पहुंचा जाता है. इसके अलावा रोप-वे की भी व्यवस्था यहां पर है. माई के दरबार में चैत्र एवं शारदीय दोनों नवरात्रि में लाखों श्रद्धालु माता के दर्शनों के लिए पहुंचते हैं. यहां विशाल मेला लगता है. इसके अलावा प्रतिदिन देश भर से हजारों की संख्या में दर्शनार्थी माई के दर्शन करने आते हैं.