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VIDEO: रांची के दुर्गाबाड़ी में हुआ महिषासुरमर्दिनी का मंचन, नृत्य नाटिका के मोहपाश में बंधे लोग - Durga Pooja 2024

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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : 3 hours ago

Updated : 2 hours ago

Mahishasura Mardini in Ranchi. रांची के दुर्गाबाड़ी में महिषासुरमर्दिनी नृत्य नाटिका का मंचन किया गया. इस दौरान लोगों की भारी भीड़ मौजूद रही. करीब 60 कलाकारों ने इस शानदार कार्यक्रम को पेश किया जिसे देख लोग मंत्रमुग्ध हो गए.

Durga Pooja 2024
महिषासुरमर्दिनी का मंचन (ईटीवी भारत)

रांची: महालया के साथ दुर्गोत्सव की शुरुआत हो गई है. इस मौके पर पारंपरिक रूप से राजधानी रांची के दुर्गा बाड़ी में महिषासुरमर्दिनी का मंचन किया गया. करीब दो घंटे तक चले इस कार्यक्रम में कलाकारों ने नृत्य नाटिका के साथ मां दुर्गा के प्रादुर्भाव, शिव का सती वियोग, महिषासुर को वरदान, मां काली का विकराल रूप और अंत में महिषासुर मर्दन को बड़े ही सुन्दर ढंग से प्रस्तुत किया गया. जिसे दर्शक बड़े ही कौतुहल भरी नजरों से देखते रहे.

रांची के दुर्गाबाड़ी में महिषासुरमर्दिनी का मंचन (ईटीवी भारत)

करीब 60 कलाकारों की टीम के द्वारा प्रस्तुत की गई इस नृत्य नाटिका में मां दुर्गा का किरदार प्रतिष्ठा पाल ने निभाया. वहीं महिषासुर की भूमिका में रिंकू कुमार थे. करीब 15 वर्षों से महिषासुरमर्दिनी का मंचन कर रही रूपा डे ने बताया कि इस बार अन्य वर्षों से अलग तरह का मंचन करने की कोशिश की गई, जो टेलीविजन शो की तरह है. मंचन के दौरान शुरुआत में कुछ तकनीकी बाधा देखी गई जिसे तुरंत दुरुस्त कर लिया गया.

Durga Pooja 2024
महिषासुरमर्दिनी का मंचन (ईटीवी भारत)

आखिर क्यों मनाया जाता है महालया

महालया, पितृपक्ष और मातृपक्ष यानी देवी पक्ष के मिलन को कहा जाता है जो आध्यात्मिक दृष्टि से काफी महत्व रखता है. इस दिन न केवल पूर्वजों को तर्पण के जरिए श्रद्धांजलि दी जाती है, बल्कि इसे सत्य, साहस के विजय के रूप में भी मनाया जाता है. दरअसल, हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, भैंस दानव, भगवान ब्रह्मा ने महिषासुर को अजेयता का वरदान दिया था. जिसका अर्थ है कि कोई भी मनुष्य या भगवान उसे मार नहीं सकता है लेकिन, महिषासुर ने इस वरदान का दुरुपयोग किया और ब्रह्मांड में तबाही मचानी शुरू कर दी.

Durga Pooja 2024
महिषासुरमर्दिनी का मंचन (ईटीवी भारत)

इस विनाश को समाप्त करने के लिए सभी देवताओं ने भगवान विष्णु के साथ आदि शक्ति की आराधना की. इस दौरान सभी देवताओं के शरीर से एक दिव्य रोशनी निकली जिसने देवी दुर्गा का रूप धारण कर लिया. महिषासुर के नाश के लिए देवी दुर्गा का आह्वान महालया के दिन ही किया गया था. इसके बाद दोनों का युद्ध चला और दशमी के दिन देवी दुर्गा ने राक्षस महिषासुर का अंत कर दिया. इसलिए नवरात्रि की शुरुआत महालया से होती है, इस दिन श्रद्धालु मां दुर्गा को अपने घर लाते हैं और इसके 10 दिन बाद विजयादशमी मनाया जाता है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है.

बंगाली समुदाय के लोग इसे खास तौर पर मनाते हैं. रांची सहित पूरे झारखंड में इसे खास तौर पर आज मनाया गया. देवी दुर्गा का धरती पर स्वागत करने के लिए लोग सुबह जल्दी उठे और अपने घरों में दुर्गा पूजा की तैयारी शुरू कर दी.

ये भी पढ़ें:

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रांची: महालया के साथ दुर्गोत्सव की शुरुआत हो गई है. इस मौके पर पारंपरिक रूप से राजधानी रांची के दुर्गा बाड़ी में महिषासुरमर्दिनी का मंचन किया गया. करीब दो घंटे तक चले इस कार्यक्रम में कलाकारों ने नृत्य नाटिका के साथ मां दुर्गा के प्रादुर्भाव, शिव का सती वियोग, महिषासुर को वरदान, मां काली का विकराल रूप और अंत में महिषासुर मर्दन को बड़े ही सुन्दर ढंग से प्रस्तुत किया गया. जिसे दर्शक बड़े ही कौतुहल भरी नजरों से देखते रहे.

रांची के दुर्गाबाड़ी में महिषासुरमर्दिनी का मंचन (ईटीवी भारत)

करीब 60 कलाकारों की टीम के द्वारा प्रस्तुत की गई इस नृत्य नाटिका में मां दुर्गा का किरदार प्रतिष्ठा पाल ने निभाया. वहीं महिषासुर की भूमिका में रिंकू कुमार थे. करीब 15 वर्षों से महिषासुरमर्दिनी का मंचन कर रही रूपा डे ने बताया कि इस बार अन्य वर्षों से अलग तरह का मंचन करने की कोशिश की गई, जो टेलीविजन शो की तरह है. मंचन के दौरान शुरुआत में कुछ तकनीकी बाधा देखी गई जिसे तुरंत दुरुस्त कर लिया गया.

Durga Pooja 2024
महिषासुरमर्दिनी का मंचन (ईटीवी भारत)

आखिर क्यों मनाया जाता है महालया

महालया, पितृपक्ष और मातृपक्ष यानी देवी पक्ष के मिलन को कहा जाता है जो आध्यात्मिक दृष्टि से काफी महत्व रखता है. इस दिन न केवल पूर्वजों को तर्पण के जरिए श्रद्धांजलि दी जाती है, बल्कि इसे सत्य, साहस के विजय के रूप में भी मनाया जाता है. दरअसल, हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, भैंस दानव, भगवान ब्रह्मा ने महिषासुर को अजेयता का वरदान दिया था. जिसका अर्थ है कि कोई भी मनुष्य या भगवान उसे मार नहीं सकता है लेकिन, महिषासुर ने इस वरदान का दुरुपयोग किया और ब्रह्मांड में तबाही मचानी शुरू कर दी.

Durga Pooja 2024
महिषासुरमर्दिनी का मंचन (ईटीवी भारत)

इस विनाश को समाप्त करने के लिए सभी देवताओं ने भगवान विष्णु के साथ आदि शक्ति की आराधना की. इस दौरान सभी देवताओं के शरीर से एक दिव्य रोशनी निकली जिसने देवी दुर्गा का रूप धारण कर लिया. महिषासुर के नाश के लिए देवी दुर्गा का आह्वान महालया के दिन ही किया गया था. इसके बाद दोनों का युद्ध चला और दशमी के दिन देवी दुर्गा ने राक्षस महिषासुर का अंत कर दिया. इसलिए नवरात्रि की शुरुआत महालया से होती है, इस दिन श्रद्धालु मां दुर्गा को अपने घर लाते हैं और इसके 10 दिन बाद विजयादशमी मनाया जाता है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है.

बंगाली समुदाय के लोग इसे खास तौर पर मनाते हैं. रांची सहित पूरे झारखंड में इसे खास तौर पर आज मनाया गया. देवी दुर्गा का धरती पर स्वागत करने के लिए लोग सुबह जल्दी उठे और अपने घरों में दुर्गा पूजा की तैयारी शुरू कर दी.

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